वनटांगिया समुदाय के लिए दीपावली का त्योहार बेहद खास होता है क्योंकि इस दिन खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके गांव पधारते हैं और उनके साथ दीपावली मनाते हैं। यह परंपरा साल 2009 से चली आ रही है जब योगी जी ने वनटांगियों को सामान्य नागरिक जैसा हक दिलाने की लड़ाई शुरू की थी। तब से लेकर अब तक वनटांगिया समुदाय के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आए हैं।
सुनील सिंह,
गोरखपुर। जहां सौ साल तक उपेक्षा व बदहाली का बसेरा रहा, वहां हर दीपावली खुशहाली का दीया जलाने खुद मुख्यमंत्री आते हैं। दशकों तक शासन की योजनाओं के लाभ से वंचित वनटांगियों को राजस्व अभिलेख में नागरिक का दर्जा तक नहीं मिला था। अब अधिकार संपन्न होने के साथ खुशनसीबी ऐसी कि सीएम के साथ दीपोत्सव मनाते हैं। इसीलिए लोग करते हैं कि दीपावली हो तो वनटांगियों वाली।
वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नंबर तीन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन का उल्लास छाया हुआ है। वजह, दीपावली पर वनटांगिया बस्ती में दीपमालिकाएं सीएम योगी के नाम पर सजती हैं। यहां प्रशासन अपनी तैयारियों में जुटा है तो गांव के लोग सीएम के स्वागत में अपने-अपने घर-द्वार को साफ-सुथरा बनाने, रंग-रोगन करने व सजाने-संवारने में। सब कुछ स्वतः स्फूर्त व मिल-जुलकर। जंगल के बीच बसे गांव में ऐसी तैयारी का होना स्वाभाविक भी है। वनटांगिया समुदाय के लिए योगी आदित्यनाथ तारणहार हैं।
सौ साल से अधिक की गुमनामी व बदहाली को पहचान व अधिकार दिलाने के साथ विकास संग कदमताल कराने का श्रेय सीएम योगी का ही है। इस गांव में हर साल दीपावली मनाने वाले मुख्यमंत्री के प्रयासों से गोरखपुर-महराजगंज के 23 गांवों व प्रदेश की सभी वनवासी बस्तियों में विकास व हक-हुकूक का अखंड दीप जल रहा है।
वास्तव में यह एक ऐसा गांव है, जहां दीपावली पर हर दीप योगी बाबा के नाम से ही जलता है। यहां के लोगों की जिद रहती है कि बाबा नहीं आएंगे तो दीया नहीं जलाएंगे।
गोरखपुर-महराजगंज में हैं 23 गांव
ब्रिटिश हुकूमत में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो स्लीपर के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई। इसकी भरपाई के लिए बर्तानिया सरकार ने साखू के नए पौधों के रोपण व उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल में बसाया।
साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा की टांगिया विधि का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए। कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नंबर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं। इसी के आसपास महराजगंज के जंगलों में अलग-अलग स्थानों पर 18 गांव बसे।
जंगल में बने रहने को गई दो वनटांगियों की जान
साखू के पेड़ों से जंगल संतृप्त हो गया तो वन विभाग ने अस्सी के दशक में वनटांगियों को जंगल से बेदखल करने की कार्रवाई शुरू कर दी। वन विभाग की टीम छह जुलाई 1985 को जंगल तिनकोनिया नंबर तीन पहुंची। न कहीं और घर, न जमीन, आखिर वनटांगिया लोग जाते कहां।
उन्होंने जंगल से निकलने को मना कर दिया। इस पर वन विभाग की तरफ से फायरिंग कर दी गई। इस घटना में परदेशी व पांचू नाम के वनटांगियों को जान गंवानी पड़ी, जबकि 28 लोग घायल हो गए। इसके बाद भी वन विभाग सख्ती करता रहा। यह शिथिल तब हुई जब सांसद बनने के बाद 1998 से योगी आदित्यनाथ ने वनटांगियों की सुधि ली।
2009 में शुरू की परंपरा
वनटांगियों को सामान्य नागरिक जैसा हक दिलाने की लड़ाई शुरू करने वाले योगी ने वर्ष 2009 से वनटांगिया समुदाय के साथ दीपोत्सव मनाने की परंपरा शुरू की तो पहली बार इस समुदाय को जंगल से इतर भी जीवन के रंगों का अहसास हुआ। फिर तो यह सिलसिला बन पड़ा। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी इस परंपरा का निर्वाह करना नहीं भूलते हैं। इस दौरान बच्चों को मिठाई, कापी-किताब और आतिशबाजी का उपहार देकर पढ़ने को प्रेरित करते हैं तो सभी बस्ती वालों को तमाम सौगात।
गांव के मुखिया, रामगनेश ने बताया
महराज जी ने यहां के लोगों को सबकुछ दे दिया है। हर साल दीया वही जलाते हैं। इसके बाद गांव में दीए जलाए जाते हैं।
मधुसूदन ने बताया
मुख्यमंत्री ने अपने हिस्से का कार्य कर दिया है। अब हमलोगों को शिक्षित होकर नौकरी, व्यवसाय व रोजगार की ओर बढ़ना है।
रामवृक्ष पासवान ने बताया
वनटांगिया गांव को राजस्व गांव का दर्जा देकर सीएम योगी ने बहुत बड़ा कार्य किया है। वह हमलोगों के साथ ही दीपावली मनाते हैं।
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