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बाहर से आया खराब खाद्यान्न या एफसीआइ गोदाम में मिलाई गई मिट्टी Gorakhput News

धान व गेहूं की खरीद खाद्य विभाग की निगरानी में होती है। यहां से एफसीआइ के गोदाम में अनाज भेजा जाता है पर गोरखपुर के गोदाम में बड़े पैमाने पर मिट्टी मिले होने के प्रकरण ने एफसीआइ की साख खराब की है।

By Satish chand shuklaEdited By: Updated: Mon, 18 Jan 2021 06:12 PM (IST)
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कूड़ाघाट के नन्दानगर में भारतीय खाद्य निगम खाद्य संग्रह भंडार गृह ।
गोरखपुर, जेएनएन। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के गोदाम में अनाज रखने से पहले भारत सरकार की ओर से निर्धारित मानकों पर उसे परखा जाता है। दावा यही होता है कि सभी मानकों पर खरा उतरने के बाद ही उसे गोदाम में रखा जाता है। पर, चौरीचौरा व ब्रह्मपुर में कुछ दिन पहले एफसीआइ के कूड़ाघाट डिपो से भेजे गए गेहूं में मिट्टी मिली थी। इस प्रकरण ने मानकों पर परखने के एफसीआइ के दावों की पोल खोल कर रख दी है। एक बड़ा सवाल चर्चा में है कि गोदाम में मिट्टी मिला गेहूं बाहर से आया या फिर किसी ने गोदाम में ही मिट्टी मिला दी। फिलहाल एफसीआइ के स्थानीय अधिकारी इस सवाल का जवाब देने से बच रहे हैं।

  धान व गेहूं की खरीद खाद्य विभाग की निगरानी में होती है। यहां से एफसीआइ के गोदाम में अनाज भेजा जाता है लेकिन इससे पहले भारत सरकार की ओर से तय मानकों पर खाद्यान्न को परखा जाता है। इसमें कंकड़-पत्थर या मिट्टी की मिलावट, नमी आदि की जांच होती है। एफसीआइ के गोदाम से ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए आम लोगों तक खाद्यान्न पहुंचाया जाता है, इसलिए इसकी गुणवत्ता से समझौता नहीं होता। पर, गोरखपुर के गोदाम में बड़े पैमाने पर मिट्टी मिले होने के प्रकरण ने एफसीआइ की साख खराब की है।

रविवार के दिन भी बुलाए गए मजदूर, अलग की गई मिट्टी

नंदानगर। एफसीआइ के गोदाम में कार्यदिवस में तो मजदूरों का आना-जाना होता है लेकिन रविवार के दिन उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाता। डिपो मैनेजर की अनुमति के बाद ही उन्हें किसी खास अवसर पर बुलाया जाता है। पर, इस रविवार को सुबह नौ बजे करीब 10 मजदूरों को अंदर प्रवेश दिया गया। उन्होंने पूरे दिन करीब ढाई सौ बोरी गेहूं से चालकर मिट्टी निकाली, उसके बाद बोरे की सिलाई शुरू हो गई। एफसीआइ के अधिकारी जल्दी-जल्दी इस गलती पर परदा डालने में जुटे हैं। मजदूर शाम छह बजे के बाद बाहर निकले।

जवाब देने से बचते रहे अधिकारी

एफसीआइ के एरिया मैनेजर ऋषि कुमार सिन्हा एवं कूड़ाघाट डिपो मैनेजर डीएन शर्मा दूसरे दिन भी इस मामले में जवाब देने से बचते रहे। उन्हें फोन किया गया और वाट््सएप पर मैसेज कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया।

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