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पटरी व्यवसायियों की उम्मीदों को 'डिजिटल उड़ान' दे रहे राहुल और विशाल, फ्री वेबसाइट से बनाई ऑनलाइन पहचान

गोरखपुर के युवा राहुल ने पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की बजाए छोटे भाई विशाल के साथ स्टार्टअप शुरू किया। दोनों खुद स्वावलंबी बने और ठेला रेहड़ी लगाने वालों की निश्शुल्क वेबसाइट बनाकर व्यवसाय बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। पटरी व्यवसायियों को आनलाइन पहचान मिलने से उन्हें प्रसिद्धि भी मिलने लगी। भाइयों की यह जोड़ी व्यवसायियों के लिए मिसाल है।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Thu, 10 Aug 2023 04:05 PM (IST)
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अपने कार्यालय में डिजिटल उड़ान मुहिम पर कार्य करते राहुल और विशाल। -जागरण
गोरखपुर, उमेश पाठक। करीब नौ साल पहले पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के पीछे भागने की बजाय गोरखपुर के दो भाइयों ने स्टार्टअप शुरू कर पहले स्वयं को स्वावलंबी बनाया और उसके बाद सड़क किनारे ठेला, रेहड़ी लगाने वाले पटरी व्यवसायियों की उम्मीदों को 'डिजिटल उड़ान' देने में जुट गए। इन दुकानदारों ने डिजिटलीकरण की राह पकड़ी तो उनके व्यवसाय में वृद्धि हुई और प्रसिद्धि भी मिलने लगी। दोनों भाइयों द्वारा शुरू की गई डिजिटल उड़ान की यह मुहिम आज भी जारी है और निश्शुल्क ही पटरी व्यवसायियों को अच्छी आमदनी में सहायक बन रही है।

ऐसे शुरू हुआ सफर

वर्ष 2014 में मोबाइल एप्लीकेशन में एमटेक करने के बाद राहुल ने अपनी कंपनी कोड्स जेस्चर शुरू की। एनीमेशन में एमएससी करने वाले उनके छोटे भाई विशाल ने भी उनके साथ कदम बढ़ाया। करीब छह महीने तक दोनों भाइयों ने नोएडा में काम किया। राहुल बताते हैं कि पूर्वांचल के कई लोग वहां काम कराने आते थे इसलिए उन्होंने वर्ष 2015 में कंपनी को गोरखपुर शिफ्ट कर दिया। उस दौर में देश धीरे-धीरे डिजिटलीकरण की राह पर आगे बढ़ रहा था। दोनों भाइयों ने गोरखपुर जैसे शहर में डिजिटलीकरण को एक मुहिम बनाने की ठानी। उन्होंने पटरी व्यवसायियों पर फोकस किया। उनके एकाउंट खुले और क्यू आर कोड देकर आनलाइन पेमेंट लेने की राह दिखाई। इस बदलाव से पटरी व्यवसायियों के व्यापार में वृद्धि हुई। राहुल एवं विशाल कहते हैं कि हम अपनी कंपनी की पहल "डिजिटल उड़ान" के जरिये पटरी व्यवसायियों को आनलाइन माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। इसके अच्छे परिणाम भी आए हैं। आनलाइन माध्यम से उनके व्यवसाय को नया आयाम मिल रहा है।

वेबसाइट बनाकर देने लगे आनलाइन पहचान

भाइयों की इस जोड़ी ने ठेले पर चाट बेचने वाले अजय जायसवाल की वेबसाइट बनाई तो उन्हें आनलाइन पहचान मिली और वेबसाइट के जरिये अब शादी एवं अन्य मांगलिक कार्यक्रमों में आर्डर मिलने लगे हैं। कई कैटरर भी आनलाइन माध्यम से ही अजय से जुड़ चुके हैं। हस्तशिल्प उत्पाद बनाने वाली राजेंद्र नगर की अनुरागिका श्रीवास्तव को वेबसाइट के जरिये अब प्रदेश के बाहर से आर्डर मिल रहे हैं।

डिजिटली साक्षर बन चुके हैं करीब एक हजार पटरी व्यवसायी

उत्तर प्रदेश पुलिस में उप निरीक्षक राजेंद्र मिश्र एवं गृहिणी आरती के पुत्र राहुल एवं विशाल अब तक करीब एक हजार पटरी व्यवसायियों को डिजिटली साक्षर बना चुके हैं। सभी के पास क्यू आर कोड है और वे आनलाइन भुगतान प्राप्त करते हैं। विभिन्न इंटरनेट मीडिया के माध्यम से वे अपनी दुकान का प्रचार करने में भी सक्षम बन चुके हैं। आनलाइन अपने उत्पादों का प्रचार कर उन्होंने अपनी आय बढ़ाई है।

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