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गोरखपुर में 36 माह में बनकर तैयार हो जाएगा आयुष विश्वविद्यालय

Ayush University Gorakhpur उत्‍तर प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय करीब 299 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है। इसका निर्माण तेजी से होगा और 36 महीने में इसे पूरा कर लिया जाएगा। इसका न‍िर्माण कार्य जोर शोर से चल रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Sun, 29 Aug 2021 08:05 AM (IST)
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गोरखपुर में बनने वाला उत्‍तर प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। उत्‍तर प्रदेश के आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी ने कहा कि प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय करीब 299 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है। इसका निर्माण तेजी से होगा और 36 महीने में इसे पूरा कर लिया जाएगा।

अभी 12 विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं 94 महाविद्यालय

आयुष विश्वविद्यालय के भूमिपूजन एवं शिलान्यास कार्यक्रम में मौजूद राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द, प्रथम महिला नागरिक सविता कोविन्द, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि अत्यंत खुशी एवं गौरव की बात है कि राष्ट्रपति आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने यहां आए हैं। प्रदेश में आयुष की विभिन्न पद्धतियों से जुड़े 94 महाविद्यालय हैं। इन्हें 12 विश्वविद्यालयों से संबद्ध कर संचालित किया जा रहा है।

इसके चलते न तो इनके पाठ्यक्रम में एकरूपता है और न ही सत्र नियमित हो पाता है। कोई स्पष्ट दिशानिर्देश न होने के कारण छात्रों को समस्या होती है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया है और इसकी स्थापना के साथ ही पाठ्यक्रम भी एक समान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आयुष कवच एप के माध्यम से प्रतिदिन करीब 26 लाख लोग आयुर्वेद एवं अन्य विधाओं के जरिए चिकित्सा सुविधा प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयुष विभाग चिकित्सा सुविधा देने में प्रतिदिन प्रगति करेगा।

नवीन प्रकल्प की सुगंध से महका गुरु गोरक्ष का उपवन

ब्र्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के सपनों के साकार होने का दिन था तो योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षा के आकार लेने का भी। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के रूप में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद को एक महत्वपूर्ण पड़ाव जो मिल रहा था। इसकी खुशी विश्वविद्यालय के लोकार्पण अवसर पर पंडाल में मौजूद हर व्यक्ति के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के हाथों विश्वविद्यालय का लोकार्पण देखने के लिए पंडाल में उमड़ी भीड़ इसे लेकर लोगों के उत्साह की गवाही थी। राष्ट्रपति ने संबोधन में तीन वर्ष पहले अपने द्वारा दी गई गोरखपुर को सिटी आफ नालेज बनाने की सलाह को पूरा होता दिखने की बात कहकर उस उत्साह पर मुहर लगा दी।

अपने दिए लक्ष्य को तीन वर्ष में पूरा होता देख आह्लादित हुए राष्ट्रपति

कार्यक्रम तो दोपहर बाद दो बजे निर्धारित था लेकिन आयोजन स्थल पर लोगों के पहुंचने का सिलसिला सुबह से ही शुरु हो गया। 11 बजते-बजते कार्यक्रम के लिए पंडाल में लगी सभी कुर्सियां भर गई थीं। अब इंतजार था तो राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के मंचासीन होने और उन्हें सुनने का। हालांकि लोगाें के आयोजन स्थल पर पहुंचने और राष्ट्रपति के मंचासीन होने के बीच के समय को भरने के लिए सांस्कृतिक आयोजनों का सिलसिला तो लगातार चल रहा था लेकिन लोगों की नजरें बार-बार मंच पर आने वाले अतिथियों को तलाश रही थीं। इंतजार की घड़ियां तब समाप्त हुईं, जब मंच का संचालन कर रहे श्रीभगवान सिंह राष्ट्रपति के आने की सूचना दी। उसके बाद पहले राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और योगी आदित्यनाथ मंच पर आए और उसके राष्ट्रपति ने अपनी पत्नी सविता कोविंद के साथ निधारित कुर्सी पर स्थान ग्रहण किया।

राष्ट्रपति के हाथों लोक तक पहुंचा महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय

मौजूद जनसमूह ने राष्ट्रपति का खड़े होकर अभिवादन किया। इन अतिथियों के अलावा मेजबान के तौर पर मंच पर विश्वविद्यालय के प्रति कुलाधिपति प्रो. यूपी सिंह, कुलपति मेजर जनरल अतुल वाजपेयी और अपर मुख्य सचिव मोनिका गर्ग भी मौजूद थीं। राष्ट्रगान के बाद मंच पर सबसे कुलपति ने अतिथियों के स्वागत किया। सरस्वती वंदना के बाद मुख्यमंत्री योगी ने विश्वविद्यालय की स्थापना के उद्देश्य और लक्ष्य पर प्रकाश डाला। इसी क्रम में राज्यपाल ने अपने संबोधन में नई शिक्षा नीति के नए आयाम बताए। अंत में राष्ट्रपति संबोधन के लिए आए तो उन्होंने यह कहकर सबका दिल जीत लिया कि तीन वर्ष से भी कम समय में उन्हें एक बार गोरखपुर में आने का अवसर मिला है और यह देखकर उन्हें संतोष हो रहा है कि गोरखपुर को सिटी आफ नालेज बनाने की जो सलाह उन्होंने दी थी, वह सच होती दिख रही है। अपने 11 मिनट 20 सेकेंड के संबोधन में उन्होंने पूर्वांचल के शैक्षिक और सामाजिक पुनर्जागरण में गोरक्ष पीठ के योगदान पर खुल कर चर्चा की। राष्ट्रपति का संबोधन सुन सभी गौरवान्वित नजर आए।

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