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गोरखपुर में धुंध ने बढ़ाई लोगों की चिंता, आंखों में जलन के साथ इन बातों से है खतरा, बचने के लिए अपनाएं यह तरीका

Gorakhpur Weather Today केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानक पर रविवार को गोरखपुर का एक्यूआइ 223 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकार्ड हुआ जो बीते दिन के एक्यूआइ 262 के मुकाबले तो कम था पर मानक एक्यूआइ 100 से काफी अधिक था। यह स्थिति जन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है जो हर किसी के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है। आइए जानते हैं बचाव का तरीका

By Rakesh Rai Edited By: Vivek Shukla Updated: Mon, 06 May 2024 08:37 AM (IST)
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गोरखपुर का एक्यूआइ 223 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकार्ड हुआ।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। धुंध के प्रभाव से गोरखपुर रविवार को भी मुक्त नहीं हो सका। शनिवार की तरह रविवार को भी दोपहर तक शहर का वायुमंडल पूरी तरह धुंध के साये में रहा। दोपहर बाद चली अपेक्षाकृत तेज हवा से कुछ राहत जरूर मिली पर वह हवा एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) को पर्यावरण संतुलन के मानक पर नहीं ला सकी।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानक पर रविवार को गोरखपुर का एक्यूआइ 223 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकार्ड हुआ, जो बीते दिन के एक्यूआइ 262 के मुकाबले तो कम था पर मानक एक्यूआइ 100 से काफी अधिक था। यह स्थिति जन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, जो हर किसी के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से रिकार्ड किए गए रविवार के दिन भर के एक्यूआइ सारिणी का अध्ययन करने पर पता चला कि सुबह एक बार ऐसी स्थिति भी आई, जब इसका स्तर 445 माइकोग्राम प्रति घनमीटर के स्तर पर पहुंच गया लेकिन यह स्थिति कुछ ही मिनट तक रही। इस अधिकतम स्तर ने पूरे दिन के औसत एक्यूआइ को मानक से कम नहीं होने दिया।

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मौसम विज्ञानी कैलाश पांडेय ने बताया कि यह धुंध धूल भरी पछुआ हवा की वजह से आई, जो गोरखपुर आते-आते हवा की रफ्तार व निम्नवायुदाब के चलते ऊपर उठकर वायुमंडल में ठहर गई। दोपहर बाद ऊपरी वायुमंडल में हल्की हवा चलने से धुंध से थोड़ी राहत तो मिली पर एक्यूआइ के आंकड़े को बहुत प्रभावित नहीं कर सकी। इसी वजह से एक्यूआइ में वह गिरावट नहीं दर्ज की जा सकी, जिसकी कि जरूरत थी।

आज से वर्षा के आसार, छंटेगी धुंध, साफ होगा मौसम

मौसम विज्ञानी कैलाश पांडेय ने बताया कि गोरखपुर में धुंध से राहत अब वर्षा ही दिलाएगी, जिसकी वायुमंडलीय परिस्थितियां बन चुकी हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में असोम के ऊपरी वायुमंडल में चक्रवाती हवा का क्षेत्र बना हुआ है। इसके अलावा पश्चिमोत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया है।

दोनों वायुमंडलीय परिस्थितियां पूर्वी उत्तर प्रदेश के ऊपरी हिस्से की ओर स्थानांतरित हो रही हैं, जिसके मेल के चलते गोरखपुर और आसपास के जिलों में सोमवार से बादल छाने लगेंगे। कुछ स्थानों पर गरज-चमक के साथ बूंदाबांदी से लेकर हल्की वर्षा हो सकती है।

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रुक-रुक कर यह क्रम नौ मई तक चल सकता है। सात व आठ मई को 15 से 20 मिलीमीटर वर्षा के आसार हैं।इस वर्षा के पानी के साथ आसमान में ठहरी हुई धुंध जमीन पर आ जाएगी, जिससे लोगों को प्रदूषण से राहत मिल जाएगी। वर्षा तापमान में गिरावट की वजह भी बनेगी, जिससे लोगों को गर्मी से भी राहत मिलेगी।

फिर 41 के पार पहुंचा पारा

मई में अलग-अलग वायुमंडलीय परिस्थितियाें की वजह से अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से कम रिकार्ड हुआ। रविवार को महीने का पहला ऐसा दिन था, जब पारा 41 के पार पहुंच गया। ऐसा दोपहर बाद ऊपरी वायुमंडल चली तेज पछुआ हवा के चलते संभव हुआ। हवा के चलते धुंध छंटी तो मौसम साफ हुआ और धूप को अपनी चमक दिखाने का अवसर मिल गया, जिसके चलते तापमान एक बार फिर चढ़ गया।

एक्यूआइ का मानक

0-50 : बहुत कम असर होता है, खतरा नहीं।

51-100 : बीमार लोगों को सांस लेने में मामूली दिक्कत।

101-200 : बच्चे, बुजुर्ग व दिल, फेफड़े रोगियों को सांस लेने में दिक्कत।

201-300 : सभी लोगों को सास लेने में कठिनाइयां शुरू होंगी।

301-400 : लोग सास की बीमारियों के घेरे में आ जाएंगे।

400 से अधिक : हर स्वास्थ्य इंसान को सांस की बीमारी हो सकती है।

तेज गर्मी व गरम हवा सुखा रहीं नाक की त्वचा, बह रहा खून

तेज गर्मी व गरम हवाओं से नाक के अंदर की त्वचा सूख रही है। अंदरूनी सतह की रक्तवाहिनियां फट रही हैं और खून निकल रहा है। यह समस्या 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों-किशोरों में ज्यादा है। गर्मी की वजह से नाक में गंदगी सूख रही है। बच्चे उसे उंगली से निकालने की कोशिश कर रहे हैं और खून निकलने लग रहा है।

प्रतिदिन बीआरडी मेडिकल कालेज में ऐसे 25-30 मामले पहुंच रहे हैं। जिन्हें नाक से खून आने की पुरानी समस्या है, उनकी यह दिक्कत बढ़ गई है। जिन्हें पहले कभी यह दिक्कत नहीं रही, वे भी परेशान हैं।

विशेषज्ञों ने अधिक पानी पीने, दो पहिया वाहन पर हेलमेट लगाकर चलने और नाक में नारियल का तेल लगाने की सलाह दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि घर से बाहर ज्यादा समय तक रहना है तो साथ में नार्मल सेलाइन नेजल ड्राप रखें, थोड़ी-थोड़ी देर पर इसे नाक में डालते रहें।

बीआरडी मेडिकल कालेज के नाक कान गला रोग विभाग अध्यक्ष डा. आरएन यादव ने कहा कि तापमान बढ़ने की वजह से हवा की नमी काफी कम हो गई है। जिसकी वजह से नाक की अंदरूनी त्वचा में रूखापन आ रहा है। रक्तवाहिनियां फट रहीं हैं।

बच्चे नाक में उंगली डालकर गंदगी निकालते हैं, इस वजह से भी खून आने लगता है। पानी की मात्रा शरीर में कम न होने दें। थोड़ी-थोड़ी देर पर मुंह धो लें। नार्मल सेलाइन नेजल ड्राप साथ में रखें, समय-समय पर उसे डालते रहें।

आंखों में लाली, गड़न व खुजली की समस्या बढ़ी

आंखों में लाली, गड़न व खुजली की समस्या बढ़ी तीन दिन से वातावरण में धुंध आंखों को क्षति पहुंचा रही है। इसकी वजह से आंखों में लाली, पानी गिरने, गड़न व खुजली की समस्या बढ़ गई है। ओपीडी में ऐसे लोगों की संख्या 30 प्रतिशत हो गई है।

नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. वाई सिंह ने बताया कि दो स्तरों पर इससे बचाव की जरूरत है। एक तो सामूहिक स्तर पर पराली न जलाई जाए। इससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है और तमाम तरह की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें पैदा हो रही हैं। दूसरा व्यक्ति स्तर पर सतर्कता बरतने की जरूरत है।

अस्थमा, ब्रोंकाइटिस व सीओपीडी के रोगियों की दिक्कतें बढ़ीं

अस्थमा, ब्रोंकाइटिस व सीओपीडी के रोगियों की दिक्कतें बढ़ीं धुंध की वजह से श्वांस व फेफड़े संबंधी रोगियों की समस्याएं बढ़ गई हैं। अस्थमा, ब्रोंकाइटिस व क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के रोगियों की सांस फूलने लगी है। सांस लेने में उन्हें कठिनाई हो रही है। ओपीडी में पुराने रोगियों की संख्या बढ़ गई है।

नियमित दवाओं के सेवन से जिन्हें राहत थी, धुंध ने उन्हें बेचैन कर दिया है।

बीआरडी मेडिकल कालेज के टीबी एवं चेस्ट रोग विभाग के अध्यक्ष डा. अश्विनी मिश्रा ने बताया कि सबसे ज्यादा दिक्कत अस्थमा, ब्रोंकाइटिस व सीओपीडी के रोगियों को है। उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी है। उन्होंने ऐसे रोगियों को मास्क लगाकर रहने की सलाह देते हुए कहा है कि दिक्कत बढ़ने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें। जो दवाएं चल रही हैं, उन्हें नियमित लेते रहें।

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