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UP News: सांसद रवि किशन की दो टूक, 'गोरखपुर AIIMS किसी की निजी संपत्ति नहीं'

सांसद रवि किशन ने एम्स गोरखपुर में अव्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह किसी की निजी संपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि एम्स में मरीजों का समुचित इलाज हो और किसी को भी अनावश्यक रूप से रेफर न किया जाए। सांसद ने 23 बिंदुओं पर सवाल उठाए और दो दिन में जवाब मांगा है। सांसद ने कहा कि केंद्र-प्रदेश सरकार हर संभव मदद के लिए हमेशा तैयार है।

By Durgesh Tripathi Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 19 Sep 2024 08:52 AM (IST)
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गोरखपुर एम्स में आयोजित पौधारोपण एवं स्वछता अभियान में हिस्‍सा लेते सांसद रवि किशन।- सोशल मीडिया एक्‍स

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एम्स गोरखपुर में अव्यवस्था से नाराज सदर सांसद रविकिशन शुक्ल ने बुधवार को दो टूक शब्दों में अपनी बात रखी। कहा कि एम्स गोरखपुर किसी की निजी संपत्ति नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। यह रोगियों के उपचार और मेडिकल छात्रों को अच्छा डाक्टर बनाने के लिए स्थापित किया गया है।

कहा कि इसकी गरिमा से खेलने वालों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा। सांसद ने बैठक में ही स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से फोन पर बात की और स्पीकर आन कर उनका संदेश सभी को सुनाया। बैठक तकरीबन 50 मिनट चली।

बुधवार दोपहर बाद एम्स पहुंचे सदर सांसद के चेहरे की नाराजगी बता रही थी कि हाल के दिनों में हुए घटनाक्रम से वह खुश नहीं हैं। उन्होंने कार्यकारी निदेशक व मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रो. गोपाल कृष्ण पाल के साथ ही सभी वरिष्ठ डाक्टरों के साथ बैठक की।

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सांसद हाल के दिनों में सामने आई अव्यवस्था की पूरी सूची लेकर पहुंचे थे। उन्होंने एक-एक बिंदु पर बात की और सुधार के निर्देश दिए। कहा कि सभी रोगियों का उपचार किया जाए और अनावश्यक किसी को रेफर न किया जाए। गड़बड़ी मिलने पर जांच कर जिम्मेदारों पर तत्काल कार्रवाई की जाए ताकि परिसर में समस्याओं का समाधान हो सके। उन्होंने 23 बिंदुओं पर सवाल किया। इन सभी का जवाब दाे दिन में देने को कहा है।

सभी करें अपने कर्तव्यों का पालन

सांसद ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार हर संभव मदद के लिए हमेशा तैयार है। ऐसे में हम सभी की भी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने कर्तव्यों का अच्छे से पालन करें। रोगियों को हर संभव सुविधा उपलब्ध कराएं। जो कार्य लंबित हैं उन्हें शीघ्र पूरा करें। एम्स में उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार और नेपाल के भी रोगी आते हैं।

ये हैं प्रमुख समस्याएं

  • 16 आपरेशन थियेटर बने पर चार ही संचालित हो रहे।
  • न्यूरोसर्जरी में आए रोगियों को आपरेशन के लिए महीनों करना पड़ रहा इंतजार। सांसद का कहना है कि कई रोगी उनके आवास पर आते हैं, इन्हें दूसरी जगह भेजना पड़ता है।
  • आपरेशन के लिए प्री एनेस्थेटिक चेकअप के नाम पर रोगियों को कई दिनों तक इंतजार कराया जाता है। इस कारण रोगियों को निजी अस्पताल जाना पड़ता है।
  •  एम्स में इम्प्लांट के नाम पर रोगियों से वसूली की शिकायत आए दिन आती है।
  • बिना लाइसेंस कैंटीन का संचालन होने दिया गया। अब कैंटीन बंद है।
  • 14 सौ करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी कई सुविधाएं अब तक नहीं मिल रहीं।
  • एम्स में पेड़ पौधों की देखभाल नहीं हो रही।
  • वाहन स्टैंड का संचालन गार्ड कर रहे। अब तक टेंडर नहीं किया गया। इसके रुपये जमा होने की जानकारी सार्वजनिक नहीं होती।
  • आपरेशन थियेटर में उपकरणों की संख्या पर्याप्त नहीं है।
  • डाक्टरों में आपसी विवाद चरम पर है। आए दिन नोकझोंक होती है।
  • इमरजेंसी में डाक्टरों व तीमारदारों में मारपीट के बाद दो इंटर्न ने हाथ टूटने की रिपोर्ट बनवाकर प्लास्टर चढ़वा लिया था। बाद में मामला मैनेज हुआ तो प्लास्टर भी गायब हो गया। इसकी जांच नहीं हुई। आदि।

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बैठक में यह रहे मौजूद

उप निदेशक प्रशासन अरुण कुमार सिंह, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. अजय भारती, प्रो. महिमा मित्तल, प्रो. शिखा सेठ, प्रो. हरिशंकर जोशी, प्रो. सुनील गुप्ता, प्रो. अजय मिश्र, प्रो. सुबोध पांडे, प्रो. विक्रम वर्धन, सदर सांसद के निजी सचिव शिवम द्विवेदी, पीआरओ पवन दुबे, समरेंद्र सिंह, पार्षद रणंजय सिंह जुगनू, अष्टभुजा श्रीवास्तव, श्याम दुबे, नीतीश मिश्र, अचिंत्य पांडेय मौजूद रहे।

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