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दीपावली पर सिंधी समाज में सजाई जाती है बच्‍चों की दुकानें, सिखाए जाते हैं व्यापार के संस्कार

सिंधी समाज में दीपावली पर हटड़ी पूजा आयोजित की जाती है। इसमें बच्‍चों को हटड़ी (मिट्टी के चार खाने वाला पात्र) दिया जाता है।शुभकामना देने घर आए लोग हटड़ी पर कुछ रुपये चढ़ाते हैं उसके बदले में बच्‍चे मिष्ठान आदि का प्रसाद देते हैं।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Updated: Fri, 29 Oct 2021 04:13 PM (IST)
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दीपावली पर सिंधी समाज में सजाई जाती है बच्‍चों की दुकानें। प्रतीकात्‍मक फोटो
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। सिंधी समाज में दीपावली पर हटड़ी पूजा आयोजित की जाती है। इसमें बच्‍चों को हटड़ी (मिट्टी के चार खाने वाला पात्र) दिया जाता है। हर खाने में मिष्ठान आदि रखा जाता है। वह बच्‍चों की दुकान होती है। शुभकामना देने घर आए लोग हटड़ी पर कुछ रुपये चढ़ाते हैं, उसके बदले में बच्‍चे मिष्ठान आदि का प्रसाद देते हैं। एक वर्ष की उम्र से ऊपर के बच्‍चों को इसमें शामिल किया जाता है। इस तरह बचपन से ही उनमें व्यापार के संस्कार पडऩे लगते हैं।

सिंधी समाज का मूल आधार है व्‍यापार

भारतीय सिंधी सभा के अध्यक्ष राजेश नेभानी ने बताया कि सिंधी समाज का मूल आधार व्यापार ही है, इसलिए बचपन से ही बच्‍चों में दुकान के प्रति ललक पैदा करने की कोशिश की जाती है। हटड़ी उनकी दुकान होती है, जिसके जरिये उन्हें पैसे मिलते हैं। इससे उनका मन दुकान की तरफ जाता है। धीरे-धीरे वे कब दुकानदार हो जाते हैं, उन्हें पता ही नहीं चलता। दीपावली पर यह पूजा हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है।

दूनिया भर में फैला है सिंधी समाज

देवा केशवानी ने बताया कि सिंधी समाज पूरी दुनिया भर में फैला हुआ है। ज्यादातर सिंधी व्यापारी या उद्योगपति हैं। उनके लिए दीपावली में हटड़ी पूजा का खास महत्व है। मान्यता है कि हटड़ी की पूजा करने से व्यापार व उद्योग में तरक्की होती है। पांच हजार वर्ष पुरानी सिंधु सभ्यता व संस्कृति में भी इस पूजा का महत्व था। तभी से यह पूजा अनवरत रूप से होती चली आ रही है।

बच्‍चे के जन्‍म पर की जाती है हटडी पूजा

ङ्क्षसधी परिवारों में जब ब'चा पैदा होता है तो उस साल उसके नाम से हटड़ी पूजा की जाती है। अगले साल से उस ब'चे को भी इसमें शामिल किया जाता है। उसकी हटड़ी के रूप में दुकान सजाई जाती है। इस साल भी यह परंपरा उत्साह के साथ मनाई जाएगी।

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