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मातृभाषा के प्रबल समर्थक थे महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ Gorakhpur News

भारत की ज्ञान-परंपरा भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के मानव-समाज को समृद्ध एवं सुसंस्कृत करने में समर्थ है। वेदों में शिक्षा को वेदांग का अंश माना गया है।

By Satish ShuklaEdited By: Updated: Thu, 20 Aug 2020 08:30 AM (IST)
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मातृभाषा के प्रबल समर्थक थे महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ Gorakhpur News
गोरखपुर, जेएनएन। आइआइटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो.नचिकेता तिवारी ने कहा है कि युगपुरुष ब्रह्मलीन दिग्विजयनाथ व राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज का संपूर्ण जीवन दिव्य था। दोनों विभूतियों ने अपना समग्र जीवन भारतीय ज्ञान परंपरा, भारतीय संस्कृति व श्रेष्ठ जीवन मूल्यों की स्थापना में खपाया है। दोनों संत मातृभाषा के प्रबल समर्थक थे। गुरु गोरखनाथ जिन्हें हिंदी का आदिकवि भी कहा जाता है, उन्हीं द्वारा स्थापित भारतीय ज्ञान परंपरा का संवाहक गोरक्षपीठ आज निरंतर मातृभाषा के विकास के लिए सचेष्ट है।

प्रो.नचिकेता तिवारी महाराणा प्रताप पीजी कालेज जंगल धूसड़ में युगपुरुष ब्रह्मलीन दिग्विजयनाथ के 51वें तथा राष्ट्रसंत महंत अवेद्यनाथ की छठीं पुण्यतिथि वर्ष के अंतर्गत आयोजित सात दिवसीय ऑनलाइन व्याख्यानमाला के तीसरे दिन पाणिनीय शिक्षाशास्त्र में विज्ञान एवं गणित विषय पर बोल रहे थे। प्रो.तिवारी ने कहा कि भारत की ज्ञान-परंपरा भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के मानव-समाज को समृद्ध एवं सुसंस्कृत करने में समर्थ है। वेदों में शिक्षा को वेदांग का अंश माना गया है। शिक्षा का मूल अभिप्राय अक्षर विज्ञान है और महर्षि पाणिनी द्वारा रचित शिक्षाशास्त्र को अक्षरों का गर्भ कहा जाता है। संस्कृत व्याकरण को सम्मत रूप देने व ध्वनियों की गणितीय व्याख्या करने में महर्षि पाणिनी का योगदान अतुलनीय हैं।

प्राचीन विद्या एवं ज्ञान को ही वर्तमान विज्ञान एवं तकनीक का आधार मानते थे अवेद्यनाथ

अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ.प्रदीप कुमार राव ने कहा कि युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्वियजनाथ महाराज एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज का जीवन तद्युगीन भारतीय समाज के लिए प्रकाशपुंज की भांति था। उनका व्यक्तित्व व कृतित्व आने वाले समाज के लिए प्रेरणादायी एवं प्रासंगिक रहेंगे। ब्रह्मलीन महंत द्वय प्राचीन विद्या एवं ज्ञान को ही वर्तमान विज्ञान एवं तकनीक का आधार मानते थे। उनका मानना था कि यदि हमें तकनीक और विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढऩा है, तो निश्चित रूप से आधुनिक प्रयोगों और अन्वेषणों के साथ अपने प्राच्य विद्या और ज्ञान से प्ररेणा लेते रहना होगा। इसके पूर्व भौतिक विज्ञान विभाग की प्रभारी मनीता सिंह ने मुख्य वक्ता का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन व्याख्यानमाला के संयोजक सुबोध मिश्र ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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