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अरबों रुपये का टैक्‍स चुराकर नेपाल को बेची जा रहीं नशीली दवाएं

भारत-नेपाल सीमा पर दवाओं की तस्करी के पीछे टैक्स चोरों का बड़ा रैकेट है। पकड़ी गई 686 करोड़ रुपये की नशीली दवाओं के मामले में हो रही जांच में इसके संकेत मिल रहे हैैं। यह रैकेट अरबों रुपये का टैक्स चोरी कर नेपाल को सस्ता नशा दे रहा है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Updated: Sun, 08 Aug 2021 08:00 AM (IST)
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चुराकर नेपाल को बेची जा रहीं नशीली दवाएं। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, विश्वदीपक त्रिपाठी। भारत-नेपाल सीमा पर दवाओं की तस्करी के पीछे टैक्स चोरों का बड़ा रैकेट काम कर रहा है। नौतनवां के जमुई कला में पकड़ी गई 686 करोड़ रुपये की नशीली दवाओं के मामले में हो रही जांच में इसके संकेत मिल रहे हैैं। यह रैकेट अरबों रुपये का टैक्स चोरी कर नेपाल को सस्ता नशा मुहैया करा रहा है। नेपाल सरकार दवाओं की प्रकृति के अनुसार पांच से 30 फीसद तक कस्टम शुल्क लेती है। इस मामले में 200 करोड़ रुपये से ज्यादा बन रहा है। यही टैक्स बचाने के लिए 686 करोड़ रुपये की दवाएं नेपाल सीमा पर डंप की गई थीं। गोविंद गुप्ता टैक्स चोरी के इस खेल का शातिर खिलाड़ी है और कुछ दवा कारोबारी इस खेल के साथी। गोरखपुर से महराजगंज तक के ये कारोबारी माल मंगाने का काम देखते हैं और गोविंद नेपाल भिजवाने का। इसमें चार गोरखपुर और एक सिसवा का बताया जा रहा है।

टैक्‍स चोरी के मामले में राज्‍य वस्‍तु एवं सेवाकर विभाग भी साधे हुए है चुप्‍पी

नशीली दवा के इस कारोबार में औषधि विभाग के जिम्मेदार तो आंखें बंद किए ही रहे, टैक्स चोरी के मामले में राज्य वस्तु एवं सेवाकर विभाग भी चुप्पी साधे हुए है। विभाग ने इतने बड़े मामले का अभी तक स्वत: संज्ञान नहीं लिया। वह जांच के लिए पुलिस-प्रशासन की लिखित सूचना का इंतजार कर रहा है। स्टेट जीएसटी के उपायुक्त राजेंद्र कुमार चौरसिया का कहना है कि जमुई कला से बरामद दवाओं के बारे में किसी भी विभाग ने लिखित सूचना नहीं दी है। लिखित सूचना मिलने पर विभाग की विशेष जांच शाखा को लिखा जाएगा।

भाई ने मुंह खोला, कंपनियों से सीधे मंगाता था दवाएं

मुख्य आरोपित गोविंद का भाई रमेश गुप्ता गिरफ्तारी के बाद से कह रहा था कि उसे नहीं पता कि दवाइयां कहां से आती हैं। पुलिस भी यही कह रही थी। जागरण ने कुछ थोक कारोबारियों की मिलीभगत होने का मामला उठाया। बकौल पुलिस, अब रमेश का कहना है कि नशीली दवाओं की इतनी मांग थी कि गोविंद कंपनियों से सीधे दवा मंगाता था। कंपनी से दवाएं मंगाने पर इतनी बड़ी रकम का भुगतान कैसे हुआ, किसने किया, इस पर वह चुप्पी साधे हुए हैं। पुलिस ने कंपनियों से दवा के बैच नंबर मांगे हैैं।

एडीजी ने दिए एसआइटी जांच के आदेश

एडीजी अखिल कुमार ने महराजगंज के एसपी प्रदीप गुप्ता को इस मामले में स्पेशल इन्वेस्टीगेटिव टीम (एसआइटी) से जांच कराने का आदेश दिया है। एडीजी ने बताया कि मामला बड़ा है। अभी तक दवाओं की इतनी बड़ी खेप नहीं पकड़ी गई हैैं। एसपी को कहा गया है कि वह एसआइटी से जांच कराकर इस रैकेट का पर्दाफाश करें। दवाएं कहां से आती थी, इतनी बड़ी रकम का इंतजाम किसने किया, तस्करी कैसे होती थी आदि कई बिंदुओं पर काम होगा। एसपी प्रदीप गुप्ता ने बताया कि सीओ निचलौल धीरेंद्र कुमार उपाध्याय की अगुवाई में इंस्पेक्टर निचलौल निर्भय सिंह, एसओ ठूठीबारी संजय दुबे, चौकी इंचार्ज नीरज राय, स्वाट टीम के आशुतोष सिंह और ठूठीबारी कोतवाली के एसआइ अरुण दुबे टीम में शामिल हैैं। जल्द मामले का पर्दाफाश हो जाएगा। गोविंद की गिरफ्तारी में चार टीमें लगी हैैं। सीमा पार भागने की आशंका देखते हुए नेपाल पुलिस से संपर्क किया गया है।

बुधवार को लाइसेेंस निरस्त, सील शुक्रवार को

गोविंद गुप्ता पर औषधि विभाग की मेहरबानी जारी है। तीन साल पहले गोविंद के भारत मेडिकल स्टोर का लाइसेंस निरस्त होने के बाद उसे आयुष मेडिकल स्टोर के नाम से लाइसेंस मिल गया था। इस मामले में डीएम ने बुधवार को ही आयुष मेडिकल स्टोर का लाइसेंस निरस्त कर दिया, लेकिन औषधि विभाग की टीम ने स्टोर को सील किया। जिलाधिकारी उज्ज्वल कुमार का कहना है कि दो दिन तक मेडिकल स्टोर सील क्यों नहीं किया गया, इसकी जांच कराई जाएगी।