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UP: सीएम के शहर में आंदोलन को हवा दे सरकार की छवि बिगाड़ने के लिए रची जा रही थी साजिश, नाकाम हुए खतरनाक मंसूबे

गोरखपुर में अंबेडकर जन मोर्चा के धरने के जरिये प्रदेश में कानून व्यवस्था बिगाड़ने की बड़ी साजिश का खुलासा फ्रांसीसी नागरिक के गिरफ्तारी से हुआ। सरकार की छवि बिगाड़ने के लिए साजिश के तहत धरने में फ्रांसीसी नागरिक और पूर्व आइजी एसआर दारापुरी आए थे। इनकी गिरफ्तारी के बाद सामने आए तथ्यों से खुफिया एजेंसियां मान रही हैं कि आंदोलन के पीछे षड्यंत्र के सूत्रधार असली लोग कोई और हैं।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Sun, 15 Oct 2023 12:07 PM (IST)Updated: Sun, 15 Oct 2023 12:07 PM (IST)
पुलिस की गिरफ्त में फ्रांसीसी नागरिक। सौ. पुलिस (फाइल फोटो)

सतीश पांडेय, गोरखपुर। एक ऐसा धरना जिसकी मांग पूरी तरह से अतार्किक थी, उसके बहाने कानून व्यवस्था बिगाड़ने की बड़ी साजिश रची गई थी। हर भूमिहीन अनुसूचित परिवार को एक एकड़ जमीन देने की मांग के समर्थन में अंबेडकर जन मोर्चा के धरने के जरिये गोरखपुर ही नहीं, पूरे प्रदेश में असंतोष का बीजारोपण करने की तैयारी थी। सुनियोजित ढंग से धरने के लिए गोरखपुर को चुना गया था।

ऐसे हुआ षणयंत्र का खुलासा

मुख्यमंत्री के शहर में आंदोलन को हवा देकर सरकार की छवि बिगाड़ने का षड्यंत्र धरने में शामिल फ्रांसीसी नागरिक की गिरफ्तारी से खुल गया। वह धरने में शामिल होने और इसकी कवरेज के लिए वीजा नियमों का उल्लंघन कर तीन दिन पहले ही यहां आ गया था। उसके साथ गिरफ्तार पूर्व आइजी एसआर दारापुरी का ऐसी मांग को लेकर वहां पहुंचना भी संदेह पैदा कर रहा था।

दिल्ली से बुलाए गए थे यू-ट्यूबर

तीन दिन पहले ही दिल्ली से तीन यू-ट्यूबर भी कवरेज के लिए बुला लिए गए थे, जिन्हें आंदोलन के दौरान विवाद होने पर उसका वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित करना था। इनकी गिरफ्तारी के बाद सामने आए तथ्यों से खुफिया एजेंसियां मान रही हैं कि इस आंदोलन के पीछे षड्यंत्र के सूत्रधार असली लोग कोई और हैं।

आंदोलन में जुटी थी हजारों की भीड़

बसपा के पूर्व जोनल कोआर्डिनेटर द्वारा खड़े किए गए संगठन अंबेडकर जन मोर्चा के धरने में मंगलवार को हजारों की संख्या में लोग जुटे थे। मंडलायुक्त कार्यालय परिसर में डेरा डाले लोगों की भीड़ में कुछ चेहरे ऐसे थे जिनका संगठन की मांग से कोई सरोकार नहीं जुड़ता दिखा। हाईटेक कैमरों से लैस ये युवा धरने की कवरेज कर रहे थे।

फ्रांसीसी नागरिक को देख खड़े हो गए सुरक्षाकर्मियों के कान

इसी में फ्रांसीसी नागरिक हेनाल्ड वैलेन्टिन जीन रोजर भी था, जिसे देख पुलिस सहित खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए। उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो पता चला कि वह बिजनेस वीजा पर आया है। उसका वीजा धनबाद और रांची के लिए स्वीकृत था, लेकिन वह लगातार विभिन्न स्थानों पर ऐसे धरनों में शामिल हो रहा था। उसके कई बार नेपाल जाने की जानकारी भी सामने आई। इसके बाद मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

बड़ी साजिश के संकेत मिलते ही एटीएस ने शुरू की जांच

खुफिया एजेंसियों ने खास एजेंडे के तहत कवरेज के लिए आए यू-ट्यूबरों को पकड़ा। गाजियाबाद के साहिबाबाद के शिव बिहार शालीमार गार्डन एक्सटेंशन दो के मनोज कुमार, संतोष कुमार और संतकबीर नगर के धनघटा के चपरा पूर्व के रमेश चन्द धरना कवर करने के लिए तीन दिन पूर्व ही दिल्ली से बुलाए गए थे। बड़ी साजिश के संकेत मिले तो एटीएस ने इसकी जांच शुरू कर दी।

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इन पर दर्ज हुआ केस

मामले में कैंट पुलिस ने बुधवार को लखनऊ के इंदिरानगर में रहने वाले पूर्व आइजी एसआर दारापुरी, दिल्ली के मंगलापुरी नार्थ में रहने वाले जयभीम प्रकाश, गौतमबुद्ध नगर के देवीराम, गोरखपुर बिछिया पीएसी कैंप के पास रहने वाले श्रवण निराला, बांसगांव भुसवल के ऋषि कपूर आनंद, चिलुआताल के नौतन की रहने वाली सीमा गौतम, कौड़ीराम धस्का के राजेंद्र प्रसाद, जमौली के रामू सिद्धार्थ, नीलम बौद्ध, सविता बौद्ध, दीदी निर्देश सिंह, अयूब अंसारी पता अज्ञात, सिविल लाइंस कैंट में रहने वाले सुधीर झा और 15 अज्ञात पर केस दर्ज किया। शनिवार को फ्रांसीसी नागरिक जिस शिववरुण होटल में ठहरा था उसके मालिक व प्रबंधक पर भी विदेशी अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया गया।

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क्या कहते हैं अधिकारी

एडीजी जोन अखिल कुमार ने बताया कि अवैधानिक तरीके से धरना आयोजित कर व्यवस्था बिगाड़ने का प्रयास करने वालों पर मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने फ्रांसीसी नागरिक, पूर्व आइजी समेत 10 लोगों को जेल भेजा है। साजिश व तोड़फोड़ में शामिल अन्य की तलाश चल रही है। खुफिया एजेंसी के साथ ही एटीएस भी जांच कर रही है।

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