गोरखपुर में महायोजना 2031 पर आईं चार हजार से अधिक आपत्तियां, ये है लोगों की मांग
गोरखपुर वासियों के पास अभी महायोजना 2031 पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए चार अक्टूबर तक का समय है। आपत्तियां आने के बाद जीडीए उपाध्यक्ष की अध्यक्षता वाली कमेटी आपत्तियों का निस्तारण करेगी। इस दौरान आपत्तिकर्ताओं को समिति के समक्ष उपस्थित होने का मौका मिलेगा।
By JagranEdited By: Pragati ChandUpdated: Wed, 28 Sep 2022 01:05 PM (IST)
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की नई महायोजना 2031 के प्रारूप पर आपत्तियों का सिलसिला जारी है। अब तक चार हजार से अधिक आपत्तियां दर्ज कराई जा चुकी हैं। चार अक्टूबर आपत्ति दर्ज कराने की अंतिम तिथि है। उस दिन दशहरा होने के कारण एक दिन इसकी समय सीमा बढ़ाई जा सकती है। आपत्तियां दर्ज कराने की तिथि समाप्त होने के बाद सभी आपत्तिकर्ताओं को समिति के समक्ष उपस्थित होने का मौका मिलेगा और वहां वे अपनी बात रख सकेंगे।
जीडीए उपाध्यक्ष की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी आपत्तियों का निस्तारण
आपत्ति दर्ज कराने की अंतिम तिथि के बाद जीडीए उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर की अध्यक्षता वाली समिति आपत्तियों की निस्तारण करेगी। निस्तारण के बाद समिति संशोधित महायोजना जीडीए बोर्ड में प्रस्तुत करेगी और वहां से स्वीकृति मिलने के बाद शासन को भेजा जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में करीब तीन महीने का समय लग सकता है। जीडीए सचिव उदय प्रताप सिंह ने लोगों से अपील की है कि जिन्हें प्रारूप पर आपत्ति है वे जीडीए भवन के द्वितीय तल पर सहयुक्त नगर नियोजक के कार्यालय में आपत्ति दाखिल कर सकते हैं। वहां महायोजना के प्रारूप की प्रदर्शनी भी लगाई गई है।
इन विषयों पर आ रहीं आपत्तियां
महायोजना के प्रारूप पर आ रही आपत्तियों में सर्वाधिक संख्या विनियमितीकरण की जमीन को नियमित करने, हाईवे फैसिलिटी जोन के किनारे बफर जोन, समतल भूमि को हरित क्षेत्र या खुला क्षेत्र करने, वन क्षेत्र के 100 मीटर व 300 मीटर परिधि में नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित करने को लेकर है।नगर नियोजन अधिनियम की यह धारा है काम की
नई महायोजना में ग्रीन बेल्ट के लोगों को कालोनियां नियमित होने की उम्मीद थी लेकिन जारी प्रारूप में उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हुई हैं। ऐसे में वे ग्रीन बेल्ट का भू उपयोग बदलने की मांग कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश नगर नियोजन और विकास अधिनियम 1973 की धारा 54 इन आपत्तियों को बल प्रदान करेगा। इस धारा में यह कहा गया है कि यदि घोषित ग्रीन लैंड को 10 साल तक अधिगृहीत नहीं किया जाता है तो भूखंड का मालिक छह महीने में जैसा है, उसी स्थिति में भू-उपयोग निर्धारित करने की नोटिस दे सकता है। यानी यदि आवासीय उपयोग हो रहा है, तो उसी स्थिति में भू-उपयोग के लिए मांग जायज होगी। इसी तरह हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा 2020 में अनुज सिंघल बनाम स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश के मामले में ओपेन स्पेस का भू-उपयोग परिवर्तित करने का आदेश दिया गया था।
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