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आरोग्य मंदिर में दवाओं से नहीं धूप, मिट्टी, पानी और हवा से होती है इलाज- जड़ से खत्‍म हो जाते हैं असाध्‍य रोग

Arogya Mandir Gorakhpur गोरखपुर के आरोग्‍य मंद‍िर में दवाओं से नहीं मरीजों का इलाज हवा पानी म‍िट्टी और धूप से होती है। यहां देश व‍िदेश से लोग इलाज कराने आते हैं। प्राकृत‍िक व‍िध‍ि से यहां असाध्‍य रोगों का इलाज होता है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Mon, 18 Jul 2022 07:02 AM (IST)
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आरोग्य मंदिर में म‍िट्टी से इलाज कराते लोग। - जागरण

गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। गोरखपुर के आम बाजार में एक ऐसा मंदिर है, जहां की भगवान, मां प्रकृति है और वह शारीरिक-मानसिक विकारों का भक्षण करती है। इसका नाम है आरोग्य मंदिर। इस मंदिर में प्रकृति के माध्यम से सभी प्रकार के रोगों का उपचार होता है। धूप, मिट्टी, पानी व हवा ही यहां की दवा है। रोगों को समाप्त करने में योगासन व आहार-विहार का भी सहयोग लिया जाता है। आमतौर पर लोग जानते हैं कि रोग मुक्ति का उपाय दवाएं हैं, जबकि शरीर में भी रोगों को समाप्त करने की शक्ति अंतर्निहित है। जिन तत्वों से हमारा शरीर बना है अर्थात- पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश व हवा, उन्हीं के माध्यम से आरोग्य मंदिर में रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर उन्हें विकार मुक्त किया जा रहा है।

ऐसे हुई आरोग्य मंदिर की स्‍थापना

आरोग्य मंदिर की स्थापना की कहानी बड़ी रोचक है। संस्थापक विटठ्लदास मोदी स्नातक की पढ़ाई के दौरान गंभीर रूप से बीमार हो गए। तीन साल तक एलोपैथिक दवा कराई लेकिन लाभ नहीं हुआ। अंतत: वह प्राकृतिक चिकित्सा के जरिये स्वस्थ हुए। प्राकृतिक चिकित्सा पर उनका विश्वास बढ़ा और महात्मा गांधी की प्रेरणा से उन्होंने 1940 में आरोग्य मंदिर की स्थापना की। शुरुआती दौर में यह किराए के मकान में चला। 1960 में इसे मेडिकल कालेज रोड पर आम बाजार में छह एकड़ में स्थापित किया गया। तबसे आज तक एक लाख से अधिक लोग प्रकृति की गोद में आकर रोग मुक्त हो चुके हैं।

इन रोगों का होता है बेहतर इलाज

आरोग्य मंदिर में ज्यादातर दमा, कब्जियत, मधुमेह, सिर दर्द, कमर दर्द, चक्कर आना, थकान, कोलाइटिस, अल्सर, अम्ल-पित्त, एसिडिटी, रक्तचाप, गठिया, एक्जिमा, मोटापा व एलर्जी आदि का उपचार कराने लोग आते हैं। इन रोगों को ठीक करने के लिए एनिमा, मिट्टी की पट्टी, कटि स्नान, मेहन स्नान, पैर का गरम स्नान, पेट की गरम-ठंडी सेंक, गरम-ठंडा कटि स्नान, सारे बदन की गीली पट्टी, भाप स्नान, स्पंज, धूप स्नान, पेट का पोंछा, कमर व छाती की गीली पट्टी, उपवास, दुग्ध कल्प, रसाहार, फलाहार, टहलना, योगासन व आहार नियंत्रण का सहारा लिया जाता है।

मरीजों को स‍िखाई जाती है स्वस्थ रहने की जीवन शैली

यहां उपचार कराने के लिए एक-दो माह रहना पड़ सकता है। आवास के लिए चार जनरल वार्ड, 16 प्राइवेट वार्ड व 18 स‍िंग बेड के कमरे हैं। कुल 106 बेड हैं। यहां रोगी को रोगमुक्त ही नहीं किया जाता बल्कि उसे स्वस्थ रहने की जीवन शैली सिखा दी जाती है। कुल मिलाकर यह मंदिर लोगों को प्रकृति से जोड़ता है। आरोग्य मंदिर रोगों का उपचार करने के साथ ही मासिक पत्रिका, 28 पुस्तकों का प्रकाशन व प्राकृतिक चिकित्सा की शिक्षा भी देता है।

दस साल से मैं गठिया से परेशान थीं। डाक्टर ने घुटना प्रत्यारोपण के लिए कहा था। यहां एक माह के उपचार से ही काफी राहत मिल गई है। - डा. शिवानी मातनहेलिया, प्रतापगढ़।

मैं कक्षा आठ में पढ़ता हूं। मुझे कब्जियत की शिकायत थी। यहां मात्र 17 दिन में मुझे आराम मिल गया है। अब भूख भी अच्छी लग रही है। - गौतम अग्रवाल, वीरगंज, नेपाल।

मुझे सर्वाइकल के साथ साथ ही चलने पर पैरों में सूजन आ जाती थी। चार-पांच साल से यह दिक्कत है। यहां आने के बाद राहत मिल गई है। -सुषमा स‍िंह, वाराणसी।

दवा कराने के बाद जब लोग थक जाते हैं, हमारे पास आते हैं। तब तक रोग बढ़ चुका होता है। शुरुआत में आएं तो जल्दी आराम मिल सकता है। - डा. विमल कुमार मोदी, निदेशक, आरोग्य मंदिर।

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