राजनीतिक दलों के प्रति दरकी जातियों की प्रतिबद्धता, यहां वोटरों ने बदल दिए सारे समीकरण, BJP-BSP को सोचने पर कर दिया मजबूर
UP Lok Sabha Chunav Result 2024 सपा ने छह में तीन सीटें जीतीं तो कांग्रेस हारकर भी मतदाताओं का दिल जीतने में कामयाब रही। भाजपा के गढ़ गोरखपुर-बस्ती मंडल में हैरान कर देने वाला यह चुनाव परिणाम जातीय राजनीति के लिए बदनाम इस क्षेत्र में नई सियासत का सूत्रपात कर गया। बिरादरी बहुल इलाकों में बूथवार परिणाम इसे पुष्ट कर रहे हैं।
रजनीश त्रिपाठी, जागरण, गोरखपुर। दलों के प्रति जातियों की प्रतिबद्धता इस चुनाव में टूट गई। तीन सीटें गंवाकर नौ से छह हुई भाजपा जहां जीती भी वहां विपक्ष को नए द्वार दिखा गई। जाति के सियासी समीकरणों को छिन्न-भिन्न करने वाले परिणाम ने साफ कर दिया कि सबको सब जगह वोट मिला। बसपा जिस वंचित मतों पर एकाधिकार जताती थी "संविधान बचाने की लड़ाई" में वह सपा-कांग्रेस के संग जाने में नहीं हिचकिचाए।
खांटी भाजपाई समझे जाने वाले सवर्ण मतदाताओं ने भी खुलकर साइकिल दौड़ाई। जो नई बात उभरकर आई वह यह कि भाजपा से छिटके मतदाताओं को बसपा-सपा के मुकाबले सपा-कांग्रेस की दोस्ती ज्यादा रास आई। इंडी गठबंधन में गोरखपुर, कुशीनगर, डुमरियागंज, सलेमपुर, बस्ती और संतकबीरनगर से सपा लड़ी तो महराजगंज, बांसगांव और देवरिया से कांग्रेस ने ताल ठोकी।
सपा ने छह में तीन सीटें जीतीं तो कांग्रेस हारकर भी मतदाताओं का दिल जीतने में कामयाब रही। भाजपा के गढ़ गोरखपुर-बस्ती मंडल में हैरान कर देने वाला यह चुनाव परिणाम जातीय राजनीति के लिए बदनाम इस क्षेत्र में नई सियासत का सूत्रपात कर गया। बिरादरी बहुल इलाकों में बूथवार परिणाम इसे पुष्ट कर रहे हैं।
सबसे पहले बात कांग्रेस की। पिछले चुनाव में महराजगंज से 3.40 लाख मतों के अंतर से जीतने वाले भाजपा के दिग्गज नेता पंकज चौधरी के सामने पिछली बार एक लाख वोट भी न सहेज सकी कांग्रेस ने इस बार साढ़े पांच लाख मत बटोरे। 35 हजार मतों से हारे फरेंदा विधायक वीरेंद्र चौधरी दलित, अति पिछड़ा और सवर्ण मतदाताओं की बदौलत अपने विधानसभा क्षेत्र में तो आगे रहे ही, नौतनवा और महराजगंज में भी कांटे की टक्कर दी।
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बांसगांव में भी कुछ ऐसा ही हुआ। एक लाख से अधिक मतों से जीतने वाले तीन बार के सांसद कमलेश पासवान को जीत के लिए कांग्रेस प्रत्याशी सदल प्रसाद से अंत तक जूझना पड़ा। रुद्रपुर और चौरीचौरा को छोड़ दें तो सवर्ण और वंचित बहुल मतदाता वाले बांसगांव, बरहज और चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र में सदल को बढ़त मिली।
पांच हजार वोटों के कम अंतर से जीतने वाले कमलेश अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित उस बांसगांव विधानसभा क्षेत्र में भी जीत नहीं दर्ज करा सके जहां से उनके छोटे भाई डा. विमलेश पासवान विधायक हैं। ब्राह्मण बहुल देवरिया सीट पर जो संघर्ष दिखा, उसमें भी जातीय समीकरण छिन्न-भिन्न नजर आए।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के विधानसभा क्षेत्र पथरदेवा ही नहीं, रामपुर कारखाना में भी कांग्रेस प्रत्याशी अखिलेश सिंह को ब्राह्मण, राजपूत, वंचित और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का इतना वोट मिला कि वह भाजपा प्रत्याशी से आगे निकल गए। सपा के पीडीए फार्मूला में (पी) पिछड़ा, (डी) वंचित के साथ (ए) अल्पसंख्यक हैं या अगड़ा, इस रहस्य ने पूरे चुनाव भर मतदाताओं को उलझाए रखा।
अपने हिस्से वाली छह में से पांच सीटों पर सपा ने पिछड़ा (दो निषाद, एक राजभर, एक सैंथवार व एक कुर्मी) और एक पर अगड़ा (ब्राह्मण) प्रत्याशी उतारा। सपा की ओर से मैदान में उतरे कुर्मी प्रत्याशी रामप्रसाद चौधरी को हरैया के अलावा बस्ती सदर, रुधौली, महदेवा और कप्तानगंज क्षेत्र में हर वर्ग का साथ मिला।
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महदेवा सुरक्षित विधानसभा सीट पर रामप्रसाद की जीत का अंतर 25 हजार मतों से अधिक रहा। डुमरियागंज सपा भले हार गई, लेकिन बड़ी संख्या में ब्राह्मण और वंचित मत मिलने से जीत-हार का अंतर 45 हजार के आसपास रहा। इस सीट पर भाजपा पिछली बार एक लाख से अधिक वोटों से जीती थी।
संतकबीर नगर सीट पर ब्राह्मण और वंचित बहुल खजनी विधानसभा सीट पर जहां भाजपा को भारी अंतर की उम्मीद थी वहां भाजपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद महज 10 हजार वोटों की बढ़त बना सके। मेंहदावल, धनघटा, आलापुर और खलीलाबाद में ब्राह्मण, वंचित और अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटों में सेंधमारी कर लक्ष्मीकांत निषाद ने जीत दर्ज की।
गोरखपुर, कुशीनगर में भी सपा प्रत्याशियों को हर वर्ग का वोट मिला, जिसके चलते पिछले चुनावों के मुकाबले हार जीत का अंतर घटकर कम हो गया। सलेमपुर सीट पर सपा के रमाशंकर राजभर को सलेमपुर विधानसभा में ही सवर्ण मतदताओं का भरपूर वोट मिला, जिसके चलते भाजपा प्रत्याशी रविंद्र कुशवाहा के गढ़ में भी सपा आगे रही।
ऐसे बढ़ा कांग्रेस का ग्राफ
वर्ष |
देवरिया |
बांसगांव |
महराजगंज |
2014 | 37752 | 50675 | 57,193 |
2019 | 51056 | ---- | 72,516 |
2024 | 4,25,543 | 4,69,699 | 5,55,859 |
नोट- बांसगांव में 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी का पर्चा खारिज हो गया था।