Move to Jagran APP

गोरखपुर में तीन साल बाद गारमेंट इंडस्ट्री पर चढ़ा उत्साह का रंग, कोरोना के साए से पूरी तरह बाहर निकला उद्योग

गोरखपुर जिले का कपड़ा उद्योग कोरोना के साए से पूरी तरह से बाहर निकल आया है। यही वजह है कि इस बार होली के अवसर पर रेडीमेड गारमेंट फैक्ट्रियों में दो से तीन गुणा ऑर्डर बढ़ा है। अब उद्यमी आपूर्ति की तैयारी में जुटे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Mon, 27 Feb 2023 04:05 PM (IST)
Hero Image
फैक्ट्री में तैयार शर्ट व कुर्ते की फिनिशिंग चेक करते उद्यमी अखिलेश दुबे। -जागरण
गोरखपुर, उमेश पाठक। कोरोना काल के चलते करीब तीन वर्ष तक समस्याओं से जूझ रही गारमेंट इंडस्ट्री में रौनक लौट चुकी है। होली के अवसर पर इस सेक्टर में उत्साह का रंग चढ़ा है। उद्यमियों के पास तीन साल पहले की तुलना में करीब तीन गुणा अधिक ऑर्डर हैं। रेडीमेड गारमेंट फैक्ट्रियों में आपूर्ति की तैयारी में उद्यमी जुटे हैं। शर्ट, टी शर्ट, कुर्ते व जींस की मांग खूब बढ़ी है।

उद्यमियों को बड़े पैमाने पर मिला ऑर्डर

पिछले तीन साल उद्योगों की दृष्टि से काफी कठिन रहे हैं। टेक्सटाइल सेक्टर पर सर्वाधिक असर पड़ा था। स्टार्टअप शुरू करने वाले उद्यमियों को समस्या से जूझना पड़ा, ऑर्डर न के बराबर थे। पिछले साल होली में कोरोना का असर कुछ कम जरूर हुआ था, लेकिन बाजार में बहुत उत्साह नहीं था। लेकिन, इस बार टेक्सटाइल सेक्टर कोरोना के साए से पूरी तरह बाहर निकल चुका है। बड़े पैमाने पर आर्डर मिलने से उद्यमी उत्साहित हैं।

रंग-बिरंगे कुर्ते की खूब आ रही मांग

युवा उद्यमी अखिलेश दुबे का कहना है कि 2018 में उन्होंने उद्यम शुरू किया था। एक साल बाद ही कोरोना संक्रमण फैल जाने से उद्योग बंद सा हो गया। वो दिन काफी नकारात्मक थे। हमने हिम्मत बनाए रखी, जैसे हर उत्पादन शुरू करने की छूट मिली, फैक्ट्री में उत्पादन करना जारी रखा। हमारे उत्पाद को काफी पसंद किया गया। इस साल कोरोना का बिल्कुल प्रभाव नहीं है। हमें खूब ऑर्डर मिल रहे हैं। करीब तीन गुणा तक ऑर्डर बढ़ा है। होली से पहले तक आपूर्ति दे देंगे। सफेद, भगवा, लाल एवं पीले रंग के कुर्ते की खूब मांग आ रही है। कार्गो शर्ट को भी पसंद किया जा रहा है। कई लोगों के ऑर्डर अभी भी आ रहे हैं लेकिन होली तक आपूर्ति कर पाना संभव नहीं है।

कई गुना बढ़ गए कपड़ों के ऑर्डर

रेडीमेड गारमेंट की इकाई संचालित करने वाले लक्ष्मी प्रसाद शास्त्री बताते हैं कि शर्ट, टी शर्ट, कुर्ते आदि की खूब मांग है। कोरोना काल में प्रभाव पड़ा था लेकिन अब ऑर्डर कई गुणा अधिक हैं। लगातार उत्पाद तैयार किया जा रहा है। गर्मी को देखते हुए लोवर आदि के आर्डर भी मिल रहे हैं, लेकिन पहले होली से जुड़ी मांग को पूरा करने का प्रयास है। गीडा में रेडीमेड गारमेंट की इकाई संचालित करने वाले मलिक बताते हैं कि कोरोना काल को भूल पाना आसान नहीं है। इस बार आर्डर बढ़े हैं। मुख्य रूप से जींस पैंट का निर्माण करने वाले मलिक का कहना है कि अब धीरे-धीरे सुधार आ रहा है।

बिहार, नेपाल भी जा रहे उत्पाद

गोरखपुर में तैयार होने वाले उत्पाद नेपाल व बिहार भी भेजे जा रहे हैं। गोरखपुर व बस्ती मंडल के जिलों में बड़े पैमाने पर यहां के उत्पादों की खपत है। कई व्यापारी यहां बने शर्ट, टी शर्ट व जींस नेपाल के बाजार में भी बेचते हैं। बिहार एवं झारखंड में भी यहां के रेडीमेड गारमेंट की आपूर्ति की जाती है। चैंबर आफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल का कहना है कि इस सेक्टर में युवा तेजी से आ रहे हैं। आने वाले समय में दायरा और बढ़ेगा।

रेडीमेड गारमेंट उद्योग एक नजर में

  • जिले में करीब 500 इकाइयां संचालित
  • 10 हजार से अधिक लोगों को मिला है रोजगार
  • 200 करोड़ रुपये से अधिक सालाना टर्नओवर
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।