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UP News: एम्स गोरखपुर में खाद्य व औषधि प्रशासन का छापा, सभी पांच कैंटीन सील

एम्स गोरखपुर की कैंटीन में मरीजों के स्वजन कर्मचारियों और डॉक्टरों को एक्सपायर और घटिया खाद्य सामग्री खिलाने का मामला सामने आया है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने कैफेटेरिया समेत पांच कैंटीन पर छापा मारा। गंदगी व एक्सपायर खाद्य सामग्री मिलने के बाद सभी को सील कर दिया गया। दिल्ली के फूड लाइसेंस पर कैंटीन का संचालन होते मिला। इस मामले को स्वास्थ्य मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है।

By Jagran NewsEdited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 13 Sep 2024 08:03 AM (IST)
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कैंटिन की जांच करती खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम। जागरण

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एम्स गोरखपुर की कैंटीन में रोगियों के स्वजन, कर्मचारियों और डाक्टर को एक्सपायर और घटिया खाद्य सामग्री खिलाने वाले संचालक पर गाज गिरी है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने गुरुवार दोपहर कैफेटेरिया समेत पांच कैंटीन पर छापा मारा।

गंदगी व एक्सपायर खाद्य सामग्री मिलने के बाद सभी को सील कर दिया। दिल्ली के फूड लाइसेंस पर कैंटीन का संचालन होते मिला। संचालक के मैनेजर कोई भी पेपर नहीं दिखा सके। एम्स प्रशासन ने किस आधार पर पांच कैंटीन के संचालन का ठेका दिया, अब इसकी भी जांच होगी।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया है। देर शाम तक कार्रवाई के बीच औषधि प्रशासन की टीम ने एम्स गोरखपुर के दवा स्टोर पर भी छापा मारा। यहां तीव्र दर्द के निवारण में लगाए जा रहे मार्फिन इंजेक्शन का नमूना लिया। यह इंजेक्शन नारकोटिक्स ग्रुप में शामिल है। इसका स्टाक मिलान भी किया गया। पूरे दिन एम्स परिसर में अफरातफरी रही।

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दैनिक जागरण ने गुरुवार के अंक में एम्स परिसर में खुले कैंटीन में खराब खाद्य सामग्री देने और कई खाद्य सामग्री एक्सपायर होने की खबर प्रकाशित की थी। खबर का संज्ञान लेकर डीएम कृष्णा करुणेश ने मजिस्ट्रेट दीपक सिंह के नेतृत्व में खाद एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम को छापा मारने के लिए भेजा।

सहायक आयुक्त खाद्य डा. सुधीर सिंह ने मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी हितेश मोहन त्रिपाठी के नेतृत्व में टीम का गठन किया। टीम दोपहर 12 बजे एम्स परिसर पहुंची और आडिटोरियम के पीछे स्थित कैफेटेरिया में गई। यहां किचन में गंदगी देख और बदबू से परेशान अफसर बाहर आ गए।

उन्होंने संचालक के मैनेजर इंद्रेश कुमार से कागजात मांगे, लेकिन वह कुछ भी नहीं दिखा सका। किचन में खराब आटा, खराब रसगुल्ला, खराब क्रीम रोल, खराब ब्रेड आदि मिला। भारी मात्रा में एक्सपायर खाद्य सामग्री भी किचन में मिली। टीम के सदस्यों ने नमूना लेकर सभी सामग्री को नष्ट कराया।

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इसके बाद वह कार्यकारी निदेशक व मुख्य कार्यपालक अधिकारी के कार्यालय के बगल में स्थित कैंटीन में गए। यहां भी बुरा हाल था। सामान नीचे फेंके थे, एक्सपायर खाद्य सामग्री की भरमार मिली। कर्मचारियों के पास कोई पहचान पत्र नहीं था। एक कर्मचारी के पास पहचान पत्र था, लेकिन उस पर दिल्ली का पता लिखा मिला।

दोपहर तक मनमानी, टीम आई तो सकते में आ गए

एम्स परिसर में पुष्पा फूड कंपनी के कैंटीन से जुड़े कर्मचारी बुधवार शाम हंगामा के बाद भी नहीं सुधरे। उन्होंने गुरुवार दोपहर तक मनमाने तरीके से खाद्य सामग्री और एक्सपायर सामग्री की बिक्री जारी रखी। उनको यह उम्मीद नहीं थी कि प्रशासन छापा मारने के लिए टीम भेज देगा। वह निश्चिंत थे कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।

एम्स प्रशासन भी नहीं दिखा पाया कागजात

कार्रवाई के दौरान टीम ने उपनिदेशक प्रशासन अरुण सिंह को भी मौके पर बुला लिया था। उन्होंने कैंटीन के टेंडर से जुड़े कागजात मांगे तो उपनिदेशक नहीं उपलब्ध करा सके। शाम को जेम पोर्टल के माध्यम से हुई प्रक्रिया का पेपर निकालकर टीम को दिया गया।

औषधि निरीक्षक ने भी की जांच

डीएम के निर्देश पर मजिस्ट्रेट के साथ औषधि निरीक्षक राहुल कुमार भी पहुंचे। उन्होंने ड्रग स्टोर में पहुंचकर दवाओं की जांच की। फार्माकोलाजी विभागाध्यक्ष डा. हीरा भल्ला से नारकोटिक्स ग्रुप की दवाओं से जुड़ी जानकारी ली। साथ ही मार्फिन इंजेक्शन का नमूना जांच के लिए लिया।

संचालक दिल्ली में

पुष्पा फूड सेंटर के नाम से एम्स परिसर में खुले पांच कैंटीन का संचालन दिल्ली निवासी सूरज सिंह, राकेश कुमार दूबे और अमरनाथ कश्यप कर रहे हैं। जेम पोर्टल के जरिये इनको लाइसेंस मिला था। गुरुवार को टीम ने संचालक को परिसर में बुलाया तो उन्होंने दिल्ली में होने का हवाला दिया।

गोरखपुर एम्स के अध्यक्ष देशदीपक वर्मा ने कहा कि एम्स की कैंटीन में गुणवत्ताविहीन खाद्य सामग्री और एक्सपायर खाद्य सामग्री मिलना गंभीर मामला है। इसकी पूरी जांच कराई जाएगी और जो भी जिम्मेदार होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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