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Fake डॉक्यूमेंट पर नौकरी का नहीं थम रहा मामला, यहां वंदना बनकर पढ़ा रही थी फर्जी शिक्षिका अर्चना; अंतिम नोटिस

गोरखपुर के जंगल कौड़िया स्थित प्राथमिक विद्यालय जलार में तैनात फर्जी शिक्षिका का मामला जांच में सामने आने पर उसके खिलाफ निलंबन और बर्खास्तगी की कार्रवाई कर विभाग ने उसे अपना पक्ष रखने को अंतिम नोटिस जारी किया है। इसके बाद फर्जी शिक्षिका पर विभाग द्वारा सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी। शिक्षिका की तैनाती सिद्धार्थनगर में हुई थी वहां से ट्रांसफर के बाद गोरखपुर में नौकरी कर रही थी।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Thu, 21 Sep 2023 12:44 PM (IST)
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फर्जी दस्तावेज पर नौकरी मामले में अंतिम नोटिस जारी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। परिषदीय विद्यालयों में फर्जी अभिलेख के आधार पर नौकरी करने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। समय-समय पर हो रही जांच में एक-एक कर मामले सामने आ रहे हैं। इसी क्रम में जंगल कौड़िया के प्राथमिक विद्यालय जलार में प्रधानाध्यापक के रूप में तैनात वंदना पांडेय नाम की फर्जी शिक्षिका का मामला सामने आया है। जांच में शिक्षिका न सिर्फ दूसरे के अभिलेख पर नौकरी करने की दोषी पाई गई है बल्कि उसका वास्तविक नाम अर्चना सामने आया है। पहले निलंबन और बाद में बर्खास्तगी की कार्रवाई कर शिक्षिका को विभाग ने अपना पक्ष रखने के लिए अंतिम नोटिस भेजा है, जिसके बाद विभाग द्वारा सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी।

सिद्धार्थनगर में हुई थी शिक्षिका की तैनाती

बेसिक शिक्षा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार वंदना पांडेय की नियुक्ति सिद्धार्थनगर जिले में हुई थी। बाद में अंतरजनपदीय तबादले के बाद गोरखपुर के जंगल कौड़िया स्थित प्राथमिक विद्यालय जलार में प्रधानाध्यापक के रूप में तैनाती मिली। शिकायत के आधार पर एसटीएफ ने जब बेसिक शिक्षा विभाग से जांच के लिए शिक्षिका के समस्त शैक्षिक अभिलेख मांगें तो विभाग ने भी अपने स्तर से अभिलेखों का सत्यापन शुरू किया। सत्यापन में शिक्षिका के हाईस्कूल का अभिलेख का पता अयोध्या का निकला।

जांच में ऐसे खुला मामला

अयोध्या के पते पर विभाग ने नोटिस भेजा तो वास्तविक वंदना पांडेय उपस्थित हुई। सुनवाई में उनके द्वारा बताया कि यह शैक्षिक अभिलेख उनका है। सिद्धार्थनगर में जब काउंसिलिंग में वह गईं थीं तो वहां उन्हें यह कहकर काउंसिलिंग से बाहर कर दिया गया कि सूची में नाम नहीं है। इसके बाद बर्खास्त शिक्षिका ने मेरे अभिलेख का उपयोग कर नौकरी हासिल कर ली। जांच अधिकारी की रिपोर्ट सही मिलने पर फर्जी शिक्षिका को बर्खास्त करते हुए रिकवरी के लिए भेजा गया, एफआइआर भी दर्ज कराया गया। बाद में फर्जी बर्खास्त शिक्षिका न्यायालय चली गई। इसके बाद न्यायालय ने बीएसए को प्रकरण की सुनवाई का निर्देश दिया।

बीएसए की सुनवाई में मामला सही पाया गया। बर्खास्त शिक्षिका ने अपना अस्थायी पता मानीराम बताया था, जिस पर उसे पंजीकरण डाक से तीन नोटिस भेजकर विभाग द्वारा स्पष्टीकरण मांगा जा चुका है, लेकिन उसकी तरफ से कोई उत्तर प्राप्त नहीं मिला। मोबाइल फोन भी बंद मिल रहा है। थाना प्रभारी की विवेचना में वंदना बनकर नौकरी कर रही शिक्षिका असल में अर्चना उर्फ ऊषा है और खुखुंदू देवरिया की रहने वाली है। बीएसए रमेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि फर्जी शिक्षिका के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है।

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