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शाकाहारी लोगों को ज्यादा परेशान कर रहा मधुमेह, बीआरडी मेडिकल कालेज के अध्ययन में हुआ खुलासा

मधुमेह की बीमारी को साइलेंट किलर कहा जाता है लेकिन यह शाकाहारी लोगों के लिए ज्यादा परेशान है। बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के एक शोध में यह बात समने आई है कि मधुमेह पीड़ितों में शाकाहारी लोगों में इस बिटामिन की कमी ज्यादा मिली।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Wed, 13 Jul 2022 08:44 AM (IST)
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मधुेह के मरीजों पर बीआरडी मेडिकल कालेज ने महत्वपूर्ण अध्ययन किया है। - प्रतीकात्मक तस्वीर
गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। शाकाहारी लोगों के लिए मधुमेह गंभीर चुनौती पैदा कर रहा है। नसों को पूर्ण रूप से क्रियाशील रखने वाले विटामिन बी12 की कमी हो रही है। इसकी कमी से नसों की समस्या हो सकती है और न्यूरो के रोग झटका दे सकते हैं। शाकाहारी मधुमेह पीड़ितों में इस बिटामिन की कमी ज्यादा मिली, लेकिन ऐसा नहीं है कि मांसाहारी इससे वंचित हैं। यह बात बीआरडी मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग में हुए एक अध्ययन से सामने आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि मधुमेह पीड़ितों को साल में कम से कम एक बार विटामिन बी12 की जांच जरूर करा लेनी चाहिए। इससे वे नसों की समस्या से बचे रहेंगे।

1044 मधुमेह रोगियों पर बीआरडी मेडिकल कालेज में हुआ अध्ययन

डा. राजकिशोर सिंह व डा. अजय यादव के निर्देशन में डा. संगम सिंह ने 1044 मधुमेह रोगियों पर अध्ययन किया। 44 प्रतशित लोगों में विटामिन बी12 की कमी पाई गई। इनमें 384 शाकाहारी व 650 मांसाहारियों को शमिल किया गया था। सबसे ज्यादा 78 प्रतिशत शाकाहारी लोगों में इसकी कमी मिली। मात्र 24 प्रतिशत मांसाहारी लोगों में इसकी कमी पाई गई। सांख्यिकी मूल्य निकालने पर 11 आया है। इसका मतलब मांसाहारी लोगों की अपेक्षा शाकाहारी लोगों में विटामिन बी12 की कमी होने की 11 गुना अधिक आशंका है।

मेटफार्मिन की हाईडोज का यह है साइड इफेक्ट

इसी के साथ एक दूसरा अध्ययन किया गया। मधुमेह की पहली दवा मेटफार्मिन का सेवन करने वाले लोगों को इसमें शामिल किया गया। क्योंकि पूर्व के शोधों में यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि मेटफार्मिन की हाईडोज (1500-2000 मिलीग्राम) लेने वालों में बी12 की कमी हो जाती है। ऐसे लोगों को दो भागों में बांटा गया। एक भाग में तीन साल से अधिक समय से दवा का सेवन कर रहे 384 लोग और दूसरे भाग में तीन साल से कम समय से दवा का सेवन कर रहे 390 लोगों को रखा गया। तीन साल से ज्यादा समय से दवा खा रहे 71 प्रतिशत लोगों में व तीन साल से कम समय से दवा खा रहे 33 प्रतिशत लोगों में बी12 की कमी पाई गई। इसका सांख्यिकी मूल्य 7.6 निकला। इसका मतलब है कि जो लोग तीन साल से अधिक समय से मेटफार्मिन खा रहे हैं, उनमें तीन साल से कम समय से दवा खाने वालों की अपेक्षा 7.6 गुना अधिक बी12 कम होने की आशंका है।

मांसाहार में प्रचुर मात्रा में विटामिन बी12 मिलता है। लेकिन भारत में जो मांसाहारी हैं, उनमें से भी 99 प्रतिशत लोग रोज मांसाहार नहीं करते हैं। इसलिए वे भी शाकाहारी की ही श्रेणी में हैं। मधुमेह की दवा मेटफार्मिन विटामिन बी12 को और कम करती है। इसलिए मधुमेह की दवा खा रहे लोगों को इस विटामिन की जांच कराते रहना चाहिए। इससे वे न्यूरो की समस्याओं से बचे रहेंगे। - डा. राजकिशोर सिंह, प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, बीआरडी मेडिकल कालेज।

बी12 नसों की क्रियाशीलता के लिए बहुत जरूरी विटामिन है। इसकी कमी से न्यूरोलाजिकल समस्याएं आने लगती हैं। मधुमेह रोगियों इसकी कमी पाई गई है। जिन लोगों की मधुमेह की दवा अभी शुरू हो रही है, डाक्टर को चाहिए कि उन लोगों की पहले विटामिन बी12 की जांच करा लें। यदि कम है तो उसकी भी दवा साथ चलाएं। इससे रोगी सुरक्षित रहेगा। - डा. संगम सिंह, शोधकर्ता।

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