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UP News: 'हवा' में जगह बेच गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने कमाए करोड़ों रुपये, जानिए कैसे?

गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने हवा में जगह बेचकर 26 करोड़ रुपये कमाए हैं। 2013 से अब तक लगभग 15 लोगों ने जीडीए से इस तरह की जगह खरीदी है और उससे अपने भवन की ऊंचाई बढ़ाई है। इसे बिक्री योग्य एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) कहा जाता है। 18 मीटर या इससे चौड़ी सड़क पर आपकी जमीन है तभी इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।

By Umesh Pathak Edited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 27 Sep 2024 09:55 AM (IST)
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गोरखपुर विकास प्राधिकरण कुछ विशिष्ट मामलों में हवा में भी जगह बेचता है। जागरण

उमेश पाठक, जागरण गोरखपुर। अपनी किसी योजना में भूखंड या फ्लैट बेचकर ही गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) कमाई नहीं करता बल्कि कुछ विशिष्ट मामलों में हवा में भी जगह बेचता है और आय अर्जित करता है। 2013 से लेकर अब तक लगभग 15 लोगों ने जीडीए से इस तरह की जगह खरीदी है और उससे अपने भवन की ऊंचाई बढ़ाई है।

इस बिक्री से प्राधिकरण को लगभग 26 करोड़ रुपये की आय हुई है। प्राधिकरण की भाषा में इसे बिक्री योग्य एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) कहा जाता है। भवन के लिए निर्धारित एफएआर का अधिकतम 50 प्रतिशत ही एफएआर अलग से खरीदा जा सकेगा। 18 मीटर या इससे चौड़ी सड़क पर आपकी जमीन है, तभी इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।

एफएआर का मतलब आपके भूखंड का गुणात्मक होता है। यह अलग-अलग परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है। उदाहरण के लिए यदि आपकी जमीन का क्षेत्रफल 10 हजार वर्ग फीट है और एफएआर 1.75 है तो 17 हजार 500 वर्ग फीट कुल निर्माण हो सकेगा।

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भूमि का कवरेज यदि 40 प्रतिशत है तो भवन लगभग पांच मंजिल का होगा। अब यदि भवन मालिक ऊपर और मंजिल बनाना चाहता है तो अपनी उपलब्ध जमीन के आधार पर नहीं बना सकेगा। उसके पास एक विकल्प है कि वह एफएआर खरीदे। यानी छठवीं मंजिल के लिए हवा में जगह खरीदनी होगी।

जीडीए इसकी कीमत भी सर्किल रेट या बाजार दर के आधार पर तय करता है। अलग-अलग क्षेत्रों में यह अलग-अलग हो सकता है। उसका निर्धारित एफएआर जितना था, उसका आधा ही खरीदा जा सकेगा। खरीदने के बाद नियमानुसार भवन की ऊंचाई बढ़ाई जा सकेगी।

एफएआर खरीदने के लिए जीडीए में आवेदन करना होता है और फिर इसके लिए गठित समिति के सामने इसे प्रस्तुत किया जाता है। समिति हर पहलू की जांच करने के बाद इसकी अनुमति देती है। यही कारण है कि बहुत कम लोग ही एफएआर खरीद पाते हैं। बीते साल में केवल एक बिल्डर ने एफएआर खरीदा है। एक और मामला समिति के सामने लंबित है।

समिति में होते हैं इन विभागों के प्रतिनिधि

आवेदक को एफएआर बेचना है या नहीं, इसका फैसला जीडीए उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित सात सदस्यीय समिति करती है। इसमें अलग-अलग विभागों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। समिति में प्रशासन से अपर जिलाधिकारी प्रशासन, नियोजन से मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक, लखनऊ, जल निगम के अधीक्षण अभियंता, अग्निशमन अधिकारी, पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता एवं जीडीए के मुख्य अभियंता शामिल हैं।

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जीडीए उपाध्यक्ष आनन्द वर्द्धन ने कहा कि जीडीए की ओर से एफएआर बेचने की व्यवस्था है। इसके अपने नियम हैं। बिल्डर की ओर से आवेदन करने के बाद एक समिति इसपर विचार करती है। समिति में विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। सभी नियमों के आधार पर जांच के बाद संतुष्ट होने पर ही अनुमति दी जाती है।