UP Lok Sabha Election: वीवीपैट को भी कर सकते हैं चैलेंज, देना होगा बस दो रुपये, दावा निकला झूठा तो जाना पड़ सकता है जेल
मतदान के समय यदि कोई मतदाता शिकायत लेकर आए कि उसके नाम पर किसी दूसरे ने वोट दे दिया है तो वह दो रुपये शुल्क देकर इसे चैलेंज कर सकता है। इसे टेंडर वोट कहते हैं। लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि यदि जांच में पाया गया कि शिकायतकर्ता ही वोट डालकर आया है तो उसे हिरासत में लिया जा सकता है।
अरुण चन्द, जागरण गोरखपुर। मतदान के दौरान यदि किसी भी मतदाता को यह लगता है कि उसने जिसे वोट दिया, वह उसके पसंदीदा प्रत्याशी को नहीं गया तो वइ इसकी जांच करा सकता है। निर्वाचन आयोग ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में ही ऐसी व्यवस्था कर दी है कि इस शंका का वहीं समाधान हो जाए।
इसके लिए पीठासीन अधिकारी के पास दो रुपये शुल्क जमा करके वीवीपैट (वोटर वेरीफाइड पेपर आडिट ट्रेल) को चैलेंज किया जा सकता है। पीठासीन अधिकारी उसका प्रिंट निकलवाकर आपकाे आश्वस्त करेंगे कि आपने जिसे वोट दिया, उसी को मिला है या नहीं। लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि दावा झूठा निकला तो जेल जाना पड़ सकता है।
सहायक निर्वाचन अधिकारी जगनारायण मौर्य के मुताबिक निर्वाचन आयोग ने इस व्यवस्था को ‘परीक्षण मत’ नाम दिया है। इस व्यवस्था के तहत यदि कोई मतदाता अपना वोट दर्ज करने के बाद आरोप लगाता है कि वीवीपैट द्वारा प्रिंटेड पर्ची में उसके द्वारा मतदान किए गए उम्मीदवार के स्थान पर किसी अन्य उम्मीदवार का नाम या प्रतीक दिखाया गया है तो पीठासीन अधिकारी झूठी घोषणा के परिणाम के बारे में चेतावनी देने के बाद मतदाता से शिकायत संबंधी लिखित घोषणा मांगेगा।
इसे भी पढ़ें- यूपी के इस शहर में रिंग रोड बनने का विरोध कर रहे काश्तकार, बोले- फ्री में नहीं देंगे जमीन, जाएंगे कोर्टमतदाता की ओर से यदि लिखित शिकायत की जाती है तो पीठासीन अधिकारी प्रारूप 17ए में उस मतदाता से संबंधित दूसरी प्रविष्टि करेगा। इसके बाद मतदाता को उसकी उपस्थिति में और मतदान केंद्र में उपस्थित उम्मीदवारों या मतदान अभिकर्ताओं की उपस्थिति में मतदान मशीन में एक परीक्षण वोट दर्ज करने की अनुमति देगा और वीवीपैट द्वारा प्रिंटेड कागज की पर्ची का निरीक्षण करेगा।
यदि आरोप सही पाया जाता है तो पीठासीन अधिकारी को तत्काल इसकी जानकारी रिटर्निंग अधिकारी को देनी होगी और उस मतदान मशीन में वोटों की आगे की रिकार्डिंग रोक देनी होगी। यदि आरोप गलत पाया जाता है तो दावा करने वाले के खिलाफ आईपीसी और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।इसे भी पढ़ें-माफिया अतीक अहमद के करीबियों की प्लाटिंग पर गरजा सीएम योगी का बुलडोजर, खाली कराई गई 79 बीघा जमीन
साथ ही पीठासीन अधिकारी प्रारूप 17 एक में दावा करने वाले उस मतदाता से संबंधित दूसरी प्रविष्टि के सामने एक टिप्पणी लिखेगा, जिसमें उस उम्मीदवार की क्रम संख्या और नाम का उल्लेख किया जाएगा, जिसके लिए इस तरह के परीक्षण वोट दर्ज किए गए हैं। इस तरह की टिप्पणी के सामने उस मतदाता के हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान भी लिया जाएगा।दो रुपये में फर्जी वोट की शिकायतमतदान के समय यदि कोई मतदाता शिकायत लेकर आए कि उसके नाम पर किसी दूसरे ने वोट दे दिया है तो वह दो रुपये शुल्क देकर इसे चैलेंज कर सकता है। इसे टेंडर वोट कहते हैं। लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि यदि जांच में पाया गया कि शिकायतकर्ता ही वोट डालकर आया है तो उसे हिरासत में लिया जा सकता है।
इसी तरह अगर पोलिंग बूथ पर यह बात आती है कि कोई वोटर फर्जी है तो यह साबित करना होता है। आमतौर पर पोलिंग एजेंट यह आरोप लगाते हैं कि संबंधित वोटर फर्जी है। तब वोटर और पोलिंग एजेंट दोनों ही अपनी बातों पर अड़ जाते हैं और पीठासीन अधिकारी के लिए मुसीबत खड़ी हो जाती है। ऐसी स्थिति में चैलेंज वोट का सहारा लिया जाता है।
आमतौर पर राजनीतिक दल, पोलिंग एजेंट स्थानीय लोगों को ही तय करती है ताकि वे मतदाताओं को पहचान सकें। ऐसी विवाद की स्थिति में चुनाव आयोग के नियमों में प्रविधान है कि पोलिंग एजेंट पीठासीन अधिकारी के पास दो रुपए आक्षेप राशि के साथ आपत्ति दर्ज कराएगा। इस आधार पर वह वोटर के दावे को चुनौती देगा। तब पीठासीन अधिकारी ट्रायल करेगा।वह वोटर से उसका नाम, पिता का नाम, पता, घर में कितने वोटर हैं आदि कई बिंदुओं के बारे में पूछताछ करेगा। संतुष्ट न होने पर वह संबंधित क्षेत्र के लेखपाल या पार्षद को बुलाकर वोटर के बारे में गवाही लेगा। संबंधित वोटर सही है तो उसे वोट डालने का मौका मिल जाता है।
पोलिंग एजेंट की जमा की गई दो रुपए चैलेंज फीस आयोग जब्त कर लेता है और उसकी आपत्ति खारिज हो जाती है। यदि पोलिंग एजेंट की बात सही है तो उसे दो रुपए फीस वापस कर दी जाती है।
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