सिस्टम पर सवाल: रेल लाइन के किनारे तीन किमी पैदल चलने पर मिलती है मंजिल, इस वजह से ठगा महसूस कर रहे यात्री
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार कैंट स्टेशन पर भी गोरखपुर जंक्शन की तरह सेकेंड इंट्री बनाई जाएगी। जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर बोर्ड को भेज दिया जाएगा। स्टेशन के दक्षिण की तरफ सेना की भूमि चिह्नित की जा रही है। पिलर के माध्यम से भूमि का सीमांकन हो रहा है। कैंट रेलवे क्रासिंग पर रोड ओवर ब्रिज (पुल) भी बनेगा।
प्रेम नारायण द्विवेदी, जागरण संवाददाता, गोरखपुर। इसे जल्दबाजी कहें या यात्री सुविधाओं को लेकर उदासी। रेलवे प्रशासन ने बिना समुचित तैयारी के ही गोरखपुर व नकहा से नरकटियागंज और छपरा रूट पर चलने वाली तीन पैसेंजर ट्रेनों का संचालन कैंट स्टेशन से शुरू कर दिया। इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है।
दिल्ली, पंजाब, मुंबई, त्रिवेंद्रम, सिकंदराबाद और हैदराबाद जाने वाले नरकटियागंज व छपरा रूट के हजारों यात्री कैंट स्टेशन पहुंचकर ठगा महसूस कर रहे हैं। गोरखपुर जंक्शन पहुंचने के लिए उन्हें रेलकर्मियों के लिए ताल पर बने लोहे के संकरे पुल और रेल लाइन के किनारे तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है।
दिल्ली तो अभी दूर है, कैंट से जंक्शन तक की राह पहाड़ चढ़ने जैसी हो गई है। यात्रियों की मुश्किलों के साथ संरक्षा और सुरक्षा प्रभावित होने की भी आशंका बढ़ गई है। रेलवे प्रशासन ऐसे ही उदासीन रहा तो कभी भी कोई हादसा हो सकता है।
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मंगलवार को कैंट स्टेशन पर सुबह छह बजे के आसपास जैसे ही 05449 नंबर की नरकटियागंज- कैंट पैसेंजर ट्रेन रुकी प्लेटफार्म नंबर तीन पर हजारों यात्री उतर गए। किसी को कोचीन एक्सप्रेस पकड़नी थी, तो कई दिल्ली, पंजाब और मुंबई जाने के लिए परेशान थे। कुछ मरीज भी थे, जो चिकित्सक को दिखलाने जा रहे थे। सबको जल्दी थी।
बाहर निकलने को कोई रास्ता नहीं सूझा तो यात्री ताल होते हुए रेल लाइन के किनारे पैदल ही गोरखपुर जंक्शन की तरफ चल दिए। अधिकतर रेल लाइन पर चलने लगे। उन्हें कहीं कोई रोकने और टोकने वाला नहीं था। कप्तानगंज निवासी राम समुझ भी परिवार के साथ पीठ पर बैग लिए तेज कदमों से जंक्शन की तरफ बढ़ रहे थे।
कहां जाना है, सवाल पूरा होने से पहले ही बोल पड़े। कोचीन पकड़नी है। क्रासिंग पार करते तो ट्रेन छूट जाती। और कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। क्रासिंग के पार सड़क पर कुछ आटो वाले खड़े हैं। लेकिन वह मुंहमांगा किराया मांग रहे हैं। इसलिए पैदल ही निकल लिया।
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पहले तो यह पैसेंजर गोरखपुर जंक्शन पर रुकती थी, आसानी से गोरखपुर पहुंच जाते थे। अब ट्रेनों के कैंट पर रुकने से परेशानी बढ़ गई है। कैंट से कोई रास्ता भी नहीं है। पूर्वी छोर पर स्थित क्रासिंग अक्सर बंद ही रहती है। इसी दौरान गोरखपुर जंक्शन पहुंचते ही दर्जनों यात्री स्टेशन यार्ड में घुसकर प्लेटफार्म पार करने लगे।
अफरातफरी की स्थिति बन गई। यह समस्या एक दिन की नहीं है, बल्कि प्रतिदिन कैंट स्टेशन पर उतरने वाले यात्री रेल लाइन के किनारे होते हुए गोरखपुर जंक्शन पहुंच रहे हैं। दरअसल, रेलवे प्रशासन ने 13 मई से कैंट स्टेशन से तीन पैसेंजर ट्रेनों का संचालन तो शुरू कर दिया लेकिन आवागमन को लेकर उदासीन बना रहा।
जानकारों का कहना है कि पैसेंजर ट्रेनों से पश्चिम चंपारण, सिवान, छपरा और कुशीनगर क्षेत्र के दूर-दराज गांवों से बड़ी संख्या में लोग दिल्ली, पंजाब, मुंबई, पुणे, सिकंदराबाद आदि जाने वाली ट्रेन पकड़ने गोरखपुर जंक्शन पहुंचते हैं। कुछ मरीज और व्यवसायी भी गोरखपुर आते हैं। लेकिन कैंट पहुंचकर भी गोरखपुर जंक्शन और शहर जाने में पसीना छूट जाता है।
कैंट में भी बनेगी सेकेंड इंट्री, आसान होगी राह
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार कैंट स्टेशन पर भी गोरखपुर जंक्शन की तरह सेकेंड इंट्री बनाई जाएगी। जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर बोर्ड को भेज दिया जाएगा। स्टेशन के दक्षिण की तरफ सेना की भूमि चिह्नित की जा रही है। पिलर के माध्यम से भूमि का सीमांकन हो रहा है।
कैंट रेलवे क्रासिंग पर रोड ओवर ब्रिज (पुल) भी बनेगा। रेलवे प्रशासन ने पुल निर्माण का प्रस्ताव तैयार कर बोर्ड को भेज दिया है। रेलवे बोर्ड की हरी झंडी मिलते ही निर्माण कार्य की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। कैंट में सेकेंड इंट्री और ओवर ब्रिज बन जाने से लोगों की राह आसान हो जाएगी।