Nepal Election 2022: नेपाल चुनाव में सीधा दखल रहा रहा चीन, भारतीय सीमा से सटे क्षेत्रों पर है नजर
Nepal Election 2022 नेपाल की सियासत में चीन की दिलचस्पी का असर है कि कुछ दिनों पूर्व तक नेपाली कांग्रेस को समर्थन देने वाले जनता समाजवादी पार्टी के नेता उपेंद्र यादव अब केपी शार्मा ओली के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो चुनाव लड़ रहे हैं।
By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Sun, 20 Nov 2022 10:00 AM (IST)
गोरखपुर, विश्वदीपक त्रिपाठी। नेपाल में रविवार को होने वाले संसदीय व प्रांतीय विधानसभा चुनाव को लेकर चीन सक्रिय हो गया है। सत्ता में अपने समर्थकों का प्रभुत्व स्थापित करने के लिए वह हर जतन कर रहा है। कम्युनिस्ट पार्टियों को एकजुट करने का प्रयास अंतिम समय में भी जारी है।
छोटे दलों से गठबंधन कराकर अपना प्रभाव बढ़ा रहा ड्रैगन
चुनाव पूर्व इसमें सफलता न मिलती देख, अब वह चुनाव परिणाम के बाद समीकरण बैठाने के प्रयास में है। इसका असर भारतीय सीमा से सटे रुपंदेही, नवलपरासी व कपिलवस्तु में भी देखने को मिल रहा है। तराई में जनाधार रखने वाले छोटे दलों को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एमाले) के साथ गठबंधन कराया गया है। 2017 में हुए चुनाव में भी चीन ने वामपंथी दलों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
वामपंथी दलों को एक साथ लाने के लिए उप मंत्री के साथ भेजा प्रतिनिधिमंडल
चीन के सांस्कृतिक व पर्यटन उप मंत्री ली हुन 11 नवंबर को नेपाल आए थे। तीन दिवसीय दौरे पर आए ली हुन ने यहां की प्रमुख कम्युनिस्ट पार्टियों के नेताओं से बात की। उनके साथ प्रतिनिधिमंडल में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेता भी शामिल थे। इनकी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एमाले) के प्रमुख केपी शार्मा ओली, कम्युनिस्ट पार्टी आफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर ) के प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड व नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत समाजवादी )के अध्यक्ष माधव प्रसाद नेपाल से काठमांडू में मुलाकात हुई थी।अलग-थलग पड़े केपी शर्मा ओली
पुष्प कमल दहल प्रचंड व माधव प्रसाद नेपाल ने चुनाव के पहले या बाद में केपी शर्मा ओली का साथ देने से इंकार कर दिया। उपमंत्री तो तीन दिन बाद वापस बीजिंग लौट गए, लेकिन प्रतिनिधिमंडल के अधिकांश सदस्य काठमांडू के चीनी दूतावास में रुक नेपाल के राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। पुष्प दहल प्रचंड व माधव प्रसाद नेपाल नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि प्रमुख विपक्षी दल नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एमाले) उपेंद्र यादव की जनता समाज पार्टी व राजेंद्र लिंगदेन की राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी के साथ मैदान में हैं।
सीमावर्ती क्षेत्र में पैठ बना रही कम्युनिस्ट पार्टी
नेपाल की सियासत में चीन की दिलचस्पी का असर है कि कुछ दिनों पूर्व तक नेपाली कांग्रेस को समर्थन देने वाले जनता समाजवादी पार्टी के नेता उपेंद्र यादव अब केपी शार्मा ओली के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो चुनाव लड़ रहे हैं। भारत से सटे सीमावर्ती क्षेत्र में उपेंद्र यादव का बड़ा जनाधार है। ऐसे में उनके पाला बदलने से नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एमाले) को तराई क्षेत्र में भी जनाधार बढ़ाने का भरपूर मौका मिल गया है। जवाहर लाल नेहरू स्मारक पीजी कालेज में रक्षा अध्ययन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. परशुराम गुप्ता कहते हैं कि भारतीय सीमा से सटे क्षेत्र में चीन समर्थित कम्युनिस्ट पार्टियों का विस्तार चिंताजनक है। चीन एक रणनीति के तहत नेपाल को अपने प्रभाव में रखना चाहता है।ओली को पार्टी के अंदर मिल रही चुनौती
चीन का साथ मिलने के बाद भी केपी शार्मा ओली को पार्टी के अंदर से चुनौती मिल रही है। प्रमुख नेता घनश्याम भुसाल पार्टी छोड़ रुपंदेही वार्ड नंबर एक से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं वरिष्ठ नेता भीम रावल समय-समय पर ओली के खिलाफ मुखर होते रहे हैं।
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