Geeta Press : 94 वर्ष में पहली बार प्रकाशित नहीं हो पाई 'कल्याण', प्रबंधन ने की यह व्यवस्था Gorakhpur News
गीताप्रेस ने अप्रैल के मासिक अंक को अपनी वेबसाइट gitapress.org पर अपलोड करा दिया है। पाठक इस अंक को ऑनलाइन पढ़ सकते हैं।
By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Mon, 20 Apr 2020 07:41 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। 94 वर्षों में पहली बार इस वर्ष गीताप्रेस से प्रकाशित होने वाली पत्रिका 'कल्याण' के अप्रैल माह का अंक प्रकाशित नहीं हो सका। लॉकडाउन के चलते गीताप्रेस बंद है। पाठकों की लगातार मांग आ रही थी, इसलिए गीताप्रेस ने अप्रैल के मासिक अंक को अपनी वेबसाइट gitapress.org पर अपलोड करा दिया है। पाठक इस अंक को ऑनलाइन पढ़ सकेंगे।
'बोधकथा अंक' पर है इसका विशेषांक धार्मिक पुस्तकों को लागत मूल्य से भी कम कीमत पर उपलब्ध कराने वाले गीताप्रेस से अगस्त 1926 से 'कल्याण' पत्रिका के प्रकाशन की शुरुआत हुई। प्रतिवर्ष का पहला अंक विशेषांक के रूप में प्रकाशित किया जाता है। शेष सभी अंक साधारण होते हैं। इस वर्ष का विशेषांक 'बोधकथा अंक' है, जो बोध कथाओं पर आधारित है। साधारण अंकों में भी बोध कथाएं ही प्रकाशित हो रही हैं।
पाठकों की लगातार आते फोन के कारण गीता प्रेस प्रबंधन ने लिया यह निर्णय
कथाएं ज्ञानवर्धक, प्रेरणादायी व रुचिकर होने के नाते पाठक नए अंकों का इंतजार करते हैं। आमतौर पर हर माह का अंक माह शुरू होने के पूर्व ही पाठकों तक पहुंचाने की कोशिश की जाती है। इस बार अप्रैल माह का एक पखवारा बीत जाने के बाद भी जब पत्रिका पाठकों तक नहीं पहुंची तो उनके फोन आने शुरू हुए। इसे देखते हुए गीताप्रेस ने अप्रैल के मासिक अंक को वेबसाइट पर अपलोड करा दिया है।
16.20 करोड़ से अधिक प्रतियां हो चुकी हैं प्रकाशितकल्याण के कुल 1.85 लाख पाठक हैं, अबतक 16.20 करोड़ से अधिक प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। यह पत्रिका अपने प्रकाशन के समय से ही पाठकों में काफी लोकप्रिय है।लॉकडाउन के चलते गीताप्रेस बंद है। इस वजह से कल्याण के अप्रैल माह का अंक प्रकाशित नहीं हो सका। पाठकों की असुविधा के लिए हमें खेद है। इस अंक को ऑनलाइन उपलब्ध करा दिया गया है। प्रेस बंद होने के बावजूद सभी कर्मचारियों को समय से वेतन दे दिया गया है। - देवीदयाल अग्रवाल, ट्रस्टी, गीता प्रेस
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