Gorakhpur News: वृद्धा से अपनों ने किया किनारा, वृद्धाश्रम ने दिया सहारा; पूरी कहानी सुन नम हो जाएंगी आंखें
गोरखपुर में एक वृद्ध महिला को उसके ही परिवार वालों ने चिड़ियाघर के पास छोड़ दिया। वृद्धाश्रम में रह रही घूरा देवी घर जाने की जिद कर रही हैं लेकिन पता नहीं होने की वजह से कर्मचारी उन्हें घर नहीं पहुंचा पा रहे हैं। वृद्धाश्रम के कर्मचारी हर हाल में बुजुर्ग महिला का पता खोजने में जुटे हुए हैं जिससे उन्हें सुरक्षित घर वापस भेजा जा सके।
सुनील सिंह, जागरण गोरखपुर। जिस समाज में पेड़-पौधे, पत्थर से लेकर जानवर तक की पूजा होती है। वही समाज अपने बुजुर्गों को दरकिनार कर रहा है। सनातन संस्कृति में माता-पिता को देवता मानने वाले बेटे अब उन्हें ही बोझ समझने लगे हैं।
देश के नौजवान पाश्चात्य सभ्यता के वशीभूत हो माता-पिता की बेकदरी कर रहे हैं। ऐसा ही कुछ घटित हुआ है घूरा देवी के साथ। वृद्धाश्रम में रह रही घूरा देवी घर जाने की जिद कर रही हैं, लेकिन पता नहीं होने की वजह से कर्मचारी उन्हें घर नहीं पहुंचा पा रहे हैं।
पांच अक्टूबर को 75 साल की एक वृद्धा को अपने ही चिड़ियाघर के पास छोड़ गए थे। देर शाम तक वृद्धा के यहां बैठे रहने पर कर्मचारियाें की नजर पड़ी। कर्मचारियों ने उनसे यहां बैठने की वजह जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि घर के लोग ही बैठा कर गए हैं।
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वह अपना व पति का नाम ही बता पाईं। घर का पता नहीं बता पाने पर कर्मचारियों ने उन्हें समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित वृद्धाश्रम में पहुंचवा दिया। यहां उन्हें खाने-पीने व रहने की व्यवस्था तो मिल गई, लेकिन उन्हें घर की चिंता है। घूरा देवी पत्नी स्वर्गीय भरत घर जाने की जिद कर रही हैं।
वृद्धाश्रम के अधीक्षक रामसिंह के द्वारा घर का पता पूछने पर वह गोरखपुर बता रही हैं। वह यह भी बता रही हैं कि उनके दो बेटे, बहू व कई पोते हैं, लेकिन उनका नाम नहीं बता पा रहीं। वह बार-बार घर जाने की रट लगा रही हैं। कर्मचारी उनको घर पहुंचाना तो चाहते हैं, लेकिन पता नहीं होने से वह घूरा देवी को सांत्वना दे रहे हैं। वृद्धाश्रम के कर्मचारी हर हाल में बुजुर्ग महिला का पता खोजने में जुटे हुए हैं, जिससे उन्हें सुरक्षित घर वापस भेजा जा सके।
इसे भी पढ़ें-कानपुर में दंगे के फर्जी मुकदमे में 32 निर्दोष गए थे जेल, मुकदमा वापस लेगी सरकारबता दें कि गोरखपुर जिले में कई ऐसे बुजुर्ग हैं, जिन्हें अपनों ने छोड़ दिया है। लेकिन वे अपने उत्साह और जज्बे को कभी कम नहीं होने देते हैं। घर छोड़ कर वृद्धाश्रम में शरण लेने वाले लोग खुद को खुश रखने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।
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