महिलाओं ने डाक्टर से पूछा, माहवारी में पूजा-पाठ कर सकते हैं या नहीं- डाक्टर ने दिया यह जवाब..
दैनिक जागरण गोरखपुर और रेडियो सिटी के तत्वावधान में आयोजित पैडयात्रा नाम के फेसबुक लाइव कार्यक्रम में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. रिंकू चतुर्वेदी ने कहा कि माहवारी एक सामान्य प्रक्रिया है। उचित साफ सफाई और खानपान से इसे सहज और दर्द रहित बनाया जा सकता है।
By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Thu, 18 Feb 2021 06:20 PM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। दैनिक जागरण और रेडियो सिटी के तत्वावधान में आयोजित पैडयात्रा नाम के फेसबुक लाइव कार्यक्रम में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. रिंकू चतुर्वेदी ने कहा कि माहवारी एक सामान्य प्रक्रिया है। उचित साफ सफाई और खानपान से इसे सहज और दर्द रहित बनाया जा सकता है।
कार्यक्रम में कई लोगों ने सवाल पूछे शिवानी का सवाल था कि मेरी तेरह वर्ष की बेटी को अभी तक माहवारी नहीं हुई, मुझे क्या करना चाहिए ? इस पर डाक्टर रिंकू ने जवाब दिया कि आपको घबराने की जरूरत नहीं है अभी डेढ़ दो वर्ष तक इंतजार कर सकती हैं। कार्यक्रम में पुरुषों ने भी तमाम सवाल पूछे। दुर्गेश कुमार का सवाल था कि क्या घर में बने पैड का इस्तेमाल करना सुरक्षित है ? डा. रिंकू ने कहा कि पैड के लिए जिस तरह की साफ सफाई चाहिए वो घर में मुश्किल है इसलिए हाइजीन को देखते हुए रेडीमेड पैड बेहतर रहेगा।अपनी सहूलियत से बिताएं यह दिन
राजेश राज ने पूछा कि इन दिनों महिलाओं को पूजा पाठ करना चाहिए या नहीं। डा. रिंकू ने साफ सफाई पर बल देते हुए कहा कि यदि कुछ दिन अपनी सहूलियत के हिसाब से बिताया जाए तो बेहतर होगा। आप पूरे मन से जो काम कर पाएं वही करें। शालिनी सिंह ने पूछा माहवारी कितने दिनों के अंतराल पर आना चाहिए। डा. रिंकू ने बताया कि सही चक्र तो अट्ठाइस दिनों का है, पर छब्बीस से कम और चालीस दिनों से ज्यादा नहीं होना चाहिए। साथ ही अधिकतम सात दिनों तक ही माहवारी आनी चाहिए। इससे ज्यादा होने पर चिकित्सक से संपर्क करें।
महिलाओं ने पूछे यह सवाल
अनीता के पूछे गए सवाल के जवाब में बताया गया कि पैड को हर चार घंटे पर बदलना जरूरी होता है। डा. रिंकू चतुर्वेदी ने बताया कि इस्तेमाल किए हुए पैड को कभी भी इधर उधर ना फेकें, उसको कायदे से किसी अखबार या पॉलिथीन में लपेटकर कूड़ेदान में डालें और उसके बाद हाथ को साबुन से अवश्य धोएं। पीसीओडी यानी पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज महिलाओं में होनेवाली आम समस्या बन गई है। इस बीमारी में हॉर्मोन्स के कारण ओवरी में छोटी-छोटी सिस्ट यानी गांठ हो जाती हैं। इस कारण महिलाओं में बड़े स्तर पर हार्मोनल बदलाव होने लगते हैं। ये सिस्ट पीरियड्स और प्रेग्नेंसी दोनों को डिस्टर्ब करती हैं।
पहले सिर्फ लेट उम्र में शादी करने के कारण पीसीओडी की समस्या का महिलाओं को सामना करना पड़ता था लेकिन अब टीन एज के बाद ही लड़कियां इस दिक्कत से ग्रसित हो रही हैं। दैनिक जागरण गोरखपुर के फेसबुक लाइव प्रोग्राम में पदयात्रा अभियान के तहत कार्यक्रम का संचालन रेनू सिंह और रेडियो सिटी कि आरजे प्रीति त्रिपाठी ने किया।
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