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Gorakhpur News: एक प्रयोग से तीन गुणा बढ़ गई किसानों की आमदनी, धान के साथ मछली पालन कर मालामाल हुए लोग

गोरखपुर में डीएम के पहल पर भटहट क्षेत्र के 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल के खेत में एकीकृत धान सह मछली पालन विधि का प्रयोग किया गया। इस प्रयोग से धान की उपज बढ़ी लागत कम हुई और मछली बेचकर किसानों को अतिरिक्त आय हुई। इस सफलता के बाद पूरे जिले में योजना लागू करने की तैयारी है। अगली बार 2000 हेक्टेयर में प्रयोग होगा।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Wed, 08 Nov 2023 09:25 AM (IST)
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धान की खेती के साथ मछली पालन योजना का लाभ उठाने वाले किसान इजहार अली। जागरण

उमेश पाठक, गोरखपुर। किसानों की आय दोगुणा करने के अभियान के तहत जिला प्रशासन ने कृषि विभाग के साथ मिलकर जिले में एक प्रयोग किया है। इसके जरिये किसानों की आय लगभग तीन गुणा बढ़ गई है। इसे ‘एकीकृत धान सह मछली पालन’ नाम दिया गया है। भटहट क्षेत्र के 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में यह प्रयोग किया गया, जहां नवंबर तक पानी भरा रहता है। धान रोपने के साथ ही इसमें मछली भी डाली गई। नतीजतन, धान की पैदावार तो बढ़ी ही, मछली का उत्पादन अलग से हुआ। अच्छी बात यह रही कि मछली डालने के कारण किसानों को कीटनाशक का उपयोग नहीं करना पड़ा।

जिले में लगभग एक लाख 57 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की खेती की जाती है। इसमें से लगभग 50 हजार क्षेत्रफल में खेती के समय पानी भरा रहता है। जुलाई से सितंबर तक अधिकतर खेतों में 15 से 30 सेमी. तक पानी रहता है। कुछ क्षेत्रों में यह स्थिति नवंबर तक रहती है। ऐसी स्थिति में जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने इस नवाचार के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने की योजना बनाई। इसकी जिम्मेदारी मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार मीना व उप निदेशक कृषि अरविंद कुमार सिंह को दी गई। भटहट क्षेत्र के अमवा में 50 हेक्टेयर ऐसे क्षेत्र का चयन किया गया, जहां पानी भरा रहता है। इनके खेतों में जुलाई में मछली का बीज डाला गया था।

अगली बार हर 2000 हेक्टेयर में होगा प्रयोग

मंडलायुक्त अनिल ढींगरा, जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश, सीडीओ संजय कुमार मीना व उप निदेशक कृषि अरविंद सिंह सोमवार को भटहट के अमवा गांव पहुंचे और उत्पादन देखा। उन्होंने किसानों से बात भी की। किसान इजहार अली, अशोक सिंह उर्फ पिंटू, महेंद्र सिंह, हेमंत सिंह, दिलीप तिवारी आदि ने इस प्रयोग को सफल बताया। कृषि विभाग की ओर से भविष्य के लिए प्राविधिक सहायक नेहा पटेल को ब्रांड अंबेसडर बनाया गया है।

इस तरह से बढ़ी आय

एक हेक्टेयर खेत में धान की फसल के लिए जोताई, नर्सरी की तैयारी, बीज, लेवा लगाने, कीटनाशक आदि के रूप में 42 हजार से अधिक की लागत लगती है। लगभग 45 क्विंटल उपज मिलती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के अनुसार किसानों को उपज से 98 हजार से अधिक मिलते हैं। इस तरह लाभ लगभग 56 हजार रुपये आता है।

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नए प्रयोग के बाद कीटनाशक नहीं प्रयोग किया गया। इस तरह मछली के बीज सहित प्रति हेक्टेयर 41 हजार की लागत आई और धान की उपज लगभग 50 क्विंटल मिली। 750 किग्रा. मछली का उत्पादन हुआ। दोनों को मिलाकर एक लाख 84 हजार रुपये से अधिक की आय हुई। लागत घटाकर शुद्ध लाभ लगभग एक लाख 43 हजार रुपये प्राप्त हुआ।

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क्या कहते हैं अधिकारी

जिले में 50 हजार हेक्टेयर से अधिक ऐसे खेत हैं, जहां नवंबर महीने तक पानी भरा होता है। ऐसे खेतों में धान के साथ मछली उत्पादन का प्रयोग किया गया। प्रयोग सफल रहा है। किसानों की आय लगभग तीन गुणा बढ़ी है। अब इसे 2000 हेक्टेयर में लागू किया जाएगा। हर ब्लाक में 100 हेक्टेयर खेत में धान के साथ मछली का उत्पादन किया जाएगा। -कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी