पूर्वांचल की सूरत बदलेगी 29.2 वर्ग किमी में फैली बखिरा झील, डल झील की तरह विकसित करने की तैयारी
बखिरा झील के रामसर साइट घोषित होने के बाद दुनिया भर की नजरें यहां पर टिकी हैं। बखिरा झील को 1990 में केंद्र सरकार ने पक्षी बिहार घोषित किया था। इसे श्रीनगर की डल झील की तरह विकसित करने की तैयारी है।
By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 19 Aug 2022 08:42 AM (IST)
गोरखपुर, जितेन्द्र पाण्डेय। संतकबीरनगर जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर की दूर खलीलाबाद-मेंहदावल मार्ग पर 29.2 वर्ग किलोमीटर में फैली बखिरा झील आने वाले दिनों पूर्वांचल की शान बनेगी। प्रदेश सरकार इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेज चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित मंत्री परिषद की बैठक में इको टूरिज्म बोर्ड के गठन निर्णय लिया गया है। बोर्ड का उद्देश्य पर्यावरणीय पर्यटन को बढ़ावा देना। ऐसे में बखिरा पक्षी बिहार बड़ी उम्मीद के रूप में देखा जा रहा है। अर्थात अब तक उपेक्षा दंश झेलते रहे बखिरा के आंगन में जल्द खुशियां उतरने वाली हैं।
डल झील जैसा फील देगी बखिरा झीलबखिरा के मोती झील का समुचित विकास हो तो पूर्वांचल के लोगों के लिए यह श्रीनगर के डल झील से कम रोमांचकारी नहीं होगा। जाड़े के दिनों में यह झील रंग-बिरंगे विदेशी पक्षियों के झुंड से गुंजायमान रहती है। झील में मौजूद मछलियां व अन्य जलीय वनस्पतियां यहां के वातावरण को पूरी तरह स्वस्थ बनाती हैं। चार वर्ष पूर्व प्रदेश के तत्कालीन प्रधान मुख्य वनसंरक्षक वन्यजीव ने यहां किनारे-किनारे बांध निर्माण, वाच टावर, गेस्ट रूम, जेट्टी निर्माण, नेचर ट्रेल (मिट्टी के टीले, जिस पर पक्षी आकर बैठ सकें), नाव, इंटर पटेशन सेंटर सहित तमाम चीजों के निर्माण व वेटलैंड मैनेजर नियुक्त करने को लेकर एक वृहद कार्ययोजना बनायी थी। इस परियोजना के तहत झील से सिल्ट-गाद बाहर निकालकर उसे और गहरा किया जाना था। परियोजना प्रदेश सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजी भी गई थी, लेकिन इस परियोजना को अभी मंजूरी नहीं मिल सकी है। लोगों को मानना है कि इको टूरिज्म बोर्ड गठित होने से बोर्ड इस परियोजना के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहेगा। इससे बखिरा आने वाले दिनों में प्रदेश के बड़े इको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित होगा।
बखिरा झील का कुल क्षेत्रफल- 2894.21 हेक्टेयरबखिरा को मिला पक्षी बिहार का दर्जा- 1990
बखिरा रामसर साइट में घोषित- 2021जैव विविधता का खजाना है बखिरा झील प्रदेश की 10 रामसर साइटों में बखिरा एक है। रामसर साइट घोषित होने के बाद दुनिया भर की नजरें यहां पर टिकी हैं। बखिरा की मोती झील जैव विविधता का खजाना है। बखिरा झील को 1990 में केंद्र सरकार ने पक्षी बिहार घोषित किया था। साइबेरिया, रूस समेत अनेक देशों के पक्षी यहां ठंड के सीजन में आते हैं। नवंबर से लेकर फरवरी माह तक यहां लालसर, जलकौआ, सिलेटी, पटेरा, टिकिया, सुरखाब, मोरार, धनेश, सफेद बाज आदि पक्षियों के कलरव से झील गुलजार रहती है।
प्रतिबंधध के बावजूद होता है पक्षियों का शिकारबखिरा झील में प्रतिबंध के बावजूद शिकारी यहां चोरी-चुपके प्रवासी परिंदों का शिकार करते हैं। कहीं जाल तो कहीं विषैले अनाज के माध्यम से रोक के बावजूद पक्षियों को शिकार बनाकर कारोबारी मुंहमांगे दामों पर बेचते हैं।सीमांकन बना रोड़ाबखिरा झील के विकास में सीमांकन एक बड़ा रोड़ा है। किसानों और पक्षी बिहार के बीच भूमि का मामला फंसा होने से यहां अनधिकृत लोगों का प्रवेश रोकने में वन विभाग सफल नहीं हो पा रहा है। खेती की आड़ में यहां शिकारी झील परिसर में जाकर पक्षियों का शिकार करते हैं।
बखिरा झील का विकास मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। इसके विकास के लिए तमाम प्रस्ताव बनाकर भेजे जा चुके हैं। इको टूरिज्म बोर्ड गठित होने से इसके विकास में तेजी आएगी। - जगदंबिका प्रसाद, प्रभागीय वनाधिकारी संतकबीरनगर।
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