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Flood in Gorakhpur: व्यवस्था पर उठ रहा सवाल, शिक्षा ग्रहण के लिए नाव पर नौनिहाल

सदर तहसील के बहरामपुर उत्तरी बहरामपुर दक्षिणी शेरगढ़ और नहरहरपुर बाढ़ के पानी से घिर गया है। यहां बच्चों को स्कूल जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। जरूरी काम होने पर ही लोग नाव से घर से बाहर निकल रहे हैं। अधिकारियों ने बाढ़ सुरक्षा के साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए जगह-जगह बैठकें शुरू कर दी हैं।

By Prabhat Pathak Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 14 Jul 2024 12:41 PM (IST)
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राप्ती के पानी से घिरे बहरामपुर गांव स्थित अपने घर लौटने के लिए नाव का सहारा लेते स्कूली बच्चे। जागरण
प्रभात कुमार पाठक, जागरण, गोरखपुर। जिले में दो दर्जन गांव बाढ़ से घिरे हुए हैं। जिन गांवों में स्कूल बाढ़ में डूब गए हैं वहां तो छुट्टी कर दी गई है, लेकिन आसपास के इलाकों में संचालित निजी स्कूलों में कक्षाएं चल रही हैं। बाढ़ में घिरे गांवों के बच्चे नाव पर सवार होकर स्कूल पहुंच रहे हैं।

उफनाई नदी की जलधारा पर सफर कर स्कूल जा रहे मासूम कभी भी अनहोनी का शिकार हो सकते हैं। सामाजिक संगठनों के लोगों का कहना है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों सहित आसपास के विद्यालयों में स्थिति सामान्य होने तक छुट्टी की जाए, वरना कभी भी बड़ी अनहोनी हो सकती है।

बहरामपुर की रहने वाली कक्षा तीन की छात्रा अर्पिता, अन्नू, कक्षा पांच की अप्पी, कक्षा छह के अमन व कक्षा छह की छात्रा रवीना खजनी रोड के हरैया स्थित एमजी एकेडमी में पढ़ती हैं। स्कूल खुला रहने के कारण उन्हें नाव में बैठकर पढ़ने स्कूल जाना पड़ रहा है।

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इसी तरह बाढ़ के पानी से घिरे बहरामपुर दक्षिणी गांव की छात्रा कौशल्या साहनी, अंशिका साहनी और छात्र पवन को नौसढ़ स्थित आरके पब्लिक स्कूल में पढ़ने के लिए नाव से जाना पड़ रहा है। इसी तरह नौसढ़ स्थित एमपीएसपी एकेडमी में पढ़ने के लिए छात्रा मुस्कान, श्रृष्टि, निधि निषाद, पायल व छात्र आदित्य रोज बहरामपुर से जान जोखिम में डालकर स्कूल जा रहे हैं।

भिलोरा गांव के बीएन पब्लिक स्कूल के छात्र शिवम कुमार, नौसढ़ के जनता इंटर कालेज के छात्र अमन कुमार, छात्रा रवीना, सुनीता, रानी, गायत्री को इन दिनों स्कूल से बहरामपुर गांव स्थित अपने स्कूल जाने और वहां से घर पहुंचने के लिए जोखिम उठाकर बाढ़ के पानी में नाव की सवारी कर रहे हैं।

इसके अलावा हरैया के कक्षा तीन में पढ़ने वाली अदिशा व कक्षा दो में पढ़ने वाले आदर्श बहरामपुर के उन्हीं नौनिहालों में से हैं, जो हर रोज पढ़ाई के लिए जोखिम उठा रहे हैं। शहर के शेरगढ़ के पानी से घिर जाने के कारण वहां के भी बच्चों को भी मजबूरन नाव से स्कूल जाना पड़ा रहा है।

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उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष ज्ञानेंद्र ओझा का कहना है कि जिन स्कूलों में बच्चों को नाव से पढ़ने जाना पड़ रहा है, उनके प्रबंधन को गंभीरता दिखानी चाहिए। उन्हें बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए फिलहाल स्कूल बंद कर देना चाहिए, जिससे बच्चों जीवन खतरे में न पड़े।

गुरु कृपा संस्थान के संस्थापक महासचिव बृजेश राम त्रिपाठी बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता जता रहे हैं। उनका कहना है कि प्रशासन को तत्काल प्रभाव से ऐसे विद्यालयों को चिह्नित कर छुट्टी करानी चाहिए। वरना, कभी भी नाव पलटने के चलते बड़ी दुर्घटना हो सकती है। संस्था के द्वारा इस संबंध में जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर उचित कदम उठाने की मांग की जाएगी।

डीएम कृष्णा करूणेश ने कहा कि बाढ़ग्रस्त इलाकों के परिषदीय स्कूल बंद कर दिए गए हैं। ऐसे निजी स्कूल जो बंद नहीं हैं और वहां जाने के लिए बच्चों को नाव का सहारा लेना पड़ रहा है उन्हें बंद करने को लेकर बीएसए को निर्देशित किया गया है। यदि विद्यालय प्रबंधन निर्देश का अनुपालन नहीं करते हैं तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

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