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गोरखपुर-बिहार में फंगल इंफेक्शन का कहर, डॉक्टर से सलाह लेकर ही करें इलाज

गोरखपुर और बिहार में तेजी से फंगल इंफेक्शन फैल रहा है। उमस भरी गर्मी में पसीने से भीग चुके कपड़े न बदलने और नहाने के बाद बिना शरीर सुखाए कपड़े पहनने से फंगल इंफेक्शन हो रहा है। बिना डॉक्टर की सलाह स्टेरायड युक्त मलहम लगाने से यह संक्रमण और बढ़ रहा है। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में इन दिनों फंगल इंफेक्शन की शिकायत लेकर आने वालों की संख्या ज्यादा है।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 08 Sep 2024 01:48 PM (IST)
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फंगल इंफेक्शन की शिकायत लेकर आने वालों की संख्या ज्यादा है।
 जागरण संवाददाता, गोरखपुर। उमस भरी गर्मी में फंगल इंफेक्शन (फफूंद का संक्रमण) गोरखपुर के साथ ही बिहार में भी तेजी से फैल रहा है। पसीने से भीग चुके कपड़े न बदलने और नहाने के बाद बिना शरीर सुखाए कपड़े पहनने की आदत ने लोगों को चर्म रोग देना शुरू कर दिया है।

ऊपर से बिना डाक्टर की सलाह स्टेरायड मिला मलहम संक्रमण को और बढ़ा रहा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर, बाबा राघवदास मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल में इन दिनों फंगल इंफेक्शन की शिकायत लेकर आने वालों की संख्या ज्यादा है।

तराई क्षेत्र में शामिल गोरखपुर मंडल के साथ ही गोपालगंज, सिवान आदि क्षेत्रों से रोजाना सैकड़ों लोग अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। इनको जांघ के आसपास दाद की शिकायत है। कुछ के पेट, चेहरे पर भी दाद हो गया है।

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खुद ही खराब कर रहे रोग

बाजार में दाद को खत्म करने के लिए बेचे जा रहे ज्यादातर मलहम में स्टेरायड का इस्तेमाल हो रहा है। यह मलहम प्रभावित स्थान पर लगाने पर एक-दो दिन तो तेजी से आराम मिलता है लेकिन इससे बाद दाद और तेजी से बढ़ने लगता है।

दवाएं नहीं करतीं असर

गलत मलहम और सही उपचार न होने से ट्राइकोफाइटन रूब्रम नामक कवक से ट्राइकोफाइटन इंडोटाइनीज फैलने लगता है। इस पर साधारण दवाएं असर नहीं करती हैं। चर्म रोग विशेषज्ञ ही इसकी पहचान कर दवाएं देता है।

यह है पहचान

लाल चकत्ते होने और इनके किनारे पर छोटे-छोटे पस युक्त पीले दाने होना। इनमें खुजली होती है और यह बढ़ता जाता है।

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ऐसे करें बचाव

दाद की शुरुआत हो तो कोई मलहम न लगाएं। सूती वाले ढीले कपड़े पहनें। नहाने के बाद शरीर ठीक से सुखा लें फिर कपड़े पहनें। नम कपड़े कदापि न पहनें।

एम्स गोरखपुर के त्वचा एवं यौन रोग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील कुमार गुप्ता ने कहा कि तराई वाले क्षेत्रों में इन दिनों फंगल इंफेक्शन के बहुत ज्यादा रोगी आ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर ने स्टेरायड युक्त मलहम का इस्तेमाल किया है। इस कारण उनकी समस्या कम होने की बजाय बहुत ज्यादा बढ़ गई है। इनको मलहम के साथ ही खाने की दवा भी देनी पड़ रही है। दाद हो तो डाक्टर को दिखाएं, अपने मन से मलहम न लगाएं।

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