Move to Jagran APP

रेल दावा अधिकरण में तीन महीने से नहीं खुल पा रहीं ढाई हजार फाइलें, जानें- किस वजह से टेबलों पर फांक रहीं घूल

साख गिराने और मनमाने ढंग से नियम बनाने का आरोप लगाते हुए 17 अगस्त से अधिवक्ता कार्य बहिष्कार पर हैं। ऐसे में रेल यात्रा में घायल और मृत्यु से संबंधित दावे निस्तारित नहीं हो पा रहे हैं। उधर रेलवे का दावा है कि नियमों का पालन हो रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Sat, 12 Nov 2022 01:18 PM (IST)
Hero Image
रेल दावा अधिकरण में तीन महीने से नहीं खुल पा रहीं ढाई हजार फाइलें। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
गोरखपुर, प्रेम नारायण द्विवेदी। रेल दावा अधिकरण में साक्ष्य व बहस आदि के अभाव में करीब तीन माह से लगभग ढाई हजार फाइलें खुल नहीं पा रहीं। अधिकरण और अधिवक्ताओं की आपसी खींचतान में फाइलें संबंधित टेबलों पर धूल फांक रही हैं। रेल यात्रा में घायल और मृत्यु से संबंधित दावे निस्तारित नहीं हो पा रहे।। अधिवक्ता साख गिराने और मनमाने ढंग से नियम कानून लागू करने का आरोप लगा रहे, रेलवे प्रशासन का कहना है कि सभी कार्य नियमानुसार हो रहे हैं। बीच में फंसे दावाकर्ता अधिकरण और अधिवक्ताओं का चक्कर लगा रहे हैं, ताकि उन्हें समय से प्रतिकर (कंपंशेसन) का लाभ मिल सके।

17 अगस्त से कार्य बहिष्कार पर हैं अधिवक्ता

अधिवक्ता 17 अगस्त से ही कार्य बहिष्कार पर हैं। वे पहले से किए गए किसी भी दावों पर न बहस कर रहे और न ही साक्ष्य प्रस्तुत कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि नया दावा प्रस्तुत कर रहे हैं, लेकिन अधिवक्ता व अधिकरण के सदस्य द्वारकाधीश मणि त्रिपाठी का कहना है कि न पुराने मामलें खुल रहे और न नए प्रस्तुत किए जा रहे। दावों को बिना जांचे-परखे खारिज कर दिया जा रहा है। स्थिति यह है कि वर्ष 2011 तक के मामले अभी तक निस्तारित नहीं हुए हैं। पहले रेल यात्री की मृत्यु के मामले में पूरा प्रतिकर बैंक में सीधे भेज दिए जाते थे, अब सिर्फ 10 प्रतिशत प्रतिकर ही बैंक को भेजा जा रहा। शेष धनराशि फिक्स डिपाजिट (एफडी) कर दी जा रही।

दावाकर्ताओं की वित्तीय स्थिति नहीं देख रहा अधिकरण

अधिकरण दावाकर्ताओं की वित्तीय स्थिति नहीं देख रहा। सिविल कोर्ट के बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण विहारी दूबे का कहना है कि अधिवक्ता परेशान व गरीब लोगों की मदद के लिए खड़ा होता है, लेकिन रेलवे उनकी मांगों को खारिज कर दे रहा है। रेलवे उनकी बातों को नहीं सुनता है तो वे आगे भी कार्य बहिष्कार जारी रखेंगे। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज सिंह कहते हैं कि रेल दावा अधिकरण में नियमों का 100 प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित किया जा रहा है।

1989 से चल रहा रेल दावा अधिकरण

रेलवे घायल और मृत्यु यात्रियों को भी अपना मानता है। रेल यात्रा में घायल व मृत्यु यात्रियों के स्वजन को प्रतिकर दिलाने के लिए 1989 में रेल दावा अधिकरण कानून बना था। तभी से भारतीय रेलवे में रेल दावा अधिकरण चल रहा है। गोरखपुर स्थित रेल दावा अधिकरण में लगभग 100 अधिवक्ता सदस्य हैं, जो दावाकर्ताओं की तरफ से साक्ष्य प्रस्तुत कर बहस करते हैं, लेकिन कार्य बहिष्कार के चलते परिसर में सन्नाटा की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

रेल दावा अधिकरण के नए नियम

  • घायल या मृत्यु होने पर स्वजन दुर्घटना या निवास स्थल से जुड़े क्षेत्र में ही कर सकते हैं दावा।
  • मृत्यु होने पर मिलता है आठ लाख प्रतिकर, परिवार के सभी स्वजन की होती है हिस्सेदारी।
  • प्रतिकर का 10 से 15 प्रतिशत ही बैंक एकाउंट में जाता है, शेष धनराशि की हो जाती है एफडी।
  • एक से तीन साल तक की होती है एफडी, जरूरत के अनुसार ही हो सकती है एफडी की निकासी।
  • यात्री के घायल होने पर 80 हजार से छह लाख रुपये तक प्रतिकर का सुनिश्चित है प्रावधान।
  • घायल या मृत्यु यात्री के स्वजन का खाता स्थानीय बैंक में व कोर्ट में उनकी उपस्थिति अनिवार्य।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।