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Chhath Puja 2024: गोरखपुर में छठ की छटा नयनाभिराम

छठ पूजा में गोरखपुर में छठ की छटा नयनाभिराम रही। छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी और सूर्य को अर्घ्य दिया। क्षितिज पर लालिमा बिखेर सूर्य देव अस्ताचलगामी होते हैं उधर घाट पर अर्घ्य शुरू हो जाता है। छठ माता की पूजा-अर्चना की गई और लोकगीतों की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो गया। नगर निगम की ओर से छठ घाटों को प्लास्टिक मुक्त बनाने की पहल की गई थी।

By ashutosh mishra Edited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 08 Nov 2024 01:42 PM (IST)
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छठ पर्व के अवसर पर राप्ती के किनारे सूर्य देव का पूजन अर्चन करती महिला श्रद्धालु। अभिनव राजन चतुर्वेदी
आशुतोष मिश्र, जागरण गोरखपुर। लोक आस्था को रास्ता देने को मानों बाजार ने व्यवहार बदला हो। गुरुवार दोपहर तीन बजे सड़क पर न तो रोज की तरह वाहनों का कोलाहल है, न कहीं जाम। धर्मशाला से गोरखनाथ जाने वाले हाईवे पर बीच-बीच में फर्राटा भरते टेंपो और ई-रिक्शा से ''...बहंगी लचकत जाए'' जैसे छठ गीतों का सुमधुर संगीत ही सुनाई देता है।

सिर पर दउरा लिए कोई तेजी से छठ घाट की ओर बढ़ रहा है, तो कहीं माताओं की टोलियां ''कबहुं ना छूटी छठि मइया हमनी से बरत तोहार...'' गुनगुनाते चल रही हैं। साढ़े तीन बजते-बजते श्रद्धा का यह प्रवाह छठ घाटों को सजा देता है। धूप, दीप और अगरबत्ती की सुगंध घनी होने लगती है और देखते ही देखते लोक आस्था भव्य आयाम ले लेती है।

अनगिनत माताओं के व्रत-तप से सिंचित होकर फिर वह नयनाभिराम दृश्य सृजित होता है, जिसे निहारने के लिए सूर्यकुंड धाम के सामने फ्लाईओवर का किनारा लोगों से भर जाता है।

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छठ पर्व के अवसर पर मानसरोवर मंदिर स्थित पोखरे पर पूजन अर्चन करती श्रद्धालु। संगम दूबे


घाट पर आकर हर भेद-विभेद मानों सरोवर में डूब जाता है और भक्ति भाव भीड़ को एक रंग में रंग देता है। अस्ताचलगामी को अर्घ्य देने की प्रतीक्षा में व्रती माताएं सरोवर में खड़ी हैं। भीड़ में कुछ पुरुष भी भुवन भास्कर की ओर मुंह कर हाथ जोड़े खड़े हैं। जिन्हें पानी में जगह नहीं मिली, उन्होंने सीढ़ियों पर जगह ले ली है।

छठ पर्व के अवसर पर सूर्यकुंड धाम स्थित पोखरे पर पूजन अर्चन करती श्रद्धालु। संगम दूबे


वेदियां दीपों से आलोकित हो रही हैं। कभी छठ माता को, तो कभी सूर्य देव को अगरबत्ती दिखाई जा रही है। कोई गंगा मइया को दीप समर्पित कर रहा है, तो कोई अगाध आस्था को चुल्लू में समेट कर सिर-माथे पर सजाने में लगा है। जिस ओर भी दृष्टि जाती है वहां प्रकृति प्रेमी सनातनी संस्कृति की आभा इसी तरह चटख होकर नभ और जल को एकीकार करती दिखती है।

छठ महापर्व के अवसर पर शाहपुर स्थित लक्ष्मी पार्क में पूजन अर्चन करते श्रद्धालु। जागरण


इसी बीच मिर्जापुर पचपेड़वा की 70 वर्षीय वीणा देवी दिखती हैं। उम्र के कारण वह देर तक खड़ी रहने में अक्षम हैं। वृद्धावस्था ने उन्हें शारीरिक रूप से कमजोर कर दिया है, लेकिन आस्था की ऊर्जा से उन्होंने 45 वर्ष से छठ व्रत करने का क्रम इस बार भी अटूट रखा है।

छठ महापर्व के अवसर पर राप्ती तट पर उमड़े श्रद्धालुओं के बीच अस्ताचलगामी सूर्यदेव को जल देतीं व्रती महिलाएं।-अभिनव राजन चतुर्वेदी।


रमदत्तपुर की अनीता छठ घाट पर अपने लड्डू गोपाल को भी संग ले आई हैं। इस भीड़ में बहुत सी सुहागिनें ऐसी भी हैं जिन्होंने व्रत तो नहीं रखा, लेकिन छठ मइया के प्रति श्रद्धा निवेदित करने घाट पर आई हैं।

गोरखनाथ मंदिर परिसर में स्थित भीम सरोवर पर छठ पूजा के दौरान सरोवर में खड़ी महिलाएं। पंकज श्रीवास्तव


अस्ताचलगामी को पूजने की बेला निकट आती है तो ऐसी सुहागिनों को व्रत रखने वाली परिचित माताएं पारंपरिक रूप से सिंदूर लगाती हैं। नाक से पूरी मांग तक सिंदूर सजने के बाद वो भी हाथ जोड़ खड़ी हो जाती हैं। इधर, क्षितिज पर लालिमा बिखेर सूर्य देव अस्ताचलगामी होते हैं, उधर घाट पर अर्घ्य शुरू हो जाता है।

छठ पर्व के अवसर पर सूर्यकुंड धाम स्थित पोखरे पर पूजन अर्चन के दौरान लड्डू गोपाल को लेकर पहुँची श्रद्धालु। संगम दूबे


आस्था का ज्वार उमड़-घुमड़ कर अब भोर की प्रतीक्षा में यहां से विदा होने लगता है। उधर, पास में बने मंच से लोक गायक मनोज मिहिर का गीत सुनाई देता है- ''उगा हे सूरज देव भोर भिनसरवा, अरघ के रे बेरवा, पूजन के रे बेरवा हो।''

गोरखनाथ मंदिर परिसर में स्थित भीम सरोवर पर छठ पूजा के लिए गन्ना लेकर जाती युवतीयां।-पंकज श्रीवास्तव


घाट पर पूजन के बाद किया छठ माता का दर्शन

सूर्यकुंड धाम पर माताओं ने घाट पर पूजन के बाद परिसर में सजे पंडाल में छठ माता की प्रतिमा का दर्शन किया। बहुत से लोगों ने मां की प्रतिमा के समक्ष श्रद्धा निवेदित करते हुए फोटो भी खिंचवाए, जिससे कि लोक के इस रंग की यादों को वह सदा के लिए सहेज सकें।

छठ पर्व के अवसर पर सूर्यकुंड धाम स्थित पोखरे पर पूजन अर्चन के दौरान सेल्फी लेतीं श्रद्धालु। संगम दूबे


उत्साही युवा इसमें सबसे आगे रहे। युवक-युवतियां और बच्चे घाट की मनोहारी छटा के विविध रंगों को अपने मोबाइल कैमरे में कैद करते रहे। कोई वीडियो रिकार्ड कर रहा था तो कोई फोटो खींचते-खिंचाते मिला।

गोरखनाथ मंदिर परिसर में स्थित भीम सरोवर पर छठ पूजा के दौरान एक दुसरे को सिन्दूर लगाती महिलाएं।-जागरण


घाटों पर सजे गन्ने बता रहे थे शुभ-मंगल

सूर्यकुंड धाम हो या मानसरोवर चाहे भीम सरोवर, बड़ी संख्या में वेदियों के पास गन्ने खड़े करके सजाए गए थे। कंधे पर गन्ने उठाए चंदन वर्मा और शिवांश मानसरोवर परिसर में प्रवेश करते दिखे। पूछने पर चंदन ने बताया कि उनके परिवार में मांगलिक आयोजन हुआ है, इसीलिए कोसी भरी जा रही है।

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छठ पर्व के अवसर पर सूर्यकुंड धाम स्थित पोखरे पर पूजन अर्चन करती श्रद्धालु। संगम दूबे


कौन सा मांगलिक आयोजन पूछने पर उन्होंने अपने विवाह की जानकारी दी। इसी तरह जिन परिवारों में बच्चे जन्मे वो भी कोसी भर रहे थे। घाटों पर सजे गन्ने परिवारों में हुए शुभ-मंगल की जानकारी दे रहे थे।

गोरखनाथ मंदिर में स्थित भीम सरोवर में छठ पूजा करने के लिए उमड़ी महिला श्रद्धालुओं की भीड़।-पंकज श्रीवास्तव


अर्पण कलश ने जगाई स्वच्छता की अलख

नगर निगम की ओर से छठ घाटों को प्लास्टिक मुक्त बनाने की पहल की गई थी। इसके लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा था कि प्लास्टिक से परहेज करें। साथ ही पूजन सामग्री से निकलने वाले कचरे के निष्पादन के लिए जगह-जगह अर्पण कलश सजाए गए थे।

ये डस्टबिन थे, जिन्हें रंगकर आकर्षक बनाया गया था। इसके उपयोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए बैनर भी लगाए गए थे। इसके साथ ही नगर निगम की टीम ने श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए जगह-जगह शुभ छठ का संदेश देने वाली रंगोली भी सजाई थी।

गोरखनाथ मंदिर परिसर में स्थित भीम सरोवर पर छठ पूजा करने जाती महिलाएं। जागरण


मानसरोवर मंदिर में नगर निगम जोन आठ के इंस्पेक्टर सुधीर यादव और जोनल इंचार्ज अविनाश प्रताप सिंह के नेतृत्व में सौम्या मिश्रा, संजू, हिमांशु और शिवपूजन स्वच्छता के प्रति लोगों को आग्रही बनाने के लिए पैम्फलेट भी बांट रहे थे।

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