यूपी के इस जिले में दलालों के पाले में 'आशा', सरकारी अस्पताल के हिस्से में आ रही निराशा
सूत्रों की मानें तो एक गर्भवती को निजी अस्पताल पहुंचाने पर 10 हजार रुपये कमीशन के तौर पर मिलते हैं। सीजेरियन आदि का खर्च वसूलने के बाद अतिरिक्त कमाई के लिए अस्पताल नवजात को एनआइसीयू में रख देते हैं। इसके एवज में वह प्रतिदिन आठ हजार रुपये तक वसूलते हैं। इस तरह की शिकायतों को लेकर सीएमओ डा. आशुतोष दूबे अपने स्तर पर आशा बहुओं की निगरानी करा रहे हैं।
गजाधर द्विवेदी, गोरखपुर। सीएचसी भटहट के आसपास दलालों के घूमने से अधीक्षक डा. अश्विनी चौरसिया परेशान हैं। उच्चाधिकारियों से मौखिक शिकायत कर चुके हैं। उन्होंने दो जासूस भी लगा रखे हैं, जिन्हें ओपीडी के समय किसी संदिग्ध के दिखने पर फोटो और वीडियो बनाने को कहा गया है।
डा. अश्विनी का कहना है कि कोई ठोस सबूत हाथ लग जाए, तो इस संबंध में डीएम को पत्र लिखूंगा। रोगियों की दलाली के खेल में वह आशा की भूमिका भी संदिग्ध मान रहे हैं। इस तरह की शिकायतों को लेकर सीएमओ डा. आशुतोष दूबे अपने स्तर पर आशा बहुओं की निगरानी करा रहे हैं।
सीएचसी से लेकर पीएचसी तक फैले दलालों के जाल गर्भवतियां भी शिकार बन रही हैं। आशा बहुओं से गठजोड़ कर दलाल गर्भवतियों को प्रसव के लिए निजी अस्पतालों में भेज दे रहे हैं। इसके कारण सभी संसाधन होने के बाद भी सरकारी अस्पताल लक्ष्य के सापेक्ष प्रसव नहीं करा पा रहे हैं। वर्ष 2023-24 में सरकारी अस्पतालों में संस्थागत प्रसव का लक्ष्य 82800 रखा गया है, लेकिन फरवरी तक मात्र 47809 प्रसव ही हो पाए। इस अवधि में निजी अस्पतालों में प्रसव की संख्या 55910 है।
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डेढ़ वर्ष पूर्व भटहट के बरगदही की गर्भवती को आशा गांव से 102 नंबर एंबुलेंस से सीएचसी भटहट ले आई। वहां से बैलो रोड स्थित एक निजी अस्पताल में ले जाकर भर्ती करा दिया। वहां जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गई थी। इसके बाद गर्भवती की दलाली में आशा पकड़ में आई और उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। इससे पहले भी ऐसी कुछ घटनाएं घट चुकी हैं, जो यह बताती हैं कि थोड़े से रुपयों की लालच में दलाल गर्भवतियों की जान से खेल रहे हैं।
एक प्रसव के बदले 10 हजार तक कमीशनसूत्रों की मानें तो एक गर्भवती को निजी अस्पताल पहुंचाने पर 10 हजार रुपये कमीशन के तौर पर मिलते हैं। सीजेरियन आदि का खर्च वसूलने के बाद अतिरिक्त कमाई के लिए अस्पताल नवजात को एनआइसीयू में रख देते हैं। इसके एवज में वह प्रतिदिन आठ हजार रुपये तक वसूलते हैं।इसे भी पढ़ें- रामलला सोने के कटोरे में पांच बार ग्रहण करते मधुपर्क, इस वजह से भोग में शामिल किया गया दही
स्वास्थ्य केंद्रों का फरवरी में तय लक्ष्य व प्राप्तिकेंद्र-लक्ष्य-प्राप्तिहरनही- 100- 25बांसगांव- 300- 148पाली- 300 -141डेरवा- 200- 114गगहा- 300- 148चौरीचौरा- 100- 67पिपरौली- 300- 177सहजनवां- 300- 175बेलघाट- 300- 195कौड़ीराम- 300- 216सिंहोरिया- 100- 67जंगल कौड़िया- 300- 238
पिपराइच- 200- 136चरगांवा- 300- 246बरही- 100- 36गोला- 300- 229बड़हलगंज- 100- 89सरदार नगर- 200- 207ब्रह्मपुर- 200- 199खोराबार- 300- 266खजनी- 200- 211कैंपियरगंज- 300- 365शहरी केंद्र- 1200- 1110
सीएमओ डा. आशुतोष कुमार दूबे ने कहा कि आशा की गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा रही है। कर्मचारियों को भी हिदायत दी गई है कि यदि आशा की गतिविधि संदिग्ध लगे तो तत्काल उच्चाधिकारियों को सूचित करें। सरकारी अस्पतालों में संस्थागत प्रसव का लक्ष्य पूरा करने की कोशिश की जा रही है।
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