...तो शायद बच जाती गोंडा ट्रेन दुर्घटना, हादसे के बाद ट्रैक में तकनीकी गड़बड़ी को लेकर प्रसारित हुआ था बातचीत का ऑडियो
गोंडा ट्रेन हादसे की प्राथमिक जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हादसा रेल लाइन में खामी के कारण हुआ था। रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने 50 दिनों की गहन जांच के बाद यह रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में इंजीनियरिंग विभाग को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा गया है कि ट्रैक में गड़बड़ी थी। साथ ही परिचालन विभाग को भी लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गोंडा ट्रेन हादसा रेल लाइन में खामी के चलते हुआ था। यह खुलासा रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की प्राथमिक जांच रिपोर्ट में हुआ है। दुर्घटना के 50 दिन बाद सीआरएस ने गहन जांच-पड़ताल के बाद प्राथमिक रिपोर्ट पूर्वोत्तर रेलवे के संबंधित उच्च अधिकारियों को उपलब्ध करा दी है।
रिपोर्ट में इंजीनियरिंग विभाग को कटघरे में खड़ा करते हुए ट्रैक में गड़बड़ी होने की बात स्वीकार की गई है। साथ ही परिचालन विभाग को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा गया है कि पास वाले स्टेशन मास्टर ने भी ट्रेनों को कासन (नियंत्रण में) लेने में तत्परता नहीं दिखाई।
रिपोर्ट में कई अहम सिफारिशें भी की गई हैं। यद्यपि, अभी फाइनल जांच रिपोर्ट आनी बाकी है। इसके लिए इंतजार करना होगा।
जानकारों का कहना है कि आधा दर्जन रेलकर्मी ट्रेन हादसे के जिम्मेदार ठहराए जा सकते हैं। प्राथमिक जांच रिपोर्ट में ऐसे रेलकर्मियों की तरफ इशारा भी कर दिया गया है। फाइनल रिपोर्ट के बाद ही जिम्मेदार कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
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प्रारंभिक रिपोर्ट आने के बाद रेलवे महकमे में हलचल बढ़ गई है। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट उच्च अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, रेलवे प्रशासन ने गोंडा ट्रेन हादसे के दौरान लोको पायलटों को तेज आवाज सुनाई देने की बात स्वीकार की थी।
धमाका जैसी आवाज की बात सामने आने पर दुर्घटना में साजिश की आशंका भी बढ़ गई थी। साजिश की आशंका को लेकर सिविल पुलिस ने जांच भी शुरू कर दी थी। यद्यपि, रेलवे बोर्ड ने दुर्घटना की भयावहता को संज्ञान में लेते हुए जांच सीआरएस को सौंप दी थी।
सीआरएस ने गहन-जांच पड़ताल के बाद प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की है। इस बीच उन्होंने दुर्घटनाग्रस्त बोगियों के पहियों की जांच के लिए गोंडा रूट पर 35 दिन का ब्लाक भी मांगा था, जिसे रेलवे प्रशासन ने अव्यवहारिक करार देते हुए खारिज कर दिया था।
इसके बाद भी उन्होंने इंजन और बोगियों के पहियों की भी गहनता के साथ जांच की। मौके पर पहुंचकर इंजीनियरिंग, परिचालन, यांत्रिक, विद्युत, संरक्षा और सुरक्षा के संबंधित कर्मियों का बयान लेने के साथ स्थल परीक्षण किया।
पलट गई थीं तीन एसी बोगियां, चार यात्रियों की हो गई थी मृत्यु
18 जुलाई, 2024 को पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल स्थित बाराबंकी-गोरखपुर रेल खंड पर गोंडा स्टेशन से लगभग 19 किमी दूर मोतीगंज-झिलाहीं स्टेशन के बीच डाउन लाइन पर 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही 15904 चण्डीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी।
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इंजन से पीछे वाली तीन वातानुकूलित बोगियां पलट गई। चार यात्री असमय काल के गाल में समा गए। 33 घायल हुए। यात्रियों के बीच चीख-पुकार मच गई। रेलवे प्रशासन ने सतर्कता दिखाते हुए स्थिति को संभाला और 15 घंटे के अंदर ही ट्रेनों का संचालन शुरू हो गया था। ट्रेन की रेक में लगे लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) कोचों ने बड़ी जान-माल की क्षति से बचा लिया था।