ठगों से सावधान रहें, सोशल मीडिया पर चंदा नहीं मांग रहा गीताप्रेस Gorakhpur News
गीता प्रेस की आर्थिक स्थिति खराब होने की बात कह कर कुछ लोग सोशल मीडिया पर ठगी कर रहे हैं। गीता प्रेस प्रबंधन ने लोगों से अपील की है कि वे गीता प्रेस के नाम पर किसी को कोई चंदा न दे
By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Thu, 03 Sep 2020 05:20 PM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। गीताप्रेस में न तो आर्थिक संकट है न ही प्रेस बंद है। पुस्तकों के प्रकाशन का कार्य सुचारु रूप से चल रहा है। गीताप्रेस किसी तरह का अनुदान या आर्थिक मदद नहीं लेता है। यह बातें ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर चल रही उन अफवाहों का खंडन करते हुए कहीं, जिसमें गीताप्रेस के बंद होने की बात कहते हुए चंदा मांगा जा रहा है।
उधर, गीताप्रेस प्रबंधन ने भी बुधवार को विज्ञप्ति जारी कहा कि कुछ संगठित क्षेत्र के लोग सोशल मीडिया पर आर्थिक संकट के कारण गीताप्रेस के बंद होने की अफवाह फैला रहे हैं। गीताप्रेस की मदद के नाम पर लोगों से ठगी की जा रही है। ऐसे लोगों से सावधान रहें। संस्था किसी तरह का अनुदान स्वीकार नहीं करती है।बता दें कि वर्ष 2015 में वेतन को लेकर असंतोष के चलते कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। विवाद आगे न बढ़े, इसके लिए प्रबंधन ने प्रेस बंद कर दिया था। हालांकि दस दिन में समझौता हो जाने के बाद प्रेस का काम सुचारू हो गया। उसी दौरान मेरठ, दिल्ली, कोलकाता में कुछ लोगों ने गीताप्रेस के बंद होने का संदेश सोशल मीडिया पर प्रसारित कर चंदा मांगना शुरू कर दिया। गीताप्रेस से जुड़े लोगों को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने प्रबंधन से बात कही। इसके बाद गीताप्रेस ने बैंक खाता बंद कर दिया, जिससे कि कोई इसमें रुपये जमा न कर सके। गीताप्रेस ने इसकी सूचना भी प्रसारित करा दी कि कोई आर्थिक संकट नहीं है और संस्था किसी से चंदा या अनुदान नहीं लेती। इसी पुराने संदेश की आड़ में लोग चंदा वसूलने की कोशिश करते हैं।
लॉकडाउन ने खत्म किया गीताप्रेस में पुस्तकों का स्टाक लॉकडाउन और थानावार बंदी में गीताप्रेस के बंद रहने के कारण कल्याण पत्रिका के अप्रैल, मई और जून के अंक ही प्रकाशित हो पाए। गीताप्रेस में पुस्तकों का स्टाक भी लगभग खत्म हो गया है। पुस्तक विक्रेताओं की मांग के अनुसार छपाई नहीं हो पा रही है। वहीं, गीताप्रेस के संबंध में ट्वीटर पर चले अभियान के बाद ऑनलाइन मांग तेजी से बढ़ी है। पांच सौ की संख्या में पाठकों के ऑनलाइन आर्डर लंबित हैं, गीताप्रेस उन्हें पुस्तकें नहीं भेज पा रहा है। रामायण, गीता आदि महत्वपूर्ण पुस्तकों का स्टॉक 80 फीसद तक कम हो गया है। मोटे अक्षरों वाली गीता व सुंदर कांड मूल की प्रति नहीं बची है।
दो लाख पुस्तकों का आर्डर लंबितगीताप्रेस में ऑनलाइन आर्डर के अलावा दुकानदारों व प्रेस के निजी बिक्री केंद्रों से लगभग दो लाख पुस्तकों की मांग आई है। गीताप्रेस सभी को पुस्तकें नहीं भेज पा रहा है। स्टेशन के स्टाल खुले तो और बढ़ेगा संकटरेलवे स्टेशनों पर पूरे देश में गीताप्रेस के 50 स्टाल बंद चल रहे हैं। ये स्टाल खुल गए तो संकट और बढ़ेगा।
कितने हैं बिक्री केंद्र गीताप्रेस के 20 बिक्री केंद्रअन्य बुकसेलर 2500स्टेशन स्टाल 50इन पुस्तकों की सर्वाधिक कमी श्रीरामचरितमानसश्रीमद्भगवद्गीताशिव पुराणसुंदरकांडहनुमान चालीसाश्रीमद्भागवत पुराणपुस्तकों की मांग लगातार आ रही है लेकिन हम आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। आर्डर लंबित पड़े हुए हैं। शनिवार की बंदी खत्म होने से उत्पादन लगभग 16 फीसद बढ़ जाएगा। - लालमणि तिवारी, उत्पाद प्रबंधक, गीताप्रेस
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