गोरखनाथ मंदिर की तरह बनाया गया पंडाल
कालीमंदिर, कूड़ाघाट के बगल में 30 वर्षों से दुर्गा पूजा उत्सव आयोजित किया जा रहा है। गोरखनाथ मंदिर के स्वरूप में पंडाल बनाया गया है। इसकी लंबाई 42 फीट, चौड़ाई 50 फीट व ऊंचाई 35 फीट है। इसका निर्माण बंगाली कलाकारों ने नौ अक्टूबर से शुरू किया, अब पूरा हो चुका है। लागत नब्बे हजार रुपये आई है। दुर्गा पूजा बाल समिति के अध्यक्ष मनोज गुप्ता ने बताया कि मां की मूर्ति 12 फीट की है, जिसकी कीमत 45 हजार रुपये है।
डेढ़ सौ फीट लंबा पंडाल आकर्षण का केंद्र बना
दुर्गापूजा वैष्णव युवा समिति ने कूड़ाघाट में सफेद कोठी के पास डेढ़ सौ फीट लंबे पंडाल का निर्माण किया है। इसकी चौड़ाई 80 फीट और ऊंचाई 35 फीट है। विशालकाय पहाड़ की तरह दिख रहा यह पंडाल आकर्षण का केंद्र है। श्रद्धालु यहां स्वचालित झांकी का दर्शन कर सकेंगे। इसके अलावा पूजन के लिए मां दुर्गा, मां वैष्णो की मूर्ति भी स्थापित की गई है। गुफा भी बनाई गई है। 57 वर्षों से यहां उत्सव मनाया जा रहा है। समिति के अध्यक्ष कमलेश ने बताया कि वर्ष 2000 से यहां स्वचालित झांकी की शुरुआत की गई। निर्माण में लगभग 1.50 लाख रुपये की लागत आई है।
चंद्रयान की थीम पर गुफानुमा पंडाल
मोहद्दीपुर में हाइडिल गेस्ट हाउस के सामने महुआरी टोला के युवकों ने मां वैष्णो देवी गुफानुमा पंडाल का निर्माण किया है। इसकी थीम चंद्रयान-तीन है। गेट पर ही चंद्रयान का माडल लगाया गया है। 90 फीट लंबे, 18 फीट चौड़े व 32 फीट ऊंचे इस पंडाल में मां दुर्गा, मां वैष्णो, मां गंगा व भैरोनाथ के दर्शन होंगे। 1897 में यहां उत्सव शुरू हुआ था। पंडाल का निर्माण आठ अक्टूबर को शुरू किया गया था। समिति के अध्यक्ष सोनू ने बताया कि लागत 1.70 लाख रुपये आई है। इसमें 25 हजार रुपये चंद्रयान के माडल पर खर्च हुए हैं।
भगवान शिव को अन्नदान कर रहीं मां अन्नपूर्णा
असुरन चौराहे पर एक लाख रुपये की लागत से बना असुरन की महामाई का मंदिरनुमा पंडाल श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है। 28 सितंबर से निर्माण में श्रद्धालु जुट गए थे। 18 फीट लंबे, 12 फीट चौड़े व 30 फीट ऊंचे इस पंडाल की लागत एक लाख रुपये है। 75 हजार रुपये लागत की मां दुर्गा की 12 फीट की मूर्ति स्थापित की गई। उसके पीछे महाकाल की मूर्ति है। पास ही भगवान शिव को अन्न दान देती मां अन्नपूर्णा की मूर्ति आकर्षण का केंद्र है। यह प्रयोग पहली बार किया गया है। उत्सव को हिंदू-मुस्लिम मिलकर मनाते हैं। समिति के अध्यक्ष कन्हैया लाल वैश्य ने बताया कि समिति में पांच मुस्लिम भी शामिल हैं। 1972 से यहां उत्सव मनाया जा रहा है।
सज गया धर्मशाला की महादेवी का दरबार
भरत मिलाप तिराहा, धर्मशाला बाजार में महादेवी का भव्य दरबार सजा है। 25 फीट लंबे, 22 फीट चौड़े व 30 फीट ऊंचे पंडाल में 18 फीट की मां की मूर्ति स्थापित है। गोरखनाथ मंदिर के स्वरूप में पंडाल का निर्माण बंगाली कलाकार बी. पाल ने किया है। यह पंडाल पूरी तरह बांस पर बनाया गया है। इसमें 200 बांस लगे हैं। यहां 101 वर्ष से उत्सव आयोजित किया जा रहा है। अध्यक्ष रवि चंद गुप्ता ने बताया कि पंडाल की लागत 1.50 लाख व मूर्ति पर 1.10 लाख रुपये खर्च हुए हैं। निर्माण में 22 दिन का समय लगा।
आकर्षित कर रहा चंद्रयान का माडल
महाकाल समिति के तत्वावधान में धर्मशाला बाजार में आठ फीट चौड़े, 10 फीट लंबे व 15 फीट ऊंचे पंडाल के गेट को चंद्रयान-तीन के माडल से सजाया गया है। 12 वर्ष पूर्व शुरू हुए इस उत्सव में इस साल 10 फीट की मां की मूर्ति स्थापित की गई। मां, शेर की जगह चंद्रयान पर सवारी कर रही हैं। पंडाल निर्माण पर 30 हजार व मूर्ति पर 75 हजार रुपये खर्च हुए हैं। समिति के अध्यक्ष हर्षित गुप्ता ने बताया कि पूरा खर्च चंदा से एकत्रित किया गया है।
मंदिर को बना दिया पंडाल
हजारीपुर में मां दुर्गा व हनुमान जी के मंदिर के गेट को पंडाल का रूप दे दिया गया है। यहां 1967 से स्वचालित झांकी लगाई जाती है। समिति के अध्यक्ष रामबाबू सैनी ने बताया कि बंगाल के कलाकारों ने पंडाल का निर्माण किया है। डेढ़ सौ फीट लंबे, 18 फीट चौड़े व 20 फीट ऊंचे पंडाल में स्वचालित झांकी तैयार की जा रही है। इस बार मां रथ में सवार होंगी और महिषासुर का वध करेंगी। पंडाल को ताजे फूलों से सजाया गया है।
हिंदी बाजार में 50 फीट ऊंचा पंडाल
बंधू सिंह पार्क, हिंदी बाजार में 50 फीट ऊंचा पंडाल बनाया गया है। इसकी लंबाई 70 फीट व चौड़ाई 40 फीट है। रथ पर सवार मां दुर्गा की मूर्ति 16 फीट की है। 57 साल से यहां भव्य व दिव्य रूप से दुर्गापूजा उत्सव मनाया जा रहा है। पंडाल निर्माण में लगभग 500 बांस लगे हैं। इसका निर्माण बंगाली कलाकार प्रोबिर विश्वास ने किया है। निर्माण पर ढाई लाख रुपये का खर्च आया है। समिति के भरत जालान ने बताया कि श्रद्धालुओं के सहयोग से हर साल उत्सव मनाया जाता है।
तीन मुंह वाले शेर पर सवार हैं मां
अलहदादपुर तिराहे पर मंदिरनुमा पंडाल का निर्माण कराया गया है। 23 फीट लंबे, 15 फीट चौड़े, 25 फीट ऊंचे पंडाल के निर्माण पर 70 हजार रुपये खर्च हुए हैं। व्यवस्थापक चंदन निषाद ने बताया कि तीन मुंह वाले शेर पर बैठी मां दुर्गा मूर्ति की लागत 1.25 लाख रुपये है। मां की मूर्ति 18 फीट व शेर की मूर्ति पांच फीट ऊंची है। 1935 से यहां उत्सव आयोजित किया जा रहा है। पंडाल के गेट को पोर्चनुमा बनाया गया है। सबसे ऊपरी हिस्से पर तीन स्तंभ स्थापित हैं, जो भव्य रूप प्रदान कर रहे हैं। कृत्रिम फूल-पत्तियों से पंडाल को सजाया गया है।
बद्रीनाथ मंदिर जैसा पंडाल पीओपी से है बना
शहर में एक ऐसा पंडाल है जो पूरी तरह प्लास्टर आफ पेरिस (पीओपी) से बनाया गया है। टेलीफोन कालोनी, रुस्तमपुर के पास बना यह पंडाल बद्रीनाथ मंदिर की तरह है। केवल गुंबद नहीं बनाया जा सका, क्योंकि ऊपर बिजली का तार है। फाल्स सीलिंग का काम करने वाले कलाकारों ने मिलकर इस पंडाल का निर्माण किया है। सबसे ऊपर ऊं व स्वास्तिक का चिह्न है। लाल-पीले-सफेद रंग में बना यह पंडाल लोगों के आकर्षण का केंद्र है। समिति के विक्की चौहान ने बताया कि वर्ष 2000 से यहां उत्सव मनाया जा रहा है। पंडाल लंबाई 12 फीट, चौड़ाई 24 फीट व ऊंचाई 25 फीट है। लागत एक लाख रुपये आई है। मां की 10 फीट की मूर्ति 35 हजार रुपये में मंगाई गई है।
127 साल पहले एक प्रतिमा की स्थापना से हुई शुरुआत
गोरखपुर में 127 साल पहले (1896 में) एक मूर्ति की स्थापना से शुरू दुर्गा पूजा, आज लगभग ढाई हजार जगहों पर यह लोक उत्सव का रूप ले चुकी है। पंडालों से भक्ति और श्रद्धा की आभा निकल रही है। इनके निर्माण में 15 से 20 दिन का समय लगा है। निर्माण में श्रद्धालुओं ने धन के साथ ही अपनी पूरी आस्था भी अर्पित की है। शहर के हृदय स्थल से लेकर बाहरी इलाकों तक में बनाए गए सुंदर व आकर्षक पंडाल मंदिर की तरह दिख रहे हैं, जिनके गर्भगृह में मां दुर्गा विराजमान हैं। कहीं ताजे तो कहीं कृत्रिम फूल-पत्तियों से उन्हें सजाया गया है। इस बार पंडालों के निर्माण में बांस का प्रयोग कम जगहों पर किया गया है, ज्यादातर जगहों पर लोहे के खंभों पर पंडाल तैयार किए गए हैं। सभी पंडाल व मूर्तियाें का खर्च चंदे से ही निकाला गया है।