फिल्मों से मिली पहचान पर थिएटर में बसती है जान, गोरखपुर रंग महोत्सव में एक्टर राजेंद्र व एक्ट्रेस हिमानी ने कही ये बात
Gorakhpur Rang Mahotsav 2023 गोरखपुर में आयोजित रंग महोत्सव के दौरान फिल्म अभिनेता राजेंद्र गुप्ता व अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी ने थिएटर प्रेम को लेकर दिल की बात साझा की। मशहूर कलाकारों का आगमन रंग महोत्सव में नाट्य प्रस्तुति के लिए हुआ था। दोनों कलाकारों ने स्वीकार किया कि आज वह जहां हैं वहां उन्हें थिएटर ने ही पहुंचाया है।
By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Thu, 02 Nov 2023 09:55 AM (IST)
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। थिएटर से लेकर फिल्म तक में अपने सशक्त अभिनय से अमिट छाप छोड़ने वाले अभिनेता राजेंद्र गुप्ता और अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी को भले ही पहचान फिल्मों और टीवी सीरियल से मिली है पर उनकी जान आज भी थिएटर में ही बसती है।
दोनों ही कलाकारों की पहली और आखिरी पसंद थिएटर ही है। शहर में आयोजित पांच दिवसीय रंग महोत्सव में नाट्य प्रस्तुति देने आए राजेंद्र और हिमानी ने बुधवार को शाही मार्केट में मौजूद अभियान थिएटर ग्रुप के कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में थिएटर प्रेम से जुड़ी अपनी दिल की बात साझा की। दोनों कलाकारों ने स्वीकार किया कि आज वह जहां हैं, वहां उन्हें थिएटर ने ही पहुंचाया है।
हिमानी और राजेंद्र दोनों का यही कहना है कि फिल्में और टीवी सीरियल तो उन्होंने अपना परिवार चलाने और पब्लिक में पहचान बनाने के लिए किया। अभिनय का सुकून उन्हें नाट्य मंचन में ही मिलता है। उनके भीतर का कलाकार थिएटर करके ही संतुष्टि पाता है।
बीते कुछ वर्षों में थिएटर के कलाकारों की फिल्म व टीवी सीरियल्स के प्रति बढ़ी लालसा के सवाल पर हिमानी ने कहा कि इसके पीछे पैसा है क्योंकि थिएटर संतुष्टि तो दे सकता है लेकिन पैसे के लिए फिल्मों की ओर रुख करना ही पड़ता है।
यह भी पढ़ें, Gorakhpur Pollution: शुद्ध हुई हवा, देश के 10 शहरों में शामिल हुआ गोरखपुर; जानें- कैसे मिली सफलता
नाम से ज्यादा पात्र के रूप से पहचाने जाने के सवाल पर हिमानी का दोटूक जवाब था कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि जिस पात्र को पहचान मिलती है, उसमें अभिनेता या अभिनेत्री के अभिनय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस क्रम में उन्होंने टीवी सीरियल के अपने देवकी भौजाई और कटोरी अम्मा जैसे पात्रों को याद किया।
फिल्मों के महत्व को रेखांकित करते हुए हिमानी ने कहा कि फिल्म या टीवी में रोल के बाद कलाकार की पहचान का कैनवास बड़ा हो जाता है। उसे लंबे समय तक याद किया जाता है। अभिनेता राजेंद्र गुप्ता ने थिएटर और फिल्मों में साथ-साथ अभिनय के प्रबंधन के सवाल पर कहा कि फिल्म में अभिनेता एक कठपुतली की तरह होता है, जिसे निर्देशक नचाता है पर थिएटर के मंच पर अपेक्षाकृत स्वतंत्रता होती है। दर्शकों से सीधे प्रतिक्रिया मिलने पर आत्मिक संतुष्टि मिलती है। दोनों अलग-अलग विधाएं हैं। अगर दर्शकों के बीच निरंतर बने रहना है तो समझौता तो करना ही होगा और हम करते भी हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।