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Gorakhpur Lok Sabha Seat: यूपी के इस हॉट सीट पर विकास वाली ट्रिपल इंजन की सरकार बनाम विपक्ष का जातीय प्रचार की है लड़ाई

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर सीट से भाजपा ने सांसद रवि किशन शुक्ल को दूसरी बार मैदान में उतारा है। इंडी गठबंधन की तरफ से अभिनेत्री काजल निषाद प्रत्याशी हैं। काजल जहां मुस्लिम यादव व निषाद वोटों का समीकरण बनाकर मैदान मारने की फिराक में हैं वहीं रवि किशन गोरक्षपीठ के आशीर्वाद के सहारे जीत की जुगत में लगे हैं।

By Rakesh Rai Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 01 Jun 2024 10:13 AM (IST)
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बाएं से रवि किशन- भाजपा, काजल निषाद- सपा (आइएनडीआइ गठबंधन), जावेद अशरफ- बसपा।

डा. राकेश राय, जागरण, गोरखपुर। सरकार विरोधी लहर बनाकर और तरह-तरह से जातीय समीकरण बैठाकर इंडी गठबंधन भले ही जीत के सपने बुन रहा, लेकिन उसका यह सपना कम से कम गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में सच होता नहीं दिख रहा। यहां मुकाबला विकास बनाम जातीयता के बीच है।

ट्रिपल इंजन की सरकार के चलते विकास यहां बीस है। भाजपा ने विकास की दर्जनों परियोजनाओं के जरिये जीत का दावा ठोका है तो सपा ने केवल जातीयता का पासा फेंका है। कथित मुस्लिम तुष्टीकरण को जहां सपा ने आधार बनाया हैं, वहीं भाजपा ने उसके विराेध को अपना चुनावी हथियार बनाया है। ऐसे में यहां सपा के सहारे इंडी गठबंधन की नैया पर होती यहां नहीं दिख रही, भाजपा विकास की योजनाओंं के जरिये जीत की ओर बढ़ती दिख रही।

चुनाव प्रचार थम चुका है, जनता का मन मतदान को लेकर लगभग बन चुका है। कोई विकास की परियोजनाओं व जनकल्याणकारी योजनाओं को गिनाकर भाजपा के पक्ष में मतदान की बात कह रहा है तो कोई बदलाव की जरूरत बताकर और धर्म व जातिगत आधार पर वोटों का समीकरण बैठाकर सपा के पक्ष में माहौल बता रहा है।

भाजपा प्रत्याशी रवि किशन की मजबूती का आधार गोरक्षपीठ का आशीर्वाद है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सिर पर हाथ है। पिछली बार इसका प्रभाव बखूबी दिखा था, रवि किशन पर पहली बार में तीन लाख से अधिक वोटों से जीत मिली थी।

गोरक्षपीठ का प्रभाव आज भी बरकरार है, ऐसे में रवि किशन ही नहीं भाजपा को भी इस सीट पर जीत का विश्वास है। अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए रवि किशन ने एम्स, फर्टिलाइजर कारखाना, एथेनाल प्लांट, एयरपोर्ट का विस्तार, क्षेत्र में ट्रेनों का ठहराव जैसी योजनाएं गिनाई हैं।

भोजपुरी फिल्म सिटी जैसी कई अन्य योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए एक बार फिर मोदी सरकार की जरूरत बताई है। उधर सपा प्रत्याशी काजल निषाद का चुनाव प्रचार सरकार विरोधी बयानों पर केंद्रित रहा है। पूरा जोर खुद को गोरखपुर की बहुरिया घोषित करते हुए भावनात्मक आधार से वोट अपील पर रहा है। उनका बयान और अपील भाजपा के मतदाताओ को तोड़ पाएगा, गोरखपुर लोकसभा सीट के पुराने रिकार्ड और गोरक्षापीठ के प्रभाव के चलते संभव नहीं दिख रहा।

बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी सपा की जीत की राह का रोड़ा

सपा ने अपनी जीत का आधार मुस्लिम और यादव मतदाता को बनाया है पर उसका यह समीकरण मुस्लिम मतोंं में बसपा की सेंधमारी के चलते फेल होता नजर आ है। बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी जावेद अशरफ पार्टी के कैडर वोट के अलावा बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाताओं के वोट को अपना बता रहे हैं। ऐसे में अगर उन्हें मुस्लिम मतदाताओं के 25 प्रतिशत वोट भी हासिल हो गए तो इसका सीधा नुकसान सपा को होगा, जिसे लेकर सपा आशंकित भी है।

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