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सावधान! पीलिया या पेट में दर्द होने पर हो जाएं सतर्क, गॉलब्लैडर कैंसर के हो सकते हैं लक्षण, कारण जान लें

पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार में गॉलब्लैडर कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एम्स में पीलिया का इलाज मरीज पहुंचा तो जांच में कैंसर निकल आया। डॉक्टरों का कहना है कि शुरुआत में यह पता नहीं चलता। ऐसे में पीलिया या पेट में दर्द होने पर सतर्क रहें।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Mon, 20 Mar 2023 07:10 AM (IST)
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पीलिया व दर्द की दवा कराने आए मरीज में निकला कैंसर। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। पित्त की थैली (गॉलब्लैडर) की पथरी में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी छिपी हुई है। शुरुआत में इसका पता नहीं चलता। लोग पेट दर्द को सामान्य समस्या मानकर दवा लेकर खा लेते हैं। यह लापरवाही रोग बढ़ा दे रही है। ऐसे कई रोगी तब सामने आए जब वो पीलिया की जांच कराने एम्स पहुंचे। इनमें चौथे चरण का कैंसर सामने आया। उपचार शुरू हो गया है, लेकिन ठीक होने के बारे में डॉक्टर आश्वस्त नहीं हैं। चिकित्सक रोग का कारण गलत खान-पान मानते हैं। वह कह रहे हैं कि पीलिया या पेट दर्द होने पर सतर्क हो जाने की जरूरत है।

तेजी से बढ़ रही कैंसर मरीजों की संख्या

एम्स में उपचार कराने आए कैंसर रोगियों के आंकड़ों के अध्ययन में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई कि गॉलब्लैडर कैंसर के मामलों की तेजी से वृद्धि हो रही है। यहां आए 88 लोगों की पित्त की थैली में पथरी थी जो कैंसर से ग्रस्त मिले। 60 प्रतिशत रोगी पीलिया से भी ग्रसित थे। इनमें पूर्वी उत्तर प्रदेश से केवल महराजगंज से 11 रोगी हैं। तीन गोंडा से और शेष बिहार के हैं।

पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार में अभी तक मुख एवं गले के कैंसर के मामले सबसे ज्यादा रहे। एम्स में गालब्लाडर और मुख एवं गले के कैंसर के रोगियों की संख्या बराबर है। दोनों कैंसर के मामले 30-30 प्रतिशत हैं। सर्विक्स के कैंसर 20 प्रतिशत और शेष 20 प्रतिशत में स्तन, पेट, फेफड़े, आंत व चर्म कैंसर के रोगी हैं। इसमें सबसे ज्यादा रोगी बिहार के गोपालगंज, नरकटियागंज, सिवान, छपरा व पूर्वी-पश्चिमी चंपारण के हैं। नेपाल, महराजगंज व गोंडा के रोगी भी हैं।

मुख्य कारण खान-पान

डॉक्टरों के अनुसार गॉलब्लैडर कैंसर का मुख्य कारण गलत खान-पान है। फास्ट फूड, जंक फूड, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ व दूषित पानी है। पथरी भी एक कारण है। वसायुक्त आहार, तेल-मसालों का ज्यादा प्रयोग व कोलेस्ट्राल बढ़ने से पथरी होती है, जो बाद में कैंसर का कारण बनती है।

20 प्रतिशत रोगी ठीक हुए

मुख एवं गले, स्तन आदि के वे रोगी नौ से 12 माह में उपचार कराने के बाद ठीक हो गए, जिनकी बीमारी शुरुआत में ही पता चल गई थी। इनकी संख्या 20 प्रतिशत है। जिन्होंने उपचार कराने में विलंब किया या अप्रशिक्षित लोगों से उपचार कराते रहे, उनकी बीमारी बढ़ गई है।

एम्स में आए कैंसर रोगियों की संख्या

  • 2022 में- 240
  • 2023 में- 52
  • गॉलब्लैडर कैंसर रोगी- 88
  • मुख एवं गले के कैंसर रोगी- 87
  • सर्विक्स कैंसर रोगी- 59
  • अन्य कैंसर के रोगी- 58

गॉलब्लैडर कैंसर के लक्षण

  • पीलिया
  • पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
  • बुखार
  • मिचली, उल्टी
  • पेट में गांठ, सूजन
  • कमजोरी

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

  • एम्स के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. शशांक शेखर ने बताया कि गॉलब्लैडर का कैंसर काफी खतरनाक हो जाता है, क्योंकि इसके स्पष्ट लक्षण सामने नहीं आते हैं। जब तक कैंसर की पहचान होती है तब तक बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। ज्यादातर लोग पीलिया का उपचार कराने आए थे और उनमें कैंसर निकला। देश के अन्य भागों में गॉलब्लैडर का कैंसर अति दुर्लभ है। इसके बहुत कम मामले सामने आते हैं, लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार के रोगियों की संख्या चौंकाने वाली है।
  • एम्स की कार्यकारी निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर ने बताया कि गॉलब्लैडर कैंसर के रोगियों की बढ़ती संख्या ने चिंता बढ़ा दी है। लगभग तीन सौ रोगियों का डाटा एकत्र किया गया है। सबसे ज्यादा रोगी उत्तर प्रदेश-बिहार सीमा के हैं। इन क्षेत्रों में हमारे विशेषज्ञ जाकर पता लगाएंगे कि इसका मुख्य कारण क्या है। वहां पानी की जांच के साथ ही लोगों के खान-पान व रहन-सहन पर भी अध्ययन किया जाएगा। इसका प्रस्ताव तैयार हो चुका है। इससे इसकी रोकथाम में मदद मिलेगी।
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