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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से म‍िले गोरखपुर के सांसद रविकिशन, रेलवे के लिए मांगी जमीन Gorakhpur News

गोरखपुर के कैंट स्टेशन पर रास्ते के लिए गोरखपुर के सांसद रवि किशन ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से दिल्‍ली में मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने सांसद ने रक्षामंत्री से गोरखा रेजीमेंट डिपो की भूमि पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन को हस्तांतरित करने की मांग की।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Sun, 14 Feb 2021 08:57 AM (IST)
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रक्षा मंत्री से मुलाकात करते सांसद रविकिश। - रविकिशन के कार्यालय द्वारा उपलब्‍ध कराई गई तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। कैंट स्टेशन पर रास्ते के लिए सदर सांसद रवि किशन ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने सांसद ने रक्षामंत्री से गोरखा रेजीमेंट डिपो (जीआरडी) की 7790 वर्ग मीटर भूमि पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन को हस्तांतरित करने की मांग की। जिससे यह रेलवे स्टेशन नेशनल हाईवे से सीधे जुड़ सके।

एम्स आने वाले मरीजों और यात्रियों की राह होगी आसान

सदर सांसद के अनुसार कैंट स्टेशन के नेशनल हाईवे से जुड़ जाने के बाद एम्स में आने वाले मरीजों और यात्रियों की राह आसान हो जाएगी। उन्होंने बताया कि आम यात्रियों को स्टेशन पर आवागमन करने के लिए रेलवे क्रासिंग पार करनी पड़ती है। क्रासिंग बंद होने पर यात्रियों की परेशानी और बढ़ जाती है। स्टेशन के दक्षिण की तरफ मार्ग तैयार कर यात्रियों को सहूलियत दी जा सकती है। लेकिन दक्षिण की तरफ जीआरडी की भूमि है। यहां जान लें कि कैंट स्टेशन सैटेलाइट के रूप में विकसित हो रहा है। आम बजट में भी इस स्टेशन के विकास के लिए पर्याप्त धन मिला है। परंतु रास्ते की जमीन स्टेशन के समग्र विकास में राह का रोड़ा बना हुआ है।

रास्ते की भूमि के लिए पूर्वोत्तर रेलवे ने भी बोर्ड को भेजा है प्रस्ताव

पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने कैंट स्टेशन के दक्षिण की तरफ दूसरा मार्ग तैयार करने के लिए फिर से कवायद शुरू कर दी है। रेलवे प्रशासन ने भूमि के बदले बगल में ही उतनी ही भूमि उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा है। प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेज दिया गया है। रेलवे का कहना है कि स्टेशन के दक्षिण की तरफ सेना की भूमि होने के चलते दूसरा मार्ग तैयार नहीं हो पा रहा। अगर भूमि मिल जाए तो आम लोगों की परेशानियां समाप्त हो जाएंगी। रेलवे प्रशासन ने वर्ष 2015-2016 में भी भूमि के लिए रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव भेजा था। साथ ही स्थानीय स्तर पर भी सेना के उच्च अधिकारियों से वार्ता कर भूमि हासिल करने की पहल की थी। लेकिन बात नहीं बन पाई थी।

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