पांच साल की उम्र तय होते ही कबाड़ घोषित हो जाएंगे ई-रिक्शा, गोरखपुर को जाम से निजात दिलाने की बड़ी तैयारी
गोरखपुर में पांच साल पुराने ई-रिक्शा को कबाड़ घोषित कर दिया जाएगा। परिवहन विभाग ने शहर की सड़कों को जाम से मुक्ति दिलाने और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यह कदम उठाया है। वर्तमान में शहर में लगभग 1896 ई-रिक्शा हैं जो 30 सितंबर को पांच साल पूरे कर लेंगे। विभाग जल्द ही ई-रिक्शा की आयु सीमा 5 से 7 वर्ष करने पर विचार कर रहा है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। ई-रिक्शा की आयु पांच वर्ष निर्धारित हो गई तो, महानगर में 1896 ई-रिक्शा कबाड़ (स्क्रैप) हो जाएंगे। 30 सितंबर को यह सभी ई-रिक्शा पांच वर्ष पूरे कर लेंगे। परिवहन विभाग ने जर्जर हो चुके ई-रिक्शा के संचालन पर रोक लगाने, शहर की सडकों को जाम से मुक्ति दिलाने तथा दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए आयु सीमा निर्धारित करने की जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी है। जल्द ही ई-रिक्शा की आयु 5 से 7 वर्ष हो सकती है।
दरअसल, परिवहन विभाग ने डीजल और पेट्रोल वाहनों की 10 से 15 वर्ष की आयु सीमा तो निर्धारित कर दी है, लेकिन ई-रिक्शा की कोई उम्र तय नहीं है। स्थिति यह है कि महानगर की सड़कों, चौराहों और गलियों में जर्जर हो चुके ई-रिक्शा मनमाने ढंग से फर्राटा भर रहे हैं। कुछ लोगों ने तो ई-रिक्शा को व्यवसाय बना लिया है। एक संचालक के पास दो-दो दर्जन ई-रिक्शा हैं। नियमानुसार फिटनेस जांच भी नहीं कराते हैं। जबकि, ई-रिक्शा का प्रत्येक दो साल पर फिटनेस जांच अनिवार्य होती है। चार से पांच साल में ई-रिक्शा चलने लायक नहीं रह पाते।
इसे विभागीय उदासीनता कहें या वाहन स्वामियों की लापरवाही। जिले में लगभग दस हजार ई-रिक्शा पंजीकृत हैं। जिनमें 3 हजार अनफिट हैं, जो हर पल दुर्घटना को दावत दे रहे हैं। एक तो चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं ऊपर से, यातायात के नियमों का पालन भी नहीं कर रहे। अनफिट ई-रिक्शा महानगर में दुर्घटना ही नहीं जाम के कारण भी बनते जा रहे हैं। स्थिति यह है कि पंजीकृत ई-रिक्शा के लिए लगभग 50 चालकों के पास ही ड्राइविंग लाइसेंस है। 12 से 16 साल के बच्चे ही नहीं 60 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ भी बिना लाइसेंस के ई-रिक्शा लेकर दौड़ रहे हैं। इसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है।
सफेद रंग के ई-रिक्शा का ही पंजीकरण व फिटनेस
परिवहन विभाग में अब सफेद रंग के ई-रिक्शा का ही पंजीकरण और फिटनेस प्रमाण पत्र बन रहा है। ऐसे में जो वाहन स्वामी रंगीन ई-रिक्शा चला रहे हैं वे फिटनेस प्रमाण पत्र की अवधि समाप्त होने के बाद भी लापरवाह बने हुए हैं। वे न ई-रिक्शा का रंग बदलकर सफेद करा रहे और न फिटनेस जांच करा रहे हैं।
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