Geeta Jayanti 2023 : सौ वर्ष की स्वर्णिम यात्रा में 165 रूपों में कर्म ज्ञान बांट रही श्रीमद्भगवद्गीता, गीता जयंती पर पढ़ें विशेष रिपोर्ट
गीताप्रेस की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो चुके हैं। भगवान श्रीकृष्ण के अर्जुन को दिए गए ज्ञान का प्रचार-प्रसार करने का विचार लेकर इसकी स्थापना की गई थी। गीताप्रेस से प्रकाशित गीता 5 रुपये मूल्य की भी उपलब्ध है और माचिस की डिब्बी के आकार में भी। इसकी हर भाषा में मांग भी है। कोलकाता से शुरू हुआ सफर आज गोरखपुर तक पहुंच चुका है।
हिंदी, बांग्ला के बाद गुजराती गीता की सर्वाधिक मांग
गीताप्रेस वर्तमान में श्रीमद्भगवद्गीता का प्रकाशन 15 भाषाओं (असमिया, बांग्ला, अंग्रेजी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलगु व ऊर्दू) में कर रहा है। संस्कृत से हिंदी और बांग्ला वाली गीता के बाद सर्वाधिक मांग गुजराती गीता की है। वर्ष 2021-22 में हिंदी गीता 30.80 लाख बिकी थी तो बांग्ला गीता की बिक्री 7.17 लाख थी। गुजराती गीता की बिक्री 4.09 लाख रही।वर्षवार विस्तार का यह क्रम 2022-23 में भी जारी रहा। इस वर्ष हिंदी गीता 37.52 लाख तो बांग्ला गीता 9.46 लाख बिकी। गुजराती गीता की 6.27 लाख प्रति इस वर्ष मार्च तक बिक चुकी हैं।गीता और कल्याण के बाद श्रीरामचरितमानस सर्वाधिक लोकप्रिय
गीताप्रेस से प्रकाशित समस्त पुस्तकों में श्रीमद्भगवद्गीता और मासिक पत्रिका कल्याण के बाद सर्वाधिक बिक्री तुलसीकृत श्रीरामचरितमानस व अन्य साहित्य की है।मार्च 2023 तक कल्याण की 16 करोड़ 96 लाख प्रतियां बिक चुकी थीं। 2022 में आंकड़ा 16.74 करोड़ जबकि 2021 में 13.73 करोड़ था।बात रामचरितमानस व तुलसीकृत अन्य साहित्य की करें तो मार्च 2023 तक इसकी 12 करोड़ 17 लाख प्रतियां बिक चुकी थीं। भक्तचरित्र एवं भजनमाला, महिला एवं बालकोपयोगी, पुराण, उपनिषद् आदि ग्रंथों की मांग भी बहुतायत रही।तब एक दिन में 100 अब एक घंटे में छपते हैं 15 हजार पेज
स्थापना के समय गीताप्रेस में एक दिन में बमुश्किल से 100 पेज छप पाते थे। आज एक घंटे में 15 हजार रंगीन पेजों की छपाई होती है।गीताप्रेस में पहली हैंडप्रेस मशीन 24 सितंबर 1923 को 600 रुपये में खरीदी गई थी, जिसकी छपाई की गति बहुत कम थी।इसी वर्ष दो हजार रुपये में ट्रेडिल फिर अगले वर्ष सात हजार रुपये की पैनबेल्ड मशीन मंगाई गई। पुस्तकों की बढ़ती मांग को देखते हुए छपाई के अलावा फोल्डिंंग, कटिंंग, बाइडिंंग की 20 मशीनें गीताप्रेस में लग गईं। आज गीताप्रेस में जापान की अत्याधुनिक कोमोरी लिथ्रान जी-37 मशीन लगी है, जो 15 हजार पेपर की छपाई चार रंगों में कर देती है। आफसेट प्रिटिंग की छह जबकि शीटफेड छपाई वाली आठ मशीनें लगी हैं।कटिंंग, पेस्टिंंग और बाइंडिंंग की कई अन्य आधुनिक मशीनें यहां लग गई हैं। खास बात है कि पुस्तकों में ऐसे ग्लू (गोद) का उपयोग होता, जिसमें पशुओं की चर्बी का उपयोग न हुआ हो।नहीं दिखती कागज की एक भी कतरन
गीताप्रेस में कोई भी पुस्तक या प्रकाशित पेज जमीन पर नहीं रखा जाता। छपाई से लेकर कटिंंग और बाइडिंंग स्थल पर लकड़ी की ट्रालियां लगाई गई हैं। गीताप्रेस में रोजाना डेढ़ टन (1,500 किलो) कागज की कतरन निकलती है, लेकिन एक भी टुकड़ा परिसर में नजर नहीं आता।रद्दी कागज को गोदाम में पहुंचाया जाता है जहां लगी हाइड्रोलिक बेलिंग मशीन कतरन पर उच्च दबाव देकर उसे ठोस बंडल में बदल देती है। 120 किलो के एक बंडल को रीसाइकिल करने के लिए पेपर मिल भेज दिया जाता है।विदेश में भी हो रहा गीताप्रेस का विस्तार
विदेश में गीताप्रेस की शाखा नेपाल के काठमांडू में है। यहां के सभी सात प्रदेशों में टीम गठित कर पुस्तक केंद्र खोलने की तैयारी चल रही है। जय किशन सारडा को अन्य देशों में विस्तार के लिए अंतरराष्ट्रीय संयोजक बनाया गया है। प्रथम चरण में 11 देशों (आस्ट्रेलिया, अमेरिका, दुबई, इंडोनेशिया, सिंगापुर, त्रिनिनाड, मारीशस, सूरी, थाईलैंड, भूटान, म्यांमार) में आउटलेट खोलने की योजना है। वहां रह रहे भारतीयों से संपर्क किया जा रहा है। अमेरिका व आस्ट्रेलिया में रहने वाले लोगों के सहयोग से पुस्तकालय बना दिया गया है। वहां लगभग 300 पुस्तकें उपलब्ध हैं। काठमांडू केंद्र 'गीताप्रेस ग्लोबल' नाम से यूट्यूब चैनल भी चला रहा है।ऐसे बढ़ रही पुस्तकों की बिक्री
वर्ष |
कुल प्रतियां |
श्रीमद्भगवद्गीता |
2023 | 92.65 | 16.92 |
2022 | 90.21 | 16.21 |
2021 | 71.77 | 15.58 |
2020 | 70.32 | 15.06 |
2019 | 69.80 | 14.40 |
2018 | 68.10 | 13.82 |
मार्ग शीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी को ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसी वजह से इसे गीता का अवतरण दिवस माना जाता है। गीता एक मात्र ऐसी पुस्तक है, जिसकी जयंती मनाई जाती है। गीता जयंती पर गीताप्रेस में भी कथा पाठ के अलावा विभिन्न आयोजन किए जाते हैं। - लालमणि तिवारी, प्रबंधक गीताप्रेस
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