Move to Jagran APP

शुभ मुहूर्त: 17 दिन बैंड बाजा-बारात से मचेगा धमाल, फिर खरमास बाद गूंजेगी शहनाई

देवोत्थान एकादशी के बाद शुरू हो रहा है शादियों का सीजन। इस बार 12 नवंबर को देवोत्थान एकादशी है और उसके बाद 17 नवंबर से 15 दिसंबर तक कुल 17 दिन शादियों के लिए शुभ मुहूर्त हैं। इसके बाद खरमास लग जाएगा और फिर संक्रांति के बाद 16 जनवरी से 12 मार्च तक फिर से शादियों का सीजन शुरू होगा। इस दौरान कुल 49 दिन शहनाइयां गूंजेंगी।

By Gajadhar Dwivedi Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 10 Nov 2024 10:08 AM (IST)
Hero Image
मांगलिक कार्य शुरू होने वाला है। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागने यानी देवोत्थान एकादशी के बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस बार देवोत्थान एकादशी 12 नवंबर को है। लेकिन, विवाह का पहला मुहूर्त 17 नवंबर को मिल रहा है।

इसके बाद 15 दिसंबर तक कुल 17 दिन बैंडबाजा-बरात के नाम होंगे। फिर खरमास लग जाएगा और इसके साथ ही शहनाइयों के स्वर शांत हो जाएंगे। पुन: संक्रांति के बाद 16 जनवरी से लग्न शुरू होंगे और 12 मार्च तक कुल 32 तिथियां शुभ विवाह के लिए अच्छी होंगी।

भगवान के योगनिद्रा से जागने के बाद सबसे पहले माता तुलसी व भगवान शालिग्राम (भगवान विष्णु) का विवाह होगा। देवोत्थान एकादशी के दिन ही यह विवाह कराया जाता है। इसमें विवाह की प्रक्रिया पूरी की जाती है। माता तुलसी की विदाई भी होती है।

अंत में आरती के साथ विवाह पूर्ण होता है। इसके बाद जन के विवाह की लग्न शुरू होती है। ग्रहों के अस्त और बालत्व दोष स्थिति में भी इसी दिन भगवान व माता तुलसी का विवाह कराया जाता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रहकर भगवान विष्णु की उपासना करेंगे।

इसे भी पढ़ें-यूपी में दीवाली-छठ के बाद धुंध-प्रदूषण बढ़ा, संगमनगरी की हवा तेजी से हो रही खराब

इसके बाद आमजन के लिए लग्न शुरू होंगे। नवंबर-दिसंबर और जनवरी-मार्च तक कुल 49 दिन बैंडबाजा और शहनाइयों की गूंज शहर भर में सुनने को मिलेगी। इसे लेकर ज्यादातर मैरेज हाल, होटल बुक हैं। विवाह की तैयारी तेज हो गई हैं।

विवाह मुहूर्त

  • नवंबर- 17, 18, 22, 23, 24, 25, 26, 28
  • दिसंबर- 02, 03, 04, 05, 09, 10, 11, 14, 15
  • जनवरी 2025- 16, 17, 18, 19, 21, 22, 24, 26
  • फरवरी 2025- 02, 03, 06, 07, 08, 12, 13, 14, 15, 16, 18, 20, 21, 22, 23, 24, 25
  • मार्च 2025- 01, 02, 03, 06, 07, 11, 12
नोट- इसमें दिवा और रात्रि लग्न दोनों है। भद्रा और मृत्युबाण का अवलोकन करने के बाद ही तिथि तय करें।

ज्योतिषाचार्य पं. शरदचंद्र मिश्र ने कहा कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक विवाह नहीं होते हैं, क्योंकि यह भगवान की योगनिद्रा का समय होता है। जब जागते हैं तो सबसे पहले उन्हीं का विवाह माता तुलसी के साथ होता है। इसके बाद विवाह की लग्न शुरू हो जाती है।

इसे भी पढ़ें-लंबे समय तक यौन संबंध से इनकार बन सकता तलाक का आधार : हाई कोर्ट

ज्योतिषाचार्य डा. जोखन पांडेय शास्त्री ने कहा कि इस वर्ष 12 नवंबर को देवोत्थान एकादशी है। इसी दिन भगवान का जागरण होगा। उसी दिन भगवान व माता तुलसी का विवाह होगा। इसके बाद आम जन का विवाह शुरू हो जाएगा। पहली लग्न 17 नवंबर को मिल रही है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।