गोरखपुर के रहने वाले स्टांप विक्रेता रवि दत्त मिश्रा को एसआइटी ने 19 जनवरी को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। सरगना व गिरोह के सदस्यों के पकड़े जाने के बाद फरार चल रहे अन्य सदस्यों की तलाश चल रही है। तथ्य की पड़ताल करने और आरोपितों पर शिकंजा कसने के लिए रवि दत्त व मोहम्मद कमरुद्दीन का आमना-सामना कराने की भी तैयारी चल रही है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। Fake Stamp Case News: एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) के हत्थे चढ़े जालसाज यूपी, बिहार व राजस्थान में हर माह एक करोड़ से अधिक का फर्जी स्टांप खपा रहे थे। प्रयागराज व लखनऊ में सक्रिय गिरोह के चार सदस्यों ने भारी पैमाने पर फर्जी स्टांप बेचा है।
गोरखपुर पुलिस उनकी तलाश में छापेमारी कर रही है। पूछताछ व जांच में पता चला है कि फरार चल रहा नवाब आरजू उर्फ लालू स्टांप के अलावा लंबे समय से जाली नोट छापकर बाजार में चला रहे थे।
फर्जी स्टांप छापने वाले गिरोह के सरगना सिवान के मुफस्सिल, नई बस्ती का रहने वाला मोहम्मद कमरुद्दीन 40 वर्ष से बिहार के साथ ही उत्तर प्रदेश में फर्जी स्टांप बेच रहा था। गिरोह से जुड़े वेंडर के अलावा वह किसी दूसरे को स्टांप नहीं बेचता था ताकि किसी को संदेह न हो।
साहेबजादे ने राजस्थान तक फैला दिया नेटवर्क
पांच वर्ष पहले उसका नाती साहेबजादे जब गिरोह से जुड़ा तो उसने राजस्थान तक नेटवर्क फैला दिया। वहां से बड़े पैमाने पर 10 रुपये का असली स्टांप खरीदकर लाने के बाद उसका तार निकालकर फर्जी स्टांप में लगाता था जिससे किसी को संदेह नहीं होता था।
पुलिस की जांच में पता चला है कि साहेबजादे कंप्यूटर के अलावा रसायन विज्ञान का एक विशेष कोर्स भी किया था, जिससे उसे केमिकल की जानकारी हो गई थी और दूसरे एक एप का इस्तेमाल करके वह वाटर प्रिंटिंग का माहिर हो गया था।
इसी का फायदा वह स्टांप को बारीकी से तैयार करने के साथ ही नकली नोट बनाने में उठाता था। जाली नोट का मामला जुड़ने के बाद सुरक्षा व खुफिया एजेंसी ने भी जांच शुरू कर दी है।
वेंडरों ने अर्जित की अकूत संपत्ति, पुलिस कराएगी जब्त
एसआइटी की जांच में सामने आया है कि मोहम्मद कमरुद्दीन उसके बेटे नवाब आरजू उर्फ लालू व नाती साहेबजादे कम मुनाफे में ही वेंडरों को स्टांप बेचते थे। 1000, 2000, 5000, 10000, 20000 व 25000 का एक स्टांप बनाने में 50 रुपये का खर्च होता था। वेंडरों को यह स्टांप 150 से 300 रुपये में ही मिल जाता था।एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि जेल भेजे गए वेंडरों के संपत्ति की जांच कराई जा रही है। गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई होने के बाद अपराध से अर्जित संपत्ति जब्त कराई जाएगी।
रवि दत्त व कमरुद्दीन का आमना-सामना कराएगी एसआइटी
गोरखपुर के रहने वाले स्टांप विक्रेता रवि दत्त मिश्रा को एसआइटी ने 19 जनवरी को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। सरगना व गिरोह के सदस्यों के पकड़े जाने के बाद फरार चल रहे अन्य सदस्यों की तलाश चल रही है। तथ्य की पड़ताल करने और आरोपितों पर शिकंजा कसने के लिए रवि दत्त व मोहम्मद कमरुद्दीन का आमना-सामना कराने की भी तैयारी चल रही है।
यह भी पढ़ें- फर्जी स्टाम्प मामले की जांच में हाथ लगे कई अहम सुराग, गोरखपुर में जाली नोट की फैक्ट्री लगाने की थी तैयारी
यह है मामला
हुमायूंपुर दक्षिणी, दुर्गाबाड़ी रोड के रहने वाले राजेश मोहन सरकार ने सहायक महानिरीक्षक निबंधन, गोरखपुर के कार्यालय में 28 फरवरी, 2023 को 53 हजार का स्टांप रिफंड करने के लिए आवेदन किया था।
कार्यालय सहायक महानिरीक्षक निबंधन ने 25 अप्रैल, 2023 को मुख्य कोषाधिकारी के माध्यम से 13 स्टांप का सत्यापन कराया तो पता चला कि 53 हजार के स्टांप में केवल तीन हजार के ही सही है। बाकी 10 स्टांप की प्रमाणिकता को सत्यापित करने लिए निदेशक भारत प्रतिभूति मुद्रणालय, नासिक, महाराष्ट्र को जिलाधिकारी द्वारा प्रेषित किया गया।भारत प्रतिभूति मुद्रणालय, महाराष्ट्र द्वारा पांच दिसंबर, 2023 को पत्र भेजकर बताया गया कि सभी 10 स्टांप फर्जी है। इसके बाद जिलाधिकारी के आदेश पर उपनिबंधन सदर प्रथम सुबोध कुमार राय ने कैंट थाने में राजेश मोहन सरकार पुत्र प्यारे मोहन और दीवानी कचहरी के स्टैंप विक्रेता लालजी सिंह पर मुकदमा दर्ज कराया।
पुलिस ने जांच की जांच में दोनों लोग निर्दोष मिले। छानबीन करने पर पता चला कि वेंडर रवि मिश्रा ने फर्जी स्टांप बेचा था। उसे पुलिस ने पकड़कर जेल भेजा।
शुक्रवार को गिरोह के सरगना समेत सात जालजालों को पकड़ने के साथ ही पुलिस उनके कब्जे से करोड़ 52 हजार रुपये के फर्जी स्टांप, प्रिंटर व अन्य उपकरण बरामद किए थे।
यह भी पढ़ें: Gorakhpur News: फर्जी स्टाम्प प्रकरण में एसआइटी ने चार को पकड़ा, कई राज्यों में नेटवर्क फैले होने का अंदेशा
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।