अमेरिकी सेना के साये में महफूज हैं महराजगंज के दिनेश
बुधवार को दैनिक जागरण से मोबाइल पर हुई वार्ता में दिनेश ने बताया कि वह आठ माह से एक कंपनी से हुए कांट्रैक्ट के तहत अमेरिकी सेना के बेस कैंप में एसी मैकेनिक के तौर पर कार्य कर रहे हैं। यह पूरा क्षेत्र अमेरिकी सेना के कब्जे में है। यहां कार्यरत लोग पूरी तरह सुरक्षित हैं।
By JagranEdited By: Updated: Thu, 19 Aug 2021 01:32 AM (IST)
महराजगंज: रामपुर चकिया निवासी एसी मैकेनिक दिनेश चौधरी काबुल एयरपोर्ट से सटे अमेरिकी सेना के बेस कैंप में पूरी तरह महफूज हैं। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां अमेरिका ने अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है। अमेरिकी सेना के कमांडर ने दिनेश को सुरक्षा का भरोसा देते हुए अपना कार्य जारी रखने को कहा है। उन्होंने बताया कि स्थिति सामान्य होने पर दो से तीन हफ्ते में वतन वापसी करेंगे।
बुधवार को दैनिक जागरण से मोबाइल पर हुई वार्ता में दिनेश ने बताया कि वह आठ माह से एक कंपनी से हुए कांट्रैक्ट के तहत अमेरिकी सेना के बेस कैंप में एसी मैकेनिक के तौर पर कार्य कर रहे हैं। यह पूरा क्षेत्र अमेरिकी सेना के कब्जे में है। यहां कार्यरत लोग पूरी तरह सुरक्षित हैं। कैंप में 10 की संख्या में भारतीय मौजूद हैं। पूर्व की तरह ही यहां व्यवस्था का संचालन हो रहा है। सामान्य दिनों में यहां अमेरिकी सैनिकों की संख्या कम रहती थी,लेकिन जब से अफगानिस्तान पर तालिबान ने अपना कब्जा कर लिया है,बेस कैंप व काबुल एयरपोर्ट पर लगभग 10 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के जो लोग अमेरिका सहित अन्य देशों में बसना चाहते हैं, उन्हें सैनिक सुरक्षित निकाल रहे हैं। ऐसे अफगानी लोगों की संख्या अधिक है,जिन्होंने तालिबान से हुए युद्ध के दौरान अमेरिका का साथ दिया था। तालिबान के कब्जे के बाद यह लोग अपने व स्वजन की सुरक्षा को लेकर चितित हैं। इन लोगों को यूएस आर्मी प्राथमिकता के तौर पर अफगानिस्तान से निकाल रही है। सभी इच्छुक लोगों को निकालने के बाद अमेरिकी सेना के भी यहां से जाने की संभावना है। दिनेश दो वर्ष पूर्व कंधार में कार्यरत थे। जनवरी माह से वह काबुल एयरपोर्ट से सटे अमेरिकी सेना के बेस कैंप में कार्य कर रहे हैं। हवाई फायरिग कर रहे तालिबानी आतंकी दिनेश ने बताया कि जब से अमेरिकी सेना ने काबुल एयरपोर्ट को अपने नियंत्रण में लिया है, तालिबानी लड़ाकों से उसका आमना-सामना नहीं हुआ है। तालिबानी काबुल में बेरोकटोक पहुंच गए, जिसके चलते शहर में खून-खराबे की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। लोगों को डराने के लिए कभी-कभी तालिबानी हवाई फायरिग आबादी वाले क्षेत्रों में जाकर कर रहे हैं। अधिकांश दुकानें बंद हैं, लोग घरों से निकलने से परहेज कर रहे हैं। जंग बहादुर को लेकर चितित हैं स्वजन
दिनेश चौधरी की तरह श्यामदेउरवा कस्बा निवासी जंग बहादुर भी बीते पांच सालों से काबुल में कार्यरत हैं। वह एक कंपनी में भोजन बनाने का कार्य करते हैं। जब से वहां युद्ध की स्थिति उत्पन्न हुई है, उनकी पत्नी धर्मावती सहित परिवार के लोग चितित हैं। धर्मावती ने बताया कि बुधवार को सुबह फोन से बात हुई है। वह सुरक्षित हैं, घर वापसी चाहते हैं। जंग बहादुर की बेटियों मनीषा, निशा, आशा, मांशी व रानी ने प्रधानमंत्री से अपने पिता की सुरक्षित घर वापसी के लिए गुहार लगाई है।
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