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Gorakhpur: नए शहर के लिए जमीन अधिग्रहण की राह में मुआवजे की चुनौती, 60 गांवों में होना है नया गोरखपुर का विकास

शहर के आसपास के 60 गांवों में नया गोरखपुर का विकास होना है। जिले में करीब सात साल से सर्किल रेट नहीं बढ़ा है जबकि बाजार मूल्य तेजी से बढ़ा। ऐसे में नए शहर के लिए जमीन अधिग्रहण की राह में मुआवजे की चुनौती होगी।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Fri, 10 Mar 2023 03:01 PM (IST)
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नए शहर के लिए जमीन अधिग्रहण की राह में मुआवजे की चुनौती। (फाइल)

गोरखपुर, उमेश पाठक। गोरखपुर शहर की बढ़ती आबादी की आवासीय जरूरतों को पूरा करने के लिए नया गोरखपुर बसाने की प्रक्रिया तेज हो चुकी है। 22 फरवरी को प्रदेश सरकार की ओर से प्रस्तुत किए गए बजट में नए शहरों के लिए बजट का प्रविधान भी हो चुका है। शहर के बाहरी क्षेत्र में 60 गांवों को इसके लिए चिह्नित कर लिया गया है, लेकिन इन गांवों में जमीन अधिग्रहण के लिए मुआवजे की चुनौती से जूझना होगा। सर्किल रेट की तुलना में शहर के बाहरी क्षेत्र में जमीन का मूल्य कई गुणा अधिक है।

प्रशासन की ओर से गांवों में सर्वे का काम शुरू भी करा दिया गया है। शहर के उत्तर दिशा में नया गोरखपुर के लिए गोरखपुर-टिकरिया-महराजगंज रोड पर 12 गांवों में सर्वे का काम शुरू करा दिया गया है। इन गांवों में प्रति हेक्टेयर दर भी निर्धारित की गई है। यद्यपि, किसानों से बातचीत के आधार पर ही जमीन लेने का प्रविधान है, लेकिन सर्वे शुरू होते ही किसानों में जमीन के मूल्य को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। अलग-अलग गांवों में 43 लाख रुपये से लेकर 85 लाख रुपये तक कीमत निर्धारित की गई है।

इसमें कुछ गांव शहर से पूरी तरह से सटे हैं। यहां बाजार मूल्य अधिक है। कुसम्ही से पिपराइच मार्ग के कुछ गांवों को भी इस परियोजना में शामिल करने की चर्चा है। यहां के निवासियों का कहना है कि प्रशासन की ओर से निर्धारित दर की तुलना में बाजार मूल्य तीन गुणा से अधिक है। यहां के लोगों का कहना है कि फोरलेन बाईपास के लिए अपेक्षाकृत कम जमीन देनी थी इसलिए यहां के किसान तैयार हो गए, लेकिन नए शहर के लिए अधिक जमीन ली जाएगी। इसलिए किसान आसानी से तैयार नहीं होंगे।

ऐसे तय करेंगे मुआवजा

सामान्य तौर पर नगरीय क्षेत्र में सर्किल रेट के अधिकतम दोगुणा, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतम चार गुणा मुआवजा देने का प्रविधान है। बातचीत में यदि किसान सहमत नहीं हुए तो कई बार पिछले छह महीने के बैनामे को भी इसका आधार बनाया जाता है। इसी तरह मुआवजे से असंतुष्ट किसान जिला मजिस्ट्रेट के यहां वाद भी दाखिल कर सकते हैं। यहां से भी फैसला किया जाता है।