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UP News: 269 दिन में एम्स गोरखपुर से हटाए गए दो कार्यकारी निदेशक, बेटों का करियर बना फांस

एम्स गोरखपुर में कार्यकारी निदेशकों का लगातार बदलना चिंता का विषय है। महज 269 दिनों में दो ईडी को हटाया जा चुका है। एक पर अपने बेटों की नियुक्ति का आरोप था तो दूसरे पर गलत ओबीसी प्रमाण पत्र पर बेटे को एमडी कोर्स में प्रवेश दिलाने का आरोप है। स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय विजिलेंस जांच कर रही है। इस उथल-पुथल से एम्स की बेहतरी प्रभावित हो रही है।

By Durgesh Tripathi Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 28 Sep 2024 08:59 AM (IST)
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एम्स गोरखपुर में बिना कार्यकाल पूरा किए दो कार्यकारी निदेशकों (ईडी) की विदाई। जागरण

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। महज 269 दिन में एम्स गोरखपुर में बिना कार्यकाल पूरा किए दो कार्यकारी निदेशकों (ईडी) की विदाई हो गई। एक पर अपने दो बेटों की नियुक्ति का आरोप लगा था तो दूसरे पर गलत अन्य पिछड़ा वर्ग नान क्रीमीलेयर प्रमाण पत्र पर अपने बेटे को एमडी कोर्स में प्रवेश का आरोप लगा है।

दोनों के खिलाफ स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय विजिलेंस को जांच मिली। यानी दोनों ईडी को बेटों के चक्कर में पद से हाथ धोना पड़ा। उम्मीद थी कि एम्स गोरखपुर को स्थाई ईडी मिलेगा लेकिन एक बार फिर कार्यवाहक के भरोसे व्यवस्था संचालित होगी। इस कारण एम्स की बेहतरी की कोशिशों को झटका लगना तय है।

ऋषिकेश एम्स में फिजियोलाजी विभाग की प्रो. सुरेखा किशोर को जून, 2020 में एम्स गोरखपुर का ईडी बनाया गया था। उनके कार्यभार ग्रहण करने के कुछ दिनों बाद ही छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया। रात में एम्स गोरखपुर परिसर से निकलकर छात्र-छात्राएं पहले कैंट थाना और बाद में डीएम आवास पहुंच गए।

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किसी तरह इस मामले को सुलझाया गया लेकिन शिकायतों का दौर शुरू हो गया। इस बीच कोरोना संक्रमण काल में शिकायतें कम हुईं लेकिन बाद में डाक्टरों में गुटबाजी शुरू होने लगी। इसका असर रोगियों से जुड़ी सुविधाओं को शुरू कराने पर पड़ा।

वर्ष 2023 में प्रो. सुरेखा किशोर ने अपने दो बेटों डा. शिखर किशोर वर्मा और डा. शिवल किशोर वर्मा को एम्स गोरखपुर में नियुक्त कर दिया। इसकी शिकायत केंद्रीय सतर्कता आयोग में हुई। साथ ही भ्रष्टाचार के भी कई आरोप लगे। इसके बाद इस वर्ष दो जनवरी को प्रो. सुरेखा किशोर को हटा दिया गया। उनका एम्स गोरखपुर में तकरीबन डेढ़ वर्ष का कार्यकाल बचा था।

कार्यकाल पूरा होने से छह दिन पहले हटाए गए

दो जनवरी, 2024 को एम्स पटना के ईडी प्रो. गोपाल कृष्ण पाल को एम्स गोरखपुर का कार्यवाहक ईडी बनाया गया। प्रो. पाल को छह महीने के लिए एम्स गोरखपुर भेजा गया था। दो जुलाई को एक बार फिर तीन महीने का कार्यकाल बढ़ाया गया।

दो अक्टूबर को कार्यकाल पूरा होना था लेकिन छह दिन पहले ही उन्हें हटा दिया गया। जिस तरह प्रो. सुरेखा किशोर को तत्काल हटाने का आदेश जारी हुआ था उसी तरह प्रो. पाल के लिए भी स्वास्थ्य मंत्रालय ने आदेश जारी किया।

यही वजह है कि आदेश आने के कुछ घंटे के भीतर नए ईडी प्रो. अजय सिंह ने बिना गोरखपुर आए ही कार्यभार ग्रहण कर लिया। इसके बीच मंशा जांच को प्रभावित न होने देने की बताई जा रही है।

विजिलेंस टीम ने सर्जरी विभागाध्यक्ष से की बात

एम्स गोरखपुर में गुरुवार को केंद्रीय विजिलेंस टीम के निर्देश पर प्रदेश की विजिलेंस टीम ने जांच शुरू की है। जांच के दायरे में अव्यवस्था, भ्रष्टाचार आदि को शामिल किया गया है। टीम के सदस्यों ने शुक्रवार को सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. गौरव गुप्ता से मुलाकात कर बात की। कुछ दस्तावेज भी लिए हैं।

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सर्जरी विभागाध्यक्ष ने छेड़ी है जंग

फिजियोलाजी की एडिशनल प्रोफेसर डा. संगीता गुप्ता की प्रोफेसर पद पर पदोन्नति न होने के बाद एम्स गोरखपुर के सर्जरी विभागाध्यक्ष व एडिशनल प्रोफेसर डा. गौरव गुप्ता ने प्रो. गोपाल कृष्ण पाल के खिलाफ जंग छेड़ दी थी। उन्होंने 25 जुलाई को हुई साक्षात्कार प्रक्रिया पर ही सवाल उठा दिए थे।

हालांकि सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल और बाद में उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इस बीच प्रो. पाल के बेटे डा. ओरोप्रकाश पाल का प्रवेश ओबीसी एनसीएल प्रमाण पत्र पर होने का मामला सामने आया तो डा. गुप्ता फिर मुखर हो गए।

उन्होंने पांच सितंबर को इसकी शिकायत जनसुनवाई पोर्टल पर भी की थी। हालांकि डा. ओरोप्रकाश पाल ने 30 अगस्त को प्रवेश लेने के बाद तीन सितंबर को तीन लाख रुपये जुर्माना जमाकर प्रवेश रद करा दिया था। विवाद बढ़ने के बाद प्रो. पाल ने 10 सितंबर को बेटे का ओबीसी एनसीएल प्रमाण पत्र पटना में रद करा दिया था।

केंद्रीय टीम ने की पटना डीएम से बात

चर्चा है कि पूर्व ईडी प्रो. पाल के बेटे के प्रमाण पत्रों की जांच के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से गठित तीन सदस्यीय कमेटी के पटना के डीएम से बात की है। उन्होंने प्रमाण पत्र के लिए आवेदन से लगायत जारी होने तक के सभी दस्तावेज लिए हैं। पूर्व ईडी प्रो. पाल ने कहा कि कमेटी ने अब तक संपर्क नहीं किया है।

पहले 265 किमी, अब 963 किमी दूर हैं ईडी

गोरखपुर: पटना से गोरखपुर की दूरी 265 किलोमीटर है। फ्लाइट की भी सीधी सुविधा नहीं है। इस कारण प्रो. पाल कई दिनों के अंतराल पर आते थे। अब भोपाल के ईडी को जिम्मेदारी मिली तो दूरी 963 किलोमीटर हो गई। भोपाल से भी गोरखपुर की कोई सीधी फ्लाइट नहीं है।

दूरी भी साढ़े तीन गुना से ज्यादा बढ़ गई है। लोगों का कहना है कि एम्स गोरखपुर को जल्द से जल्द स्थाई ईडी मिलना चाहिए। उतरी दूरी से कोई बार-बार आ नहीं सकता और बिना परिसर में रहे व्यवस्था पर नजर नहीं रखी जा सकती।

फंस सकता है तीन सौ बेड का ट्रामा सेंटर

गोरखपुर: दो जनवरी को कार्यभार ग्रहण करने के बाद प्रो. गोपाल कृष्ण पाल ने एम्स में कई सुविधाएं शुरू कराईं। डालसिलिस यूनिट, पीडियाट्रिक आइसीयू, आइसीयू के साथ ही रोगियों के बेहतर उपचार के लिए कई अन्य विभागों में काम शुरू कराए। 21 अगस्त को शासी निकाय व संस्थान निकाय की बैठक में पांच सौ करोड़ की लागत से तीन सौ बेड के ट्रामा सेंटर की स्थापना का प्रस्ताव पारित कराया था।

दो सौ करोड़ की लागत से स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ खोलने और एम्स गोरखपुर को चिकित्सा पर्यटन का हब बनाने का प्रस्ताव स्वीकृत कराया था। इससे गोरखपुर में अक्टूबर महीने में स्टैंडिंग फाइनेंस कमेटी की बैठक में पारित कराने की तैयारी थी। यह प्रस्ताव भी अब ठंडे बस्ते में चले जाएंगे।

ऊपर से नीचे तक फैला है भ्रष्टाचार : प्रो. पाल

गोरखपुर: प्रो. गोपाल कृष्ण पाल ने एम्स गोरखपुर के विकास की राह में भ्रष्टाचार को बाधा बताया है। कहा कि ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार फैला है। भुगतान की कई फाइलों पर मैंने हस्ताक्षर नहीं किया। यह फाइलें अलग करा दीं इस कारण लोग पीछे पड़ गए थे। मैंने एम्स गोरखपुर में कई सुविधाओं को शुरू कराया।

प्रो. गोपाल कृष्ण पाल ने दूरभाष से बातचीत में कहा कि, मैं गोरखपुर के लिए बहुत कुछ करना चाहता था। यहां सुधार शुरू भी हो गया था। मैंने मंत्रालय में खुद ही हटाने का अनुरोध किया था। मैं आज भी कह रहा हूं कि बेटे का प्रमाण पत्र सही है। खुद क्लीन चिट मिलने के बाद सामने आऊंगा और सबको जवाब दूंगा। एक सवाल के जवाब में प्रो. पाल ने कहा कि डा. कुमार सतीश रवि से सहानुभूति है, किसी की नौकरी जाना वाकई कष्टकारी है लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। उनकी नियुक्ति ही नहीं होनी चाहिए थी।

बच्चों की हड्डी के डाक्टर हैं प्रो. अजय सिंह

गोरखपुर: एम्स गोरखपुर के नए ईडी प्रो. अजय सिंह बच्चों की हड्डी के डाक्टर हैं। लखनऊ के मूल निवासी प्रो. अजय सिंह किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक्स के प्रभारी प्रोफेसर रह चुके हैं। एम्स भोपाल का ईडी बनाए जाने के पहले वह नोएडा के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ चाइल्ड हेल्थ में निदेशक रह चुके हैं। उनकी पत्नी लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग में हैं, बेटा एमबीए कर रहा है।

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