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Gorakhpur University: अब छुट्टी के दिन भी खुलेगी DDU की लाइब्रेरी, सुबह 10 से शाम पांच बजे तक कर सकेंगे पढ़ाई

गोरखपुर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए राहत भरी खबर है। अब विद्यार्थी छुट्टी के दिन भी लाइब्रेरी में आकर पढ़ाई कर सकेंगे। विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगी पुस्तकों की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। इनके लिए एक अलग कार्नर बनाया गया है। कुलपति ने बुधवार को केंद्रीय ग्रंथालय में वाई- फाई सुविधा एवं ग्रंथालय वेबसाइट का शुभारंभ किया।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Thu, 19 Oct 2023 10:33 AM (IST)
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अब छुट्टी के दिन भी खुलेगा गोविवि का केंद्रीय ग्रंथालय। (फाइल)
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का केंद्रीय ग्रंथालय अब अवकाश के दिन भी खुलेगा। इस दिन सुबह 10 से सायं पांच बजे तक विद्यार्थी यहां बैठकर अध्ययन कर सकेंगे। अन्य कार्य दिवस में पहले की तरह ही ग्रंथालय सुबह आठ से रात आठ बजे तक खुलेगा। यह घोषणा कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बुधवार को केंद्रीय ग्रंथालय के नेहरू हाल में वाई-फाई सुविधा एवं ग्रंथालय वेबसाइट शुभारंभ के दौरान की।

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अलग कार्नर

उन्होंने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए एक अलग कार्नर का आरंभ किया जा रहा है, जिसको भविष्य में और विस्तार दिया जाएगा। यहां विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित पुस्तकों की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही जल्द ही एक साइबर लाइब्रेरी भी आरंभ होगी, जिससे विद्यार्थी इंटरनेट से जर्नल्स तथा पुस्तकों का लाभ उठा सकेंगे। साथ ही सभी विभागों के परास्नातक विद्यार्थियों के लिए विभागीय पुस्तकालयों को भी समृद्ध बनाया जाएगा। हमारा ध्यान सीमित संसाधनों में विद्यार्थियों को अधिकतम लाभ पहुंचाने पर है।

उन्होंने ग्रंथालय को आकर्षक और विविधतापूर्ण बनाए जाने पर विशेष जोर दिया। कुलसचिव प्रो. शांतनु रस्तोगी ने कहा कि इंटरनेट फैसिलिटी और वाईफाई से केंद्रीय ग्रंथालय को और अधिक बेहतर बनाया जा रहा है, जिससे विद्यार्थियों को शांत एवं अनुशासित वातावरण मिल सके। संचालन ग्रंथालयी डा. विभास कुमार मिश्र ने किया। इस दौरान विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, विद्यार्थी तथा कर्मचारी मौजूद रहे।

कैंसर से जुड़े शोध कर स्थापित करें नए आयाम: कुलपति

कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जिससे पूरी दुनिया जूझ रही है। ऐसे में बायोटेक्नोलाजी की भूमिका और बढ़ जाती है। विवि का बायोटेक्नोलाजी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर भी कैंसर से संबंधित शोध कर नए आयाम स्थापित करने की आवश्यकता है। कुलपति बुधवार को विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलाजी विभाग में ‘कैंसर प्रबंधन में बायोटेक्नोलाजी की भूमिका’ विषय पर व्याख्यान को संबोधित कर रहीं थीं।

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कुलपति ने कहा कि पूर्वांचल में कैंसर से संबंधित शोध और जागरूकता के क्षेत्र में बायोटेक्नोलाजी विभाग को अन्य संस्थानों के साथ आगे आकर काम करने की जरूरत है। यहां के शिक्षकों में बहुत क्षमता है, जिसका लाभ छात्रों के साथ साथ समाज को भी मिलना चाहिए। कुलपति ने सिनर्जी इंस्टीट्यूट आफ कैंसर रिसर्च के साथ आपसी समझौता करने के लिए भी उत्साहित किया।

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सिनर्जी कैंसर इंस्टीट्यूट एवं सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल के प्रबंध निदेशक व कैंसर सर्जन डा.आलोक तिवारी ने कैंसर के कारण, लक्षण, परीक्षण तथा इलाज से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि सिनर्जी इंस्टीट्यूट और बायोटेक विभाग एक साथ मिलकर कैंसर के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। इस दौरान उन्होंने प्रतिभागियों के तमाम प्रश्नों का जवाब भी दिया।

संचालन पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. शरद कुमार मिश्र व स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. राजर्षि कुमार गौर ने किया। इस अवसर पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल के निदेशक कुलसचिव प्रो. शांतनु रस्तोगी, प्रो.दिनेश यादव, शिव प्रसाद शुक्ल तथा डा.गौरव सिंह समेत छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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