यूपी के इस रेलवे स्टेशन पर चूहों के लिए खर्च होते हैं लाखों रुपये, इसके बाद नहीं पूरा हो पा रहा प्रशासन का मकसद
विश्वस्तरीय स्टेशन गोरखपुर की रेल लाइनों के किनारे आज भी चूहे स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहे हैं जो रेलवे की संरक्षा और सुरक्षा को कुतर रहे हैं। 28 अप्रैल को गोरखपुर रेलवे स्टेशन के एसी वेटिंग हाल में शार्ट सर्किट से आग लगी थी। इसका खुलासा जांच टीम ने की है। साथ ही चूहों द्वारा तारों को कुतरने का भी अंदेशा जताया है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पिछले वर्ष सूचना का अधिकार के तहत खुलासा हुआ था कि उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल प्रशासन ने एक चूहा को पकड़ने में 41 हजार खर्च कर दिया है। उत्तर ही नहीं, पूर्वोत्तर रेलवे सहित सभी क्षेत्रीय रेलवे में स्टेशनों पर चूहों की रोकथाम के लिए पेस्ट एंड रोडेंट कंट्रोल का कार्य किया जाता है।
इसे पूरा करने में लाखों रुपये खर्च होते हैं। इसके बाद भी चूहों की संख्या कम नहीं हो रही, हालांकि प्लेटफार्म और रेल लाइनें पूरी तरह पक्के बनने लगे हैं, इससे चूहों के विस्तार पर थोड़ी कमी जरूर आई है, लेकिन उनकी धमाचौकड़ी कम नहीं हो रही।
विश्वस्तरीय स्टेशन गोरखपुर की रेल लाइनों के किनारे आज भी चूहे स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहे हैं, जो रेलवे की संरक्षा और सुरक्षा को कुतर रहे हैं। 28 अप्रैल को गोरखपुर रेलवे स्टेशन के एसी वेटिंग हाल में शार्ट सर्किट से आग लगी थी। इसका खुलासा जांच टीम ने की है। साथ ही चूहों द्वारा तारों को कुतरने का भी अंदेशा जताया है।
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मौके पर चूहे मरे हुए पाए भी गए थे। इससे स्पष्ट है कि चूहे रेल लाइनों के किनारे ही नहीं, स्टेशन के दफ्तरों, काउंटरों, खानपान स्टालों और प्रतीक्षालयों में संरक्षा और सुरक्षा को तार-तार कर रहे हैं। रेल संपत्ति ही नहीं, यात्रियों के सामान को भी क्षति पहुंचा रहे हैं। इन चूहों से यात्री से लकर रेलकर्मी भी परेशान हैं।
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इसके बाद भी सूचना का अधिकार के जवाब में सहायक मंडल यांत्रिक इंजीनियर (कोचिंग) लखनऊ जंक्शन बताते हैं कि पेस्ट एंड रोडेंट कंट्रोल से चूहों को कंट्रोल किया जाता है। तीन वर्ष में क्षति की सिर्फ दो शिकायतें ही मिली हैं, जिसका निस्तारण हो चुका है।
उनके पास क्षति का लेखा-जोखा नहीं हैं। कहते हैं कि पेस्ट एंड रोडेंट कंट्रोल के निविदा में चूहे की गिनती का प्रविधान नहीं है। खर्च भी दर्शाया नहीं जा सकता। रेलवे प्रशासन ने जंक्शन से संबंधित कोई जवाब ही नहीं दिया है तो सवाल यह है कि क्या पेस्ट एंड रोडेंट कंट्रोल सिस्टम सूचना का अधिकार में नहीं आता।