Sabarmati Express Derail: गोंडा हादसे की जांच पूरी होने से पहले फिर दुर्घटना ने बढ़ाई चिंता, अलर्ट मोड पर अधिकारी
पूर्वोत्तर रेलवे ने ट्रेन परिचालन को लेकर भी सतर्कता बढ़ा दी है। पूरी तरह प्रशिक्षित लोको पायलटों को ही ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी दी जा रही है। यानी एक्सप्रेस ट्रेन के लोको पायलट एक्सप्रेस तथा पैसेंजर और मालगाड़ी के लोको पायलट पैसेंजर और मालगाड़ी ही चला रहे हैं। यानी किसी भी दशा में पैसेंजर या मालगाड़ी के लोको पायलट को एक्सप्रेस लेकर चलने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। अभी गोंडा रेल हादसे की जांच पूरी भी नहीं हुई कि कानपुर सेंट्रल-वीरांगना लक्ष्मी बाई झांसी खण्ड के गोविन्दपुरी-भीमसेन स्टेशनों के मध्य हुई फिर ट्रेन दुर्घटना ने चिंता बढ़ा दी है। गोंडा हादसे को लेकर पहले से बैकफुट पर चल रहा रेलवे प्रशासन सतर्क हो गया है।
यद्यपि, अलर्ट मोड में चल रहा रेलवे ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाओं पर अंकुश लगाने की तमाम कवायदें कर रहा है, लेकिन यह थमने का नाम नहीं ले रही। यह दुर्घटनाएं ''''रेलवे की प्राथमिकताओं में है संरक्षा'''' के दावों पर सवाल खड़ा कर रही हैं।
जानकारों का कहना है कि गोंडा रेल हादसे के एक माह पूरे हो गए हैं, लेकिन जांच पूरी नहीं हुई है। जांच अधिकारी ने रेल लाइनों का भौतिक परीक्षण तो कर लिया है, लेकिन अभी भी बोगियों और पहियों का निरीक्षण बाकी रह गया है।
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देखना है कि कहीं बोगियों और पहियों में कहीं खामी तो नहीं थी, इसके लिए जांच अधिकारी ने रेलवे प्रशासन से गोंडा में 35 घंटे का ब्लाक भी मांगा था, जिसे रेलवे प्रशासन ने खारिज कर दिया है। अब जांच अधिकारी नए सिरे से बोगियों के पहिये की जांच करने में जुट गए हैं।
नियमानुसार एक माह के अंदर प्राथमिक जांच रिपोर्ट दे देनी होती है, लेकिन प्रक्रिया को देखकर नहीं लग रहा कि जांच अभी जल्दी पूरी हो पाएगी। शुक्रवार की रात कानपुर के पास साबरमती ट्रेन के पटरी से उतर जाने के बाद रेलवे प्रशासन ने संरक्षा मामलों की समीक्षा शुरू कर दी है।
हालांकि, बोर्ड के निर्देश पर पूर्वोत्तर रेलवे के परिचालन, वाणिज्य, विद्युत, इंजीनियरिंग और यांत्रिक आदि विभागों के छोटे से लगायत बड़े सभी अधिकारी दफ्तर छोड़ रेल लाइनों पर निकल गए हैं। वे स्टेशन यार्ड और समपार फाटकों के अलावा रेल लाइनों का निरीक्षण कर रहे हैं।
अधिकारी संरक्षा और सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए रात के समय ट्रेनों के इंजनों पर चलकर फुट प्लेटिंग कर पटरियों की निगरानी कर रहे हैं, ताकि समय रहते रेल लाइनों को दुरुस्त कर दुर्घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगाया जा सके।
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह कहते हैं कि ‘संरक्षा एवं सुरक्षा‘ रेलवे की पहली प्राथमिकता है। इसे सुदृढ़ रखने के लिए सतत निगरानी और मानिटरिंग की जाती है। इसीक्रम में उच्चाधिकारियों द्वारा रेलवे के सभी एसेट जैसे कि वर्कशाप, डिपो, यार्ड इत्यादि का गहन निरीक्षण किया जा रहा है। ट्रेनों में बेहतर यात्री सुविधा सुनिश्चित करने हेतु भी निरीक्षण किया जा रहा है।
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प्रशिक्षित लोको पायलटों के जिम्मे पूर्वोत्तर रेलवे की ट्रेनें
सहायक लोको पायलटों और लोको पायलटों को अलग-अलग ट्रेनों को संचालित करने के लिए प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं। जिनमें उन्हें विशेष प्रशिक्षण प्राप्त होता है। लखनऊ मंडल ने इस व्यवस्था को पूरी तरह से लागू भी कर दिया है।
रेल लाइन बाधित होते ही बदल गए कई ट्रेनों के रास्ते
साबरमती एक्सप्रेस के बेपटरी होने के बाद रेल लाइन बाधित होते ही कई ट्रेनों के रास्ते बदल गए। गोरखपुर रूट पर चलने वाली ट्रेनें भी मार्ग बदलकर चलाई गईं। मार्ग बदलने से ट्रेनें विलंबित हुईं। यात्री परेशान रहे।
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी के अनुसार 22537 गोरखपुर- एलटीटी कुशीनगर, 20104 गोरखपुर-एलटीटी सुपरफास्ट, 15066 पनवेल- गोरखपुर एक्सप्रेस, 11123 ग्वालियर-बरौनी, 12591 गोरखपुर-यशवंतपुर, 05303 गोरखपुर-महबूबनगर स्पेशल, 05326 लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर, 11080 गोरखपुर-लोकमान्य तिलक टर्मिनस एक्सप्रेस मार्ग बदलकर चलाई गईं।