Bansgaon Seat: कांग्रेस-BJP के दो दिग्गज आमने-सामने, क्या पार्टी बदलने से चमकेगी सदल प्रसाद की किस्मत; बिछ गई बिसात
बांसगांव सुरक्षित लोकसभा सीट की बिसात पर जाने-पहचाने मोहरे ही आमने-सामने होंगे। पिछले दो चुनावों से भाजपा के कमलेश पासवान को टक्कर दे रहे पूर्व मंत्री सदल प्रसाद तीसरी बार भी उनके सामने होंगे अंतर इतना होगा कि इस बार हाथी पर सवार होने की बजाय वह हाथ के साथ होंगे और उन्हें साइकिल की गति का सहारा भी मिलेगा।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बांसगांव सुरक्षित लोकसभा सीट की बिसात पर जाने-पहचाने मोहरे ही आमने-सामने होंगे। पिछले दो चुनावों से भाजपा के कमलेश पासवान को टक्कर दे रहे पूर्व मंत्री सदल प्रसाद तीसरी बार भी उनके सामने होंगे, अंतर इतना होगा कि इस बार हाथी पर सवार होने की बजाय वह हाथ के साथ होंगे और उन्हें साइकिल की गति का सहारा भी मिलेगा।
इस लोकसभा क्षेत्र से सदल चौथी बार प्रत्याशी बन रहे हैं, हर बार उन्हें दूसरा स्थान ही मिला है। सदल प्रसाद बसपा के कद्दावर नेता रहे हैं। बसपा सरकार में वह मंत्री भी रहे। उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव 2004 में लड़ा था। इस चुनाव में वह कांग्रेस के कद्दावर नेता महावीर प्रसाद से लगभग 17 हजार मतों से पराजित हो गए थे। तीन साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में वह खजनी से विधायक बने।
इस बार प्रदेश में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और सदल को मंत्री बनाया गया। मंत्री रहने के दौरान वह 2009 के लोकसभा चुनाव से दूर रहे। 2012 में सरकार चली गई और उन्हें विधानसभा चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा। बसपा सुप्रीमो ने 2014 में हुए 16वीं लोकसभा के चुनाव में सदल पर एक बार फिर भरोसा जताया।
सदल के सामने भाजपा के टिकट पर दूसरी बार सांसद बनने के लिए कमलेश पासवान थे। इस चुनाव में कमलेश की जीत हुई और सदल को दूसरा स्थान मिला। मोदी लहर के इस चुनाव में कमलेश को लगभग 21 प्रतिशत मत अधिक मिले थे। 2019 के चुनाव में सदल का एक बार फिर भाजपा के कमलेश से आमना-सामना हुआ। सदल इस बार बसपा व सपा के गठबंधन से चुनाव मैदान में थे।
2014 की तुलना में उन्हें लगभग 14 प्रतिशत मत अधिक जरूर मिले लेकिन इस बार भी वह दूसरे स्थान पर ही रहे। चार बार दूसरे स्थान पर रहने वाले सदल ने कुछ दिन पहले ही दिल्ली में कांग्रेस की सदस्यता ली थी। तभी से माना जा रहा था कि उन्हें कांग्रेस बांसगांव से लड़ा सकती है। पार्टी का मानना है कि चार बार रनर रहे सदल के साथ सहानुभूति भी रहेगी।
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