मणप्पुरम फाइनेंस बैंक में असली सोना बदलकर रखे गए नकली आभूषण, पोल खुलने से मची सनसनी
गोरखपुर के मणप्पुरम फाइनेंस लिमिटेड में सोने के गहनों की हेराफेरी का मामला सामने आया है। रेती रोड और राप्तीनगर शाखाओं में हुए इस गबन में शाखा प्रबंधक समेत छह कर्मचारियों पर मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि सोने के आभूषणों की जगह नकली गहने रख दिए गए जिससे कंपनी को करीब 13.98 लाख रुपये का नुकसान हुआ। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गोल्ड लोन देने वाली मणप्पुरम फाइनेंस लिमिटेड की रेती रोड और राप्तीनगर शाखाओं में बड़ा गबन सामने आया है। कंपनी के एरिया हेड ने शाखा प्रबंधक और सहायक प्रबंधक समेत छह कर्मचारियों पर साजिश के तहत सोने के आभूषण बदलकर नकली गहने रख दिए गए।
ऑडिट रिपोर्ट में कंपनी को करीब 13.98 लाख रुपये का नुकसान होने की बात सामने आयी है।कोतवाली थाना पुलिस ने सभी आरोपितों पर गबन, विश्वासघात और जालसाजी की धाराओं में केस दर्ज किया है।
यह मामला 8 फरवरी 2022 को राप्तीनगर शाखा में आकस्मिक आडिट के दौरान सामने आया।आडिटर ने पाया कि 432.8 ग्राम सोने के आभूषण गायब थे और उनकी जगह शून्य शुद्धता वाले आभूषण रख दिए गए थे।
एरिया हेड व केरल निवासी राजू सिंह ने पुलिस को बताया कि स्वर्ण सुरक्षा की जिम्मेदारी शाखा प्रबंधक और सहायक प्रबंधक की होती है, लेकिन इन्हीं की मिलीभगत से गड़बड़ी की गई। जांच में यह भी सामने आया कि रेती रोड शाखा से 879 ग्राम स्वर्ण 29 नवंबर 2021 को सिस्टम में राप्तीनगर शाखा को ट्रांसफर दिखाया गया, जबकि वास्तविक हस्तांतरण 14 दिसंबर 2021 को हुआ।
इस बीच असली सोने को हेरफेर कर नकली जमा कर दिया गया।कंपनी के अनुसार, ट्रांसफर की प्रक्रिया भी नियमविरुद्ध तरीके से की गई। शाखा प्रबंधक या सहायक प्रबंधक की बजाय कनिष्ठ सहायक आशीष त्रिपाठी ने स्वर्ण ले जाकर जमा किया और राप्तीनगर शाखा प्रबंधक अभिषेक त्रिपाठी ने बिना सत्यापन के स्वीकार कर लिया।
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इस दौरान संरक्षक दिवाकर सिंह, मालती शुक्ला और अमन तिवारी भी जिम्मेदारी पर थे। कंपनी का आरोप है कि सभी ने मिलकर षड्यंत्र रचा और असली आभूषण बदल दिए। कंपनी ने पुलिस और वरिष्ठ अधिकारियों को लिखित शिकायत दी थी लेकिन आरोप है कि स्थानीय स्तर पर प्रभाव डालकर एफआइआर दर्ज नहीं होने दी गई।एसएसपी के आदेश पर कोतवाली पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
इनके ऊपर है आरोप:
बस्ती हेड आफिस में कार्यरत अभिषेक त्रिपाठी, निचलौल महराजगंज में कार्यरत शैलेश कुमार, गोरखपुर में कार्यरत दिवाकर सिंह, बक्शीपुर शाखा में कार्यरत अमन तिवारी, बस्ती में कार्यरत मालती और गोरखपुर में कार्यरत आशीष त्रिपाठी को आरोपित बनाया गया है।
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